छठ पूजा पर निबंध 100 लाइन

  1. Chhath Puja Essay In Hindi
  2. छठ पूजा पर निबंध
  3. ऊब छठ की व्रत की विधि । Method Of Fasting Of Ub Chhath
  4. वसंत ऋतु पर निबंध
  5. सरस्वती पूजा पर निबंध 2023
  6. छठ पूजा पर निबंध हिंदी में । Essay On Chhath Puja In Hindi


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Chhath Puja Essay In Hindi

प्रस्तावना (Introduction) हम सभी अपने भारत देश के त्यौहारों की विविधता को जानते हैं। अलग अलग राज्यों में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक व पारम्परिक त्यौहारों का प्रचलन कई सदियों से चला आ रहा है। इन्हीं त्यौहारों में बिहार व उ०प्र० में मनाया जाने वाला त्यौहार छठ पूजा भी शामिल है। इस त्योहार के बारे में बहुत से लोग अक्सर सुनते रहते हैं। लेकिन उन्हें इसकी पर्याप्त जानकारी नहीं है। इस निबंध में हम प्रयास करेंगे कि आपको छठ पूजा के बारे सभी जरूरी बातें बता सकें। चलिए शुरू करते हैं- हिंदी में 10 वाक्य निबंध भी पढ़ें: होली पर 10 लाइन निबंध (10 Lines on Essay on Holi in Hindi) छठ पूजा क्या है? (What is Chhath Pooja) छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार व उ०प्र० (पूर्वांचल) के निवासियों द्वारा मनाया जाने वाला एक सांस्कृतिक त्यौहार है। छठ पूजा को बहुत लंबे समय से कई पीढ़ियों द्वारा मनाया जाता है। यह त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आता है। यह दीपावली से बाद आने वाले त्योहारों में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। हालांकि यह वर्ष में दो बार आता है। हिन्दू कैलेंडर का अनुसार चैत्र माह में पहली छठ पूजा तथा कार्तिक मास में दूसरी छठ पूजा लोग उत्साह के साथ मनाते हैं। मुख्य रूप से यह तीन दिनों तक मनाया जाता है। इसमें लोग व्रत उपवास आदि भी करते हैं। हम इस दिन देवी माता षष्ठी (छठी मैया) तथा सूर्य देव की पूजा अर्चना करते हैं। सूर्य देव इस पृथ्वी को निरंतर जीवन प्रदान करते हैं इसलिए इस दिन उनकी पूजा जाता है तथा छठी माता को सूर्य देव की बहन माना जाता है इसलिए उनकी भी अर्चना होती है। छठ पूजा करने की विधि/तरीका (How to perform Chhath Pooja) छठ पूजा के लिए इन चार दिनों में व्रत रखना अहम होता है। छठ व्...

छठ पूजा पर निबंध

छठ पूजा पर निबंध [Essay On Chhath Puja In Hindi] प्रस्तावना :- जिस प्रकार दुर्गा पूजा, दिपावली आदि त्योहारो को हिंदुओं में धूमधाम से मनाया जाता है। उसी प्रकार छठ पूजा भी हिंदुओ का प्रमुख त्योहार है। लेकिन इस त्योहार का उत्साह और रोनक सबसे अधिक बिहार में देखने को मिलती है। छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्यदेव की उपासना का पर्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार छठ मइया सूर्यदेवता की बहन है और कहा जाता है कि सूर्यदेवता की उपासना से छठ मइया प्रसन्न होती है और घरों में शुख शांति और धन धान्य से सम्पन्न करती है। इसलिए छठ पूजा को लोग धूमधाम से मनाते है। छठ पूजा कब मनाते है:- भगवान सूर्यदेव के प्रति भक्तों के अटूट आस्था का अनूठा पर्व छठ पर्व हिन्दू पंचाग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। वैसे छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। चेत्र शुक्ल षष्ठी, व कार्तिक शुक्ल षष्ठी इन दो तिथियों को यह पर्व मनाया जाता है हालांकि कार्तिक शुक्ल षष्ठी वको मनाए जाने वालों छठ पूजा मुख्य मानी जाती है। कार्तिक छठ पूजा का विशेष महत्व माना जाता हैं। छठ माता को किस किस नाम से जाना जाता है :- छठ पूजा चार दिन तक बहुत धूमधाम से मनाने वाला पर्व है। इसे डाला छठ, छठी मइया, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा आदि नामसे जाना जाता है। छठ पूजा क्यों करते है:- छठ पूजा बिहार का मुख्य त्योहार है। छठ का त्योहार भगवान सूर्य देवता का धरती पर धनधान्य की प्रचुरता के लिए धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है लोग विशेष इच्छाओं की पूर्ति के लिए इस पर्व को मनाते है। इस पर्व का आयोजन मुख्यत गंगा के तट पर होता है और कुछ गांवों पर महिलाएं छोटे तालाबो अथवा पोखरों के किनारे ही धूमधाम से इस पर्व को मनाते है...

