डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध

  1. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध हिंदी में
  2. Sarvepalli Radhakrishnan : सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन पर हिंदी निबंध
  3. Teachers Day 2022: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा लिखित सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें
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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध हिंदी में

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन, शिक्षा और देश सेवा के लिए समर्पित था। उनका जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरूतनी ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी और माता का नाम सीतम्मा था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा तिरुपति और वेल्लूर में हुई। वे बहुत मेधावी थे। 12 साल की उम्र में ही उन्हें बाइबिल और स्वामी विवेकानंद के दर्शन का ज्ञान हो गया था। आगे की पढ़ाई उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से की। उन्होंने दर्शनशास्त्र में एम.ए. की डिग्री हासिल की। उसके बाद वे मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में सहायक अध्यापक के रूप में छात्रों को पढ़ाने लगे। अपने दार्शनिक ज्ञान के कारण वे विदेशों में भी लोकप्रिय हो गए। कई सालों तक वे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी शिक्षक रहे। उन्होंने अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय में भी अध्यापन किया था। 1947 में जब देश आजाद हुआ तो डॉ. राधाकृष्णन ने यूनेस्को में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 1949 से 1952 तक वे सोवियत संघ में भारत के राजदूत भी रहे। 1952 में उन्हें भारत का पहला उपराष्ट्रपति बनाया गया। 1962 में वह भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने। इस पद पर वे 1967 तक आसीन रहे। उन्हें कई पुरस्कार भी मिले थे। किताबें भी लिखीं, जिनमें ‘भारतीय दर्शन’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। अंग्रेजों के राज में डॉ. राधाकृष्णन को ‘नाइटहुड’ यानी ‘सर’ की उपाधि दी गई थी। 1954 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें ‘भारत रत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया। उन्हें विश्व शांति पुरस्कार’ से भी नवाजा गया था। इसके अलावा कई बार नोबेल पुरस्कार के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया गया था। राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे बहुत ही विनम्र स्वभाव के थे। हर आदमी उनसे आसानी से मिल सकता था। उन...

Sarvepalli Radhakrishnan : सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन पर हिंदी निबंध

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। शिक्षक समाज के ऐसे शिल्पकार होते हैं जो बिना किसी मोह के इस समाज को तराशते हैं। शिक्षक का काम सिर्फ किताबी ज्ञान देना ही नहीं बल्कि सामाजिक परिस्थितियों से छात्रों को परिचित कराना भी होता है। जीवन परिचय- 5 सितंबर 1888 को चेन्नई से लगभग 200 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित एक छोटे से कस्बे तिरुताणी में डॉक्टर राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वी. रामास्वामी और माता का नाम श्रीमती सीता झा था। रामास्वामी एक गरीब ब्राह्मण थे और तिरुताणी कस्बे के जमींदार के यहां एक साधारण कर्मचारी के समान कार्य करते थे। डॉक्टर राधाकृष्णन अपने पिता की दूसरी संतान थे। उनके चार भाई और एक छोटी बहन थी छः बहन-भाईयों और दो माता-पिता को मिलाकर आठ सदस्यों के इस परिवार की आय अत्यंत सीमित थी। इस सीमित आय में भी डॉक्टर राधाकृष्णन ने सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। उन्होंने न केवल महान शिक्षाविद के रूप में ख्याति प्राप्त की, बल्कि देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद को भी सुशोभित किया। वह शुरू से ही एक मेधावी छात्र थे। अपने विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने बाइबल के महत्वपूर्ण अंश याद कर लिए थे, जिसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान भी प्रदान किया गया था। उन्होंने वीर सावरकर और विवेकानंद के आदर्शों का भी गहन अध्ययन कