Bhartiya puratatva ka pita kise kaha jata hai

  1. भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग किसे कहा जाता है?
  2. भारत की नदियाँ
  3. भारत में गरम दल आंदोलन का पिता किसे कहा जाता है?


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भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग किसे कहा जाता है?

नमस्कार दोस्तो, जैसा कि आपने अनेक जगहों पर यह सुना होगा कि भारत को प्राचीन काल में सोने की चिड़िया कहा जाता था। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि भारतीय इतिहास का कौन सा काल स्वर्णकाल के नाम से जाना जाता है?, (bhartiya itihas mein kis yug ko swarn yug ke naam se jana jata hai) यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग किसे कहा जाता है, (bhartiya itihas ka swarn yug kise kaha jata hai) हम आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट के अंतर्गत शेयर करने वाले हैं। तो ऐसे में आज का की यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है, तो इसको अंत जरूर पढ़िए। स्वर्ण युग से आप क्या समझते हैं? (swarn kal kise kaha jata hai) भारतीय इतिहास में, गुप्ता काल को स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है। इतिहास में, स्वर्ण युग को वह अवधि कहा जाता है जिसमें राज्य और लोगों का चौतरफा विकास होता है। निस्संदेह, भारत की बहुमुखी प्रगति गुप्ता काल के दौरान हुई और हमारे देश का सिर अन्य देशों के सामने ऊंचा हो गया। भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग किसे कहा जाता है? (bhartiya itihas ka swarn yug kise kaha jata hai) दोस्तों अक्सर कई बार अलग-अलग लोगों से यह सवाल पूछ लिया जाता है कि भारत के इतिहास का स्वर्ण युग किसे कहा जाता है, या फिर भारत को सोने की चिड़िया किस समय कहा जाता था यदि आपको इस विषय के बारे में जानकारी नहीं है, तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं, कि गुप्त काल को प्राचीन भारत के इतिहास...

भारत की नदियाँ

krubhu kurram kubha kabul vitasta askini purushni shatudri vipasha sadanira drishadvati ghagghar gomal suvastu svat sindh ghaghghar / rakshi / chittag sushoma sohan maroodvridha maroovarman bharat ki nadiyoan ka desh ke arthik evan saanskritik vikas mean prachinakal se hi mahattvapoorn yogadan raha hai. • • dakshin se nikalane vali nadiyaan • tatavarti nadiyaan • aantardeshiy naloan se droni kshetr ki nadiyaan himalay se nikalane vali nadiyaan • REDIRECT siandhu nadi • REDIRECT [[chitr:Sindhu-River-1.jpg|thumb|150px| ganga • REDIRECT [[chitr:Ganga-River-Varanasi.jpg|thumb|150px| brahmaputr • REDIRECT [[chitr:Brahmaputra-river-Assam.jpg|thumb|150px| sahayak nadiyaan [[chitr:Yamuna-Mathura-2.jpg|thumb|150px| himalay se nikalane vali nadiyaan ka apavah pratiroop bhautik drishti se desh mean prayaddhipettar tatha prayaddhipiy nadi pranaliyoan ka vikas hua hai, jinhe kramashah himalay ki nadiyaan evan dakshin ke pathar ki nadiyaan ke nam se bhi sambodhit kiya jata hai. himalay athava poorvivarti apavah is prakar ka apavah tab vikasit hota hai, jab koee nadi apane marg mean ane vali bhautik badhaoan ko katate hue apani purani ghati mean hi pravahit hoti hai. is apavah pratiroop ki nadiyoan dvara sarit apaharan ka bhi udaharan prastut kiya jata hai. himalay se nikalane vali sindhu, kramahin apavah jab koee nadi apani pramukh shakha se viparit disha se akar milati hai tab kramahin ya akramavarti apavah pratiroop ka vikas ho jata hai. brahmaputr mean milane vali sahayak nadiyaan - ...

भारत में गरम दल आंदोलन का पिता किसे कहा जाता है?

Explanation : भारत में गरम दल आंदोलन का पिता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) को कहा जाता है। बंगाल विभाजन के बाद से ही कांग्रेस में मतभेद उभरकर सामने आने लगे थे और ये पार्टी दो विचारधाराओं में बंट गई थी। एक विचारधारा के लोग वो थे जो शांति से अंग्रेजों से बात करके या अंग्रेजी हुकूमत के सहयोग से सरकार बनाना चाहते थे, वहीं दूसरी विचारधारा के लोग शुद्ध रूप से अंग्रेजों से मुक्त होकर अपनी सरकार बनाना चाहते थे। 26 दिसंबर, 1907 को सूरत अधिवेशन का आयोजन किया गया। गरम दल ने सूरत कांग्रेस का अध्यक्ष पहले लोकमान्य तिलक को और बाद में लाला लाजपत राय को बनाना चाहा, परंतु नरम दल ने डॉ. रासबिहारी घोष को अधिवेशन का अध्यक्ष बनाया। अधिवेशन में कांग्रेस का दो भागों में विभाजन हो गया। 1916 में कांग्रेस के ‘लखनऊ अधिवेशन’ में पुनः दोनों दलों का आपस में विलय हो गया। साथ ही यहां मुस्लिम लीग संग भी समझौता किया गया। इसमें भारत सरकार के ढांचे और हिन्दू तथा मुसलमान समुदायों के बीच सम्बन्धों के बारे में प्रावधान था। मोहम्मद अली जिन्नाह और बाल गंगाधर तिलक इस समझौते के प्रमुख निर्माता थे। कांग्रेस की दोनों विचारधाराओं के बीच में बिल्कुल समानता नहीं थी। गरम दल के नेता कांग्रेस में मौजूद वे नेता थे जो यह मानते थे कि अंग्रेज भारत में शासन करने आए हैं और उनकी भारतीयों की भलाई में कोई रुचि नहीं है। यह नेता मानते थे कि बिना आंदोलन अंग्रेजों को दबाव में नहीं लाया जा सकता और उन्हें सुधार के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। गरम दल के प्रमुख नेताओं को लाल, बाल, पाल, के नाम से जाना जाता है। अर्थात लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल। ब्रिटिश राज में ही स्वशासन आ जाए। इस विचारधारा के नेताओ...