ऊब छठ की व्रत की विधि । Method Of Fasting Of Ub Chhath

ऊब छठ का व्रत सुहागिन महिलाएं सुहाग की दीघार्यु की कामना और कुंआरी कन्याएं मन चाहे पति की कामना के उद्देश्य से करती है। भाद्र पद माह की कृष्ण पक्ष की छठ (षष्टी तिथि) को ऊब छठ का पर्व मनाया जाता है। ऊब छठ को चन्दन षष्टी, चन्ना छठ और चाँद छठ के नाम से भी महिलाएं जानती हैं। Usually, Ub Chath comes on sixth day of Raksha Bandhan and two days before Krishna Janmashtami. भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म दिन, Bhadrapad Krishna paksh , को ऊब छठ, ‘चंदन षष्ठी’ के रूप में उल्लास से मनाया जाता है। संध्या के समय व्रत रखने वाली महिलाएं और कुंआरी कन्याएं मंदिरों में ठाकुरजी के दर्शन के साथ, परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। प्रतिकात्मक तस्वीर सोर्स गूगल ऊब छठ का व्रत रखने वाली सुहागिनें और कुंवारी कन्याएं सूर्यास्त से चंद्रोदय तक खड़े रहकर मंदिरों में ठाकुरजी के दर्शन कर पूजन पाठ संपन्न करती हैं इतना ही नहीं पौराणिक धार्मिक कथाओं का भी व्रत करने वाली उपासक श्रवण करती हैं। सुहागिनें रात में चंद्रमा निकलने पर चंद्रमा जी को अर्ध्य देने के बाद व्रत का पालना करती हैं। सूर्यास्त से लेकर चंद्रोदय तक व्रती खड़े रहते है, इसीलिए इसको ऊब छठ कहा जाता हैं। Table of Contents • • • • कुमकुम, चावल, चन्दन, सुपारी, पान, कपूर, फल, सिक्का, सफ़ेद फूल, अगरबत्ती, दीपक। READ Too : ऊब छठ की पूजा विधि / Ub Chhath Pooja Vidhi • सुहागिन स्त्रियां ऊब छठ पर पूरा दिन निर्जला व्रत रखती है। • सूर्यास्त के बाद दुबारा स्नान कर स्वच्छ और नए कपड़े पहनती है। • कुछ महिलाएं लक्ष्मी जी और और गणेश जी की पूजा करते है और कुछ अपने इष्ट की। • चन्दन घिसकर भगवान को चन्दन से तिलक करके अक्षत अर्पित किए जाने की धार्मिक मान्यता है...

वसंत ऋतु पर निबंध

Contents • • • बसंत ऋतु पर निबंध 100 शब्द सर्दी के मौसम के बाद वसंत ऋतु का आगमन होता है। यह कड़ाके की ठण्ड से राहत दिलाता है और इस मौसम में न तो अधिक ठण्ड होती है न ही अधिक गर्मी। इस ऋतु में पेड़-पैधों में नई पत्तियां आती हैं, चारो ओर पक्षियों की मनमोहक आवाजें सुनाई देतीं हैं। वसंत ऋतु में प्रकृति की खूबसूरती देखते ही बनती है इसलिए इसे ऋतुओं का राजा कहा जाता है। बंसत ऋतु के आगमन पर बंसत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। बंसत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती का जन्मदिवस भी होता है। महाशिवरात्रि, होली, बैसाखी जैसे त्यौहार भी इस ऋतु में आते हैं और बड़े धूमधाम से मनाये जाते हैं। वसंत ऋतु समस्त प्राणी जगत में एक नयी उर्जा का संचार करता है और यह ऋतु हर किसी को पसंद है। यह भी पढ़ें: बसंत ऋतु पर निबंध 150 शब्द भारत में फरवरी और मार्च में वसंत ऋतु आता है। वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा या ऋतुराज बसंत भी कहा जाता है। इस ऋतु के आने से प्रकृति में कई सारे बदलाव होते हैं। वृक्षों पर नए पत्ते आ जाते हैं, आम के पेड़ पर बौर लग जाते हैं, सरसों के खेतों में पीले-पीले खूबसूरत फूल खिल उठते हैं। कोयल की कू-कू बड़ी ही प्यारी लगती है। इन दिनों आसमान साफ़ होता है और दिन में पक्षी उड़ते हुए दिखाई देते हैं और रात में चाँद की चांदनी मनमोहक दिखाई देती है। वसंत ऋतु के आगमन से किसानो की फसलें भी पकने लगतीं हैं। पेड़-पौधे, सभी जीव-जंतु और मनुष्य इस मौसम में जोश और उल्लास से भरे होते हैं। बसंत ऋतु बहुत ही सुहावना होता है। यह स्वास्थ्य के लिए भी एक अच्छा मौसम होता है क्योंकि इन दिनों वातावरण का तापमान सामान्य होता है। इस समय स्कूल में परीक्षाएं भी होती हैं और परीक्षा खत्म होते ही गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हो जाती ...

