Bharjan kise kahate hain

  1. स्वर और व्यंजन किसे कहते है ?
  2. वर्तनी किसे कहते हैं? परिभाषा
  3. भर्जन किसे कहते हैं?
  4. वर्ण किसे कहते है ( परिभाषा, भेद और उदाहरण )
  5. स्वर और व्यंजन किसे कहते है ?
  6. वर्ण किसे कहते है ( परिभाषा, भेद और उदाहरण )
  7. भर्जन किसे कहते हैं?
  8. वर्तनी किसे कहते हैं? परिभाषा


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स्वर और व्यंजन किसे कहते है ?

अनुक्रम • • • • • • • • • • • • • • • स्वर और व्यंजन किसे कहते है? स्वर किसे कहते है ? ऐसी ध्वनियां जो अपने आप मे स्वतन्त्र होती हैं। साथ ही साथ जिन्हें बोलने के लिए किन्ही अन्य ध्वनियों की सहायता नही लेनी पड़ती हैं। उन्हें स्वर कहा जाता हैं। मूल रूप से स्वर ध्वनियों की संख्या 13 मानी जाती हैं। उच्चारण की दृष्टि से इनमे केवल 10 ही स्वर हैं। जैसे– अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ,औ आदि। स्वरों का वर्गीकरण – स्वरों का वर्गीकरण निम्नलखित हैं। 1.मात्रा या उच्चारण – काल के आधार पर मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर ध्वनियां तीन प्रकार की होती हैं। • ह्रस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर 1.ह्रस्व स्वर – जिनके उच्चारण में केवल एक मात्रा का बोध होता हैं। उन ध्वनियों को ह्रस्व श्वर कहते है। जैसे– अ, इ,उ आदि 2.दीर्घ स्वर– जिन ध्वनियों को बोलने में ह्रस्व स्वर से अधिक समय लगता हैं। उन ध्वनियों को दीर्घ स्वर कहते है। जैसे– आ, ई ,ऊ, ए,ऐ, ओ, औ,ऑ आदि। 3.प्लुत स्वर – जिन ध्वनियों के उच्चारण में दीर्घ स्वर से अधिक समय लगता हैं। उन ध्वनियो को प्लुत स्वर कहते है। जैसे – रोsम, ओsम आदि। 2.जीभ के प्रयोग के आधार पर ध्वनियों का वर्गीकरण– अग्र स्वर :: जिन ध्वनियों के उच्चारण में जीभ के अग्र भाग प्रयोग में लाया जाता हैं। जैसे– इ,ई, ए,ऐ आदि। मध्य स्वर :: जिन ध्वनियो के उच्चारण में जीभ का मध्य भाग प्रयोग में लाया जाता हैं। जैसे– ओ पश्च स्वर :: जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का पश्च भाग प्रयोग में लाया जाता हैं। जैसे– आ, उ, ऊ, ओ, औ, ऑ आदि। 3.मुख – द्वार के खुलने के आधार पर विवृत :: जिन स्वरों के उच्चारण में मुख्य द्वार पूरा खुलता हैं। जैसे – आ अर्ध – विवृत :: जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार आधा खुलता हैं। जै...

