बहुआयामी गरीबी सूचकांक

  1. बहुआयामी निर्धनता सूचकांक कब अपनाया गया? – ElegantAnswer.com
  2. नीति आयोग ने अपनी पहली बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट जारी की
  3. नीति आयोग की पहली MPI रिपोर्ट जारी बिहार झारखंड और यूपी सबसे निर्धन राज्यों में शुमार जानें
  4. बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index) जारी किया गया
  5. सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के 9 वर्ष
  6. ‘भारत में 400 मिलियन से अधिक लोग गरीबी से बाहर’
  7. राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक : नीति आयोग


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बहुआयामी निर्धनता सूचकांक कब अपनाया गया? – ElegantAnswer.com

बहुआयामी निर्धनता सूचकांक कब अपनाया गया? इसे सुनेंरोकेंमानव विकास रिपोर्ट 1997 ने मानव गरीबी सूचकांक (एचपीआई) की अवधारणा पेश की लेकिन मानव विकास रिपोर्ट ने इसे वर्ष में बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) से बदल दिया। बहुआयामी निर्धनता का प्रतिवेदन कौन जारी करता है? इसे सुनेंरोकेंराष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक: बेसलाइन रिपोर्ट राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 पर आधारित है, जिसे 2015-16 में संचालित किया गया था। एनएफएचएस का संचालन भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस) द्वारा किया जाता है। गरीबी के विभिन्न आयाम क्या हैं? इसे सुनेंरोकेंकई अर्थों को समझने की आवश्यकता बहुआयामी के रूप में गरीबी : गरीब लोगों में खराब स्वास्थ्य, पोषण, पर्याप्त स्वच्छता और साफ पानी की कमी, सामाजिक बहिष्कार, कम शिक्षा, खराब आवास की स्थिति, हिंसा, शर्म, विघटन और बहुत कुछ शामिल करने के लिए बीमार होने का वर्णन है। बहुआयामी गरीबी सूचकांक में कौन सा एक शामिल नहीं है? इसे सुनेंरोकेंइसके अनुसार वर्ष 2011-12 में यदि कोई शहरी परिवार अपने मासिक खर्चों के लिए यदि 1407 रुपये खर्च करता है तो वह गरीबी रेखा से नीचे नहीं गिना जाएगा। वहीं ग्रामीण परिवारों के लिए यह सीमा 972 रुपये तक सीमित की गई थी। इस आधार पर भारत में 29.5 फीसदी आबादी को गरीब आबादी के रूप में चिन्हित किया गया। नीति आयोग द्वारा जारी देश का पहला बहुआयामी गरीबी सूचकांक MPI में कौन सा राज्य सबसे गरीब है? इसे सुनेंरोकेंविस्तार नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के अनुसार, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश भारत के सबसे गरीब राज्यों के रूप में उभरे हैं। सूचकांक के अनुसार, बिहार...

नीति आयोग ने अपनी पहली बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट जारी की

नीति आयोग ने हाल ही में बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) रिपोर्ट जारी की थी. यह नीति आयोग द्वारा जारी पहली MPI रिपोर्ट थी जिसमें भारत के गरीब राज्यों को रेखांकित किया गया है. मुख्य बिंदु • नीति आयोग के MPI रिपोर्ट के अनुसार बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश देश के सबसे निर्धन राज्यों में शामिल हैं. बिहार की 51.91 प्रतिशत आबादी गरीब है. इसके बाद झारखंड का स्थान है. वहां की 42.16 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करती है. उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है, जहां के 37.79 प्रतिशत लोग निर्धन हैं. मध्य प्रदेश में 36.65 प्रतिशत और मेघालय में 32.67 प्रतिशत लोग गरीब हैं. • देश के जिन राज्यों में सबसे कम गरीबी है, उनमें केरल (0.71 प्रतिशत) शीर्ष पर है. इसके बाद गोवा (3.76 प्रतिशत), सिक्किम (3.82 प्रतिशत), तमिलनाडु (4.89 प्रतिशत) और पंजाब (5.59 प्रतिशत) का स्थान है. • केंद्र शासित प्रदेशों में दादरा और नगर हवेली में सबसे ज्यादा गरीबी है. वहां 27.36 प्रतिशत लोग गरीब हैं. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 12.58 प्रतिशत और दिल्ली में 4.79 प्रतिशत लोग गरीब हैं. • बिहार में कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या भी सबसे ज्यादा है. इसके बाद झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ का स्थान है. • मातृत्व स्वास्थ्य से वंचित आबादी, स्कूल नहीं जाने, रसोई ईधन और बिजली से वंचित लोगों के मामले में भी बिहार की स्थिति सबसे खराब है. स्वच्छता से वंचित आबादी के मामले में झारखंड की रैंकिंग सबसे खराब है. • बाल और किशोर मृत्यु दर श्रेणी में उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन सबसे खराब है. इस मामले में इसके बाद बिहार और मध्य प्रदेश का स्थान है. बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) क्या है? • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (National Multidime...