सरस्वती पूजा पर निबंध 2023

वैसे तो भारत देश में अनेको धर्म के अनेक त्यौहार मनाये जाते है उनमे से हिन्दू धर्म में वसंत पंचमी यानी माँ सरस्वती पूजा का भी विशेष महत्व है हिन्दू धर्म में माँ सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है तो स्वाभाविक है की इस सभी पढने वाले विद्यार्थी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करते है और माँ सरस्वती की पूजा बसंत ऋतू के पाचवे दिन यानी पंचमी को पढता है तो इसे वसंत पंचमी पूजा | Vasant Panchami Puja | Saraswati Puja भी कहा जाता है, Saraswati Puja – वसंत पंचमी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार | Festival है इस दिन विद्या की आराध्य देवी माँ सरस्वती की पूजा | Maa Saraswati की पूजा की जाती है पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जहा पर 6 ऋतुये पाई जाती है जिन्हें हम बसंत ऋतु , ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु , शरद ऋतु, हेमन्त ऋतु और शिशिर ऋतु अर्थात पतझड़ के नाम से जानते है जिनमे बसंत ऋतु का मौसम काफी सुहावना माना जाता है और बसंत ऋतु को ऋतुओ का राजा यानी ऋतुराज भी कहा जाता है, क्यूकी इस मौसम में पूरी धरती हरियाली से भर जाती है और भारत जैसे देश कृषी प्रधान देश होने के कारण इस मौसम में खेती गेहू और सरसों की खेती की जाती है गेहू के खेत जो की पूरी धरी को मानो हरे रंग की साड़ी से ढक लेती है तो तो पीले सरसों के खेत तो मानो धरती की सुन्दरता में सोने जैसे चार चाँद लगा देते है और इन सब हरियाली को देखकर हर किसी का मन मोहक हो जाता है.. Saraswati Puja – हिन्दू धर्म के अनुसार यह माघ महीनें में जब बसंत ऋतु का आगमन होता है तो माघ महीने के 5वे दिन यानी पंचमी को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है इस दिन स्कूल कॉलेज में माँ सरस्वती पूजन के रूप में मनाया जाता है इस दिन सभी विद्यार्थी विद्या की देवी माँ सरस्वती की प...

छठ पूजा पर निबंध हिंदी में । Essay On Chhath Puja In Hindi

दीवाली के छठे दिन पूर्वांचल वासियों द्वारा छठ पर्व मनाया जाता है। पुत्र की सलामती के लिए व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि छठ व्रत करने से पुत्र को दीर्घायु मिलती है। ब्रह्मा जी के कहने पर माता पार्वती ने छठ व्रत किया था। इस त्योहार में भगवान सूर्य और छठ माता की आराधना की जाती है। मुख्य रूप से यह त्योहार बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। लोक संकृति की छठा छठ पूजा नेपाल के तराई क्षेत्रों में भी उत्साह से मनाया जाता है। हिन्दुओं के अलावा इस्लाम एवं अन्य धर्म के कुछ लोग भी इस त्योहार को पूरी श्रद्धा से मानते हैं। छठ पूजा के महत्व से जुड़ी अन्य जानकारी एवं छठ पूजा पर निबंध यहां से देख सकते हैं। छठ पूजा पर निबंध हिंदी में छठ पूजा पर निबंध 400 वर्ड्स में पूर्वांचल वासियों की अगाध आस्था के त्योहारों में से एक छठ है। यह वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहला है चैती छठ और दूसरा है कार्तिकी छठ। चैती छठ को चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। वहीं कार्तिकी छठ कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। छठ के दौरान विभिन्न प्रकार के कद मूल फलों का उपयोग कर सूर्य को अर्घ देने का विशेष महत्व है। बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अन्य हिस्सों के साथ इसे नेपाल, मॉरीशस एवं अन्य देशों में भी उल्लास के साथ मनाया जाता है। लोक आस्था का पर्व चार दिनों तक चलता है। पर्व की शुरुआत नहाय – खाय से होती है। इस दिन गंगा के पवित्र जल से स्नान करने के बाद भोजन बनाया जाता है। व्रतिया इस दिन दाल, लौकी की सब्जी और रोटी का सेवन किया जाता है। नहाय – खाय के बाद घर में बनने वाले भोजन में नमक का प्रयोग व्रजित होता है। दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। खरना...

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