वर्तनी किसे कहते हैं? परिभाषा

वर्तनी की परिभाषा --- ‘वर्तनी' शब्द ‘वर्तन' से बना है, अर्थात्-अनुवर्तन करना या पीछे-पीछे चलना। दूसरे शब्दों में, लिपि-चिह्नों के क्या रूप हों और उनका संयोजन कैसा हो, यह कार्य ‘वर्तनी' का है। इसे अक्षरी, हिज्जे, स्पेलिंग या बंगला में 'बनान' भी कहते हैं। वर्तनी-संबंधी अशुद्धियों या समस्याओं के मुख्य दो कारण हैं --- (क) अरबी-फारसी और अँगरेजी के कुछ शब्दों के नीचे बिंदु , ध्वनि विशेष के लिए दिया जाता है। हालाँकि , वाक्य प्रयोग से ही उनका अर्थ स्पष्ट हो जाता है , अतः बिंदु देने की जरूरत नहीं है। उन्हें बिंदुरहित लिखें -- राज , खैर , गरीब , कागज , कब्र , इज , जीरो , फास्ट , फेल आदि। हाँ , यदि शब्दों के बीच फर्क दिखलाना हो , तो बिंदु का प्रयोग किया जा सकता है। जैसे -- राज-राज़ , गज-गज़ आदि। आज के इस हिन्दी वर्तनी किसे कहतें है को विस्तार मे देखा, इस आर्टिकल से आपको vartani kise kahate hain और वर्तनी की परिभाषा को समझने मे काफी मदद मिली होगी। अगर आपके मन मे कोई सवाल है तो आप हमे नीचे कमेंट में पुछ सकते है और हमे उमीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आपको वर्तनी के नियम को भी अच्छे से समझने मे मदद मिली होगी। इस आर्टिकल को आप अपने दोस्तो मे साथ शेयर जरुर करे।

भर्जन किसे कहते हैं?

रसायन शास्त्र की वह रासायनिक क्रिया जिसमें अयस्क हवा की उपस्थिति में उसके गलनांक से नीचे के ताप पर गर्म किये जाते है, भर्जन कहलाती है। इस क्रिया को करने के दौरान S (सल्फर) और As (आर्सेनिक) जैसे तत्व भाप बन कर अशुद्ध ऑक्साइडों के रूप में अलग हो जाती हैं। उदाहरण के लिए S + O2 → SO2 ↑। भर्जन की धातुकर्म प्रक्रिया में, अयस्क को अतिरिक्त हवा की उपस्थिति में उसके गलनांक से नीचे गर्म किया जाता है और उसके ऑक्साइड में परिवर्तित कर दिया जाता है। जबकि रोस्टिंग एक तकनीक है जिसका उपयोग सल्फाइड अयस्कों को बदलने के लिए किया जाता है, कैल्सीनेशन का उपयोग ज्यादातर कार्बोनेट को ऑक्सीकरण करने के लिए किया जाता है। भूनने के दौरान नमी और गैर-धातु संदूषक वाष्पशील गैसों के रूप में उत्सर्जित होते हैं। रोस्टिंग एक ठोस-गैस थर्मल प्रतिक्रिया है जिसमें पाइरोहाइड्रोलिसिस, ऑक्सीकरण, कमी, सल्फेशन और क्लोरीनीकरण शामिल है। भर्जन की परिभाषा मुख्य रूप से सल्फाइड अयस्कों से धातु आक्साइड निकालने के लिए रोस्टिंग का उपयोग आमतौर पर धातु विज्ञान में किया जाता है। इस प्रक्रिया में, अयस्कों के ऑक्साइड प्राप्त करने के लिए अयस्कों को गलनांक से नीचे उच्च तापमान पर हवा की अधिकता में गर्म किया जाता है, जो बाद में धातुओं को निकालने के लिए उपयोग किया जाता है। वाष्पशील गैसों में नमी और अधात्विक अशुद्धियों जैसी अशुद्धियाँ निकलती हैं। रोस्टिंग विधि में ऑक्सीकरण, कमी, सल्फेशन, क्लोरीनीकरण और पायरो हाइड्रोलिसिस शामिल हैं। इन अभिक्रियाओं को ठोस-गैस तापीय अभिक्रियाएँ कहते हैं। निस्तापन की क्रिया में भर्जन की प्रक्रिया को वायु के अनुपस्थिति में किया जाता है। निस्तापन और भर्जन की क्रिया में यही मुख्य अंतर है। निस्तापन की क्रिया का उ...

वर्ण किसे कहते है ( परिभाषा, भेद और उदाहरण )

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • Varn Kise Kahate Hain ध्वनियों के वे मौलिक और सूक्ष्मतम रूप जिन्हें और विभाजित नहीं किया जा सकता है, उन्हें वर्ण कहा जाता है। वर्ण के मौखिक रूप को ध्वनि एवं लिखित रूप को अक्षर कहते हैं। • जैसे – क् , ख्, ग् , अ, ए इत्यादि। किसी शब्द को अगर हम विभाजित करें तो हमें इसमें छिपे हुए वर्णों का पता चल जाएगा। उदाहरण के लिए, • सभा = स् + अ + भ् + आ । वर्ण की परिभाषा– Varn Ki Paribhasha वर्ण की परिभाषा की बात करें तो वर्ण उस मूल ध्वनि को कहा जाता है, जिसके खंड व टुकड़े नहीं किये जा सकते हैं। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है व इसके टुकड़े या खण्ड नहीं किये जा सकते हैं। जैसे:- क, ख, व, च, प आदि। वर्ण के भेद – Varn Ke Kitne Bhed Hote Hain हिंदी भाषा के अनुसार वर्ण 2 प्रकार के होते हैं। • स्वर • व्यंजन हिन्दी वणमाला में 11 स्वर और 33 व्यंजन है। यह भी पढ़े: स्वर – Swar in Hindi:– वे ध्वनियाँ जिनके उच्चारण में वायु बिना किसी अवरोध के बाहर निकलती है, स्वर कहलाते है। स्वरों के भेद – Swar ke Bhed : उच्चारण समय या मात्रा के आधार पर स्वरो के तीन भेद है। 1. ह्रस्व स्वर :– इन्हे मूल स्वर तथा एकमात्रिक स्वर भी कहते है। इनके उच्चारण में सबसे कम समय लगता है। जैसे – अ, इ, उ, ऋ 2. दीर्घ स्वर :- इनके उच्चारण में हस्व स्वर की अपेक्षा दुगुना समय लगता है अर्थात दो मात्राए लगती है, उसे दीर्घ स्वर कहते है। जैसे – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ यह भी पढ़े: 3. प्लुत स्वर :– संस्कृत में प्लुत को एक तीसरा भेद माना जाता है, पर हिन्दी में इसका प्रयोग नहीं होता | जैसे – ओउम प्रयत्न के आधार पर:- जीभ के प्रयत्न के आधार पर तीन भेद है। 1. अग्र स्वर :– जिन स्वरों के उच्चारण में ...

स्वर और व्यंजन किसे कहते है ?

अनुक्रम • • • • • • • • • • • • • • • स्वर और व्यंजन किसे कहते है? स्वर किसे कहते है ? ऐसी ध्वनियां जो अपने आप मे स्वतन्त्र होती हैं। साथ ही साथ जिन्हें बोलने के लिए किन्ही अन्य ध्वनियों की सहायता नही लेनी पड़ती हैं। उन्हें स्वर कहा जाता हैं। मूल रूप से स्वर ध्वनियों की संख्या 13 मानी जाती हैं। उच्चारण की दृष्टि से इनमे केवल 10 ही स्वर हैं। जैसे– अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ,औ आदि। स्वरों का वर्गीकरण – स्वरों का वर्गीकरण निम्नलखित हैं। 1.मात्रा या उच्चारण – काल के आधार पर मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर ध्वनियां तीन प्रकार की होती हैं। • ह्रस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर 1.ह्रस्व स्वर – जिनके उच्चारण में केवल एक मात्रा का बोध होता हैं। उन ध्वनियों को ह्रस्व श्वर कहते है। जैसे– अ, इ,उ आदि 2.दीर्घ स्वर– जिन ध्वनियों को बोलने में ह्रस्व स्वर से अधिक समय लगता हैं। उन ध्वनियों को दीर्घ स्वर कहते है। जैसे– आ, ई ,ऊ, ए,ऐ, ओ, औ,ऑ आदि। 3.प्लुत स्वर – जिन ध्वनियों के उच्चारण में दीर्घ स्वर से अधिक समय लगता हैं। उन ध्वनियो को प्लुत स्वर कहते है। जैसे – रोsम, ओsम आदि। 2.जीभ के प्रयोग के आधार पर ध्वनियों का वर्गीकरण– अग्र स्वर :: जिन ध्वनियों के उच्चारण में जीभ के अग्र भाग प्रयोग में लाया जाता हैं। जैसे– इ,ई, ए,ऐ आदि। मध्य स्वर :: जिन ध्वनियो के उच्चारण में जीभ का मध्य भाग प्रयोग में लाया जाता हैं। जैसे– ओ पश्च स्वर :: जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का पश्च भाग प्रयोग में लाया जाता हैं। जैसे– आ, उ, ऊ, ओ, औ, ऑ आदि। 3.मुख – द्वार के खुलने के आधार पर विवृत :: जिन स्वरों के उच्चारण में मुख्य द्वार पूरा खुलता हैं। जैसे – आ अर्ध – विवृत :: जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार आधा खुलता हैं। जै...