नीति आयोग की पहली MPI रिपोर्ट जारी बिहार झारखंड और यूपी सबसे निर्धन राज्यों में शुमार जानें

नीति आयोग की पहली MPI रिपोर्ट जारी, बिहार, झारखंड और यूपी सबसे निर्धन राज्यों में शुमार, जानें- दिल्‍ली का हाल नीति आयोग ने अपनी पहली बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआइ) रिपोर्ट में भारत के गरीब राज्‍यों को रेखांकित किया गया है। क्‍या आप जानते हैं कि इस रिपोर्ट में सबसे गरीब राज्‍या कौन है। क्‍या आप जानते हैं कि ब‍िहार में कितने फीसद आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। नई दिल्ली, एजेंसी। नीति आयोग ने अपनी पहली बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआइ) रिपोर्ट में भारत के गरीब राज्‍यों को रेखांकित किया गया है। क्‍या आप जानते हैं कि इस रिपोर्ट में सबसे गरीब राज्‍या कौन है। क्‍या आप जानते हैं कि ब‍िहार में कितने फीसद आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। नीति आयोग की इस रिपोर्ट में यूपी की क्‍या स्थिति है। आइए हम आपको बताते है इस रिपोर्ट में देश के तीन निर्धन राज्‍यों के बारे में। इसके साथ देश के अन्‍य राज्‍यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के बारे में भी जानेंगे। नीति आयोग ने अपनी पहली एमपीआइ रिपोर्ट में कहा है कि बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश देश के सबसे निर्धन राज्यों में शामिल हैं। सूचकांक के अनुसार, बिहार की 51.91 प्रतिशत आबादी गरीब है। इसके बाद झारखंड का नंबर है। वहां की 42.16 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करती है। उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है, जहां के 37.79 प्रतिशत लोग निर्धन हैं। मध्य प्रदेश में 36.65 प्रतिशत और मेघालय में 32.67 प्रतिशत लोग गरीब हैं। देश के जिन राज्यों में सबसे कम गरीबी है, उनमें केरल (0.71 प्रतिशत) शीर्ष पर है। इसके बाद गोवा (3.76 प्रतिशत), सिक्किम (3.82 प्रतिशत), तमिलनाडु (4.89 प्रतिशत) और पंजाब (5.59 प्रतिशत) का स्थान है। केंद्र शासित प्रदेशों में दादरा और नगर हवेली म...

बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index) जारी किया गया

मुख्य निष्कर्ष • MPI 2022 को “Unpacking deprivation bundles to reduce multidimensional poverty” शीर्षक के तहत जारी किया गया है। • 111 देशों में 1.2 अरब लोग (19.1%) तीव्र बहुआयामी गरीबी (acute multidimensional poverty) में रहते हैं। इनमें से 593 मिलियन (50%) 18 साल से कम उम्र के नाबालिग हैं। • बहुआयामी गरीबी के उच्चतम प्रसार वाला विकासशील क्षेत्र उप-सहारा अफ्रीका (लगभग 579 मिलियन) है, इसके बाद दक्षिण एशिया (385 मिलियन) है। • महामारी ने बहुआयामी गरीबी में हुई प्रगति को उलट दिया है। • बार-बार घरेलू सर्वेक्षणों की कमी के कारण, गरीबी पर महामारी के वास्तविक प्रभाव का आकलन करना मुश्किल है। • लगभग 45.5 मिलियन गरीब लोगों के पास खाना पकाने के ईंधन, आवास, स्वच्छता और पोषण तक पहुंच नहीं है। उनमें से अधिकांश भारत में रहते हैं और बाकी बांग्लादेश और पाकिस्तान में हैं। भारत • पहली बार, इस रिपोर्ट ने भारत में गरीबी की 15 साल की प्रवृत्ति पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक विशेष खंड समर्पित किया। • पिछले 15 वर्षों में, गरीब लोगों की संख्या में 415 मिलियन की गिरावट आई है। • हालांकि, भारत में अभी भी दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब लोग हैं और नाइजीरिया में दूसरी सबसे ज्यादा गरीब आबादी है। • हालांकि बच्चों में गरीबी तेजी से घटी है, भारत में गरीब बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है। देश में 97 मिलियन बच्चे (21.8% भारतीय बच्चे) गरीब हैं। • 60 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 94 मिलियन (8.1 प्रतिशत) लोग गरीब हैं। • 2019-2021 के आंकड़ों से पता चला है कि भारत में लगभग 16.4 प्रतिशत आबादी गरीब है। इनमें से 4.2 प्रतिशत अत्यधिक गरीबी में रहते हैं। • लगभग 18.7 प्रतिशत आबादी कमजोर है और अत्यधिक गरीबी में धकेले जाने की संभावना...

सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के 9 वर्ष

• 8 hours ago • 14 hours ago • 15 hours ago • 18 hours ago • 18 hours ago • 19 hours ago • 22 hours ago • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 39.9°C 2023 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के 9 वर्ष पूरे हो चुके हैं। ये 9 वर्ष समावेशी, प्रगतिशील और सतत विकास लाने के लिए सर्मपितरहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार अपने सभी नागरिकों के लिए समानता और अवसरों के सृजन की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रही है। 2014 में पदभार ग्रहण करने के बाद से, प्रधानमंत्री मोदी हर नीति निर्माण और इसे कार्यान्वित करने में भारत प्रथम के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने के अपने संकल्प पर अडिग रहे हैं। यह संकल्प सरकार की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा, आर्थिक प्रबंधन, वंचित समूहों के लिए सशक्तिकरण योजनाओं, सांस्कृतिक संरक्षण के प्रयासों आदि के लिए समाधान निकालने में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने पिछले 9 वर्षों में, प्रत्येक भारतीय को सशक्त बनाने के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं को लांच और कार्यान्वित किया। सरकार के कल्याण संबंधी प्रावधान और गरीबी उन्मूलन के प्रयासों को वैश्विक संस्थानों से मान्यता मिली है। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) के एक पेपर ने देश में अत्यधिक गरीबी को समाप्त करने के लिए मोदी सरकार को श्रेय दिया है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू.एन.डी.पी.) और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओ.पी.एच.आई.) द...

‘भारत में 400 मिलियन से अधिक लोग गरीबी से बाहर’

कीवर्ड : आर्थिकसर्वेक्षण, एसडीजी, गरीबी, प्रगतिशील, असमानताएं, बहुआयामीगरीबी, आउट-ऑफ-पॉकेटव्यय, सामाजिकसुरक्षा। संदर्भ : • संसदमेंपेशकिएगएआर्थिकसर्वेक्षण 2022-23 केअनुसार, 2005-06 से 2019-2021 केबीच 400 मिलियनसेअधिकभारतीय, गरीबीसेबाहरनिकलेहैं। • आर्थिकसर्वेक्षणमेंकहागयाहैकिसामाजिककल्याणपरध्यानकेन्द्रितकरनासमकालीनपरिदृश्यमेंअधिकप्रासंगिकहोगयाहैक्योंकिभारतनेसंयुक्तराष्ट्रएसडीजी 2030 कोअपनायाहै, जोव्यापक, दूरगामी, जन-केंद्रित, सार्वभौमिकऔरपरिवर्तनकारीलक्ष्योंकाएकसम्मुचय (सेट) है। मुख्यविचार: • सर्वेक्षणमेंअक्टूबर 2022 मेंजारीसंयुक्तराष्ट्रविकासकार्यक्रम (यूएनडीपी) कीवैश्विकबहुआयामीगरीबीसूचकांक (एमपीआई) 2022 रिपोर्टकेप्रमुखनिष्कर्षोंपरप्रकाशडालागया, जिसमें 111 विकासशीलदेशोंकोशामिलकियागयाहै। • सर्वेक्षणमेंकहागयाहैकि 2005-06 से 2019-2021 तक 41 करोड़ (410 मिलियन) सेअधिकलोगगरीबीसेबाहरनिकलेहैं, 2030 तकगरीबीकोआधाकरनेकेसततविकासलक्ष्यकीदिशामेंप्रगतिकाप्रदर्शनकिया, जैसाकिसंयुक्तराष्ट्रबहुआयामीगरीबीसूचकांकद्वारामापागयाहै। गरीबी : • गरीबीकोमुख्यरूपसेएकसभ्यजीवनकेलिएमौद्रिकसाधनोंकीकमीकेरूपमेंमापाजाताहै, उदाहरणकेलिएस्वास्थ्यसेवा, स्वच्छपेयजलऔरशिक्षाकीगुणवत्तातकपहुंचमेंकमी। • हालाँकि, परिभाषाकेअनुसार 'गरीबी' केव्यापकनिहितार्थहैंजोएकहीसमयमेंकईस्तरपरप्रकटहोतेहैंजैसेखराबस्वास्थ्ययाकुपोषण, स्वच्छताकीकमी, स्वच्छपेयजलयाबिजली, शिक्षाकीखराबगुणवत्ताआदि। • इसलिएगरीबीकीवास्तविकऔरव्यापकतस्वीरबनानेकेलिएबहुआयामीगरीबीकीअवधारणाकाउपयोगकियाजाताहै। • संयुक्तराष्ट्रकीरिपोर्टमेंकहागयाहैकिभारतकी 16.4 % आबादी (2020 में 228.9 मिलियन) बहुआयामीरूपसेगरीबथीऔरअन्य 18.7% (2020 में 260.9 मिलियन) इसकीचपेटमेंथी। • सर्वेक्षण...

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक : नीति आयोग

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