वर्ण किसे कहते है ( परिभाषा, भेद और उदाहरण )

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • Varn Kise Kahate Hain ध्वनियों के वे मौलिक और सूक्ष्मतम रूप जिन्हें और विभाजित नहीं किया जा सकता है, उन्हें वर्ण कहा जाता है। वर्ण के मौखिक रूप को ध्वनि एवं लिखित रूप को अक्षर कहते हैं। • जैसे – क् , ख्, ग् , अ, ए इत्यादि। किसी शब्द को अगर हम विभाजित करें तो हमें इसमें छिपे हुए वर्णों का पता चल जाएगा। उदाहरण के लिए, • सभा = स् + अ + भ् + आ । वर्ण की परिभाषा– Varn Ki Paribhasha वर्ण की परिभाषा की बात करें तो वर्ण उस मूल ध्वनि को कहा जाता है, जिसके खंड व टुकड़े नहीं किये जा सकते हैं। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है व इसके टुकड़े या खण्ड नहीं किये जा सकते हैं। जैसे:- क, ख, व, च, प आदि। वर्ण के भेद – Varn Ke Kitne Bhed Hote Hain हिंदी भाषा के अनुसार वर्ण 2 प्रकार के होते हैं। • स्वर • व्यंजन हिन्दी वणमाला में 11 स्वर और 33 व्यंजन है। यह भी पढ़े: स्वर – Swar in Hindi:– वे ध्वनियाँ जिनके उच्चारण में वायु बिना किसी अवरोध के बाहर निकलती है, स्वर कहलाते है। स्वरों के भेद – Swar ke Bhed : उच्चारण समय या मात्रा के आधार पर स्वरो के तीन भेद है। 1. ह्रस्व स्वर :– इन्हे मूल स्वर तथा एकमात्रिक स्वर भी कहते है। इनके उच्चारण में सबसे कम समय लगता है। जैसे – अ, इ, उ, ऋ 2. दीर्घ स्वर :- इनके उच्चारण में हस्व स्वर की अपेक्षा दुगुना समय लगता है अर्थात दो मात्राए लगती है, उसे दीर्घ स्वर कहते है। जैसे – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ यह भी पढ़े: 3. प्लुत स्वर :– संस्कृत में प्लुत को एक तीसरा भेद माना जाता है, पर हिन्दी में इसका प्रयोग नहीं होता | जैसे – ओउम प्रयत्न के आधार पर:- जीभ के प्रयत्न के आधार पर तीन भेद है। 1. अग्र स्वर :– जिन स्वरों के उच्चारण में ...

भर्जन किसे कहते हैं?

रसायन शास्त्र की वह रासायनिक क्रिया जिसमें अयस्क हवा की उपस्थिति में उसके गलनांक से नीचे के ताप पर गर्म किये जाते है, भर्जन कहलाती है। इस क्रिया को करने के दौरान S (सल्फर) और As (आर्सेनिक) जैसे तत्व भाप बन कर अशुद्ध ऑक्साइडों के रूप में अलग हो जाती हैं। उदाहरण के लिए S + O2 → SO2 ↑। भर्जन की धातुकर्म प्रक्रिया में, अयस्क को अतिरिक्त हवा की उपस्थिति में उसके गलनांक से नीचे गर्म किया जाता है और उसके ऑक्साइड में परिवर्तित कर दिया जाता है। जबकि रोस्टिंग एक तकनीक है जिसका उपयोग सल्फाइड अयस्कों को बदलने के लिए किया जाता है, कैल्सीनेशन का उपयोग ज्यादातर कार्बोनेट को ऑक्सीकरण करने के लिए किया जाता है। भूनने के दौरान नमी और गैर-धातु संदूषक वाष्पशील गैसों के रूप में उत्सर्जित होते हैं। रोस्टिंग एक ठोस-गैस थर्मल प्रतिक्रिया है जिसमें पाइरोहाइड्रोलिसिस, ऑक्सीकरण, कमी, सल्फेशन और क्लोरीनीकरण शामिल है। भर्जन की परिभाषा मुख्य रूप से सल्फाइड अयस्कों से धातु आक्साइड निकालने के लिए रोस्टिंग का उपयोग आमतौर पर धातु विज्ञान में किया जाता है। इस प्रक्रिया में, अयस्कों के ऑक्साइड प्राप्त करने के लिए अयस्कों को गलनांक से नीचे उच्च तापमान पर हवा की अधिकता में गर्म किया जाता है, जो बाद में धातुओं को निकालने के लिए उपयोग किया जाता है। वाष्पशील गैसों में नमी और अधात्विक अशुद्धियों जैसी अशुद्धियाँ निकलती हैं। रोस्टिंग विधि में ऑक्सीकरण, कमी, सल्फेशन, क्लोरीनीकरण और पायरो हाइड्रोलिसिस शामिल हैं। इन अभिक्रियाओं को ठोस-गैस तापीय अभिक्रियाएँ कहते हैं। निस्तापन की क्रिया में भर्जन की प्रक्रिया को वायु के अनुपस्थिति में किया जाता है। निस्तापन और भर्जन की क्रिया में यही मुख्य अंतर है। निस्तापन की क्रिया का उ...

वर्तनी किसे कहते हैं? परिभाषा

वर्तनी की परिभाषा --- ‘वर्तनी' शब्द ‘वर्तन' से बना है, अर्थात्-अनुवर्तन करना या पीछे-पीछे चलना। दूसरे शब्दों में, लिपि-चिह्नों के क्या रूप हों और उनका संयोजन कैसा हो, यह कार्य ‘वर्तनी' का है। इसे अक्षरी, हिज्जे, स्पेलिंग या बंगला में 'बनान' भी कहते हैं। वर्तनी-संबंधी अशुद्धियों या समस्याओं के मुख्य दो कारण हैं --- (क) अरबी-फारसी और अँगरेजी के कुछ शब्दों के नीचे बिंदु , ध्वनि विशेष के लिए दिया जाता है। हालाँकि , वाक्य प्रयोग से ही उनका अर्थ स्पष्ट हो जाता है , अतः बिंदु देने की जरूरत नहीं है। उन्हें बिंदुरहित लिखें -- राज , खैर , गरीब , कागज , कब्र , इज , जीरो , फास्ट , फेल आदि। हाँ , यदि शब्दों के बीच फर्क दिखलाना हो , तो बिंदु का प्रयोग किया जा सकता है। जैसे -- राज-राज़ , गज-गज़ आदि। आज के इस हिन्दी वर्तनी किसे कहतें है को विस्तार मे देखा, इस आर्टिकल से आपको vartani kise kahate hain और वर्तनी की परिभाषा को समझने मे काफी मदद मिली होगी। अगर आपके मन मे कोई सवाल है तो आप हमे नीचे कमेंट में पुछ सकते है और हमे उमीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आपको वर्तनी के नियम को भी अच्छे से समझने मे मदद मिली होगी। इस आर्टिकल को आप अपने दोस्तो मे साथ शेयर जरुर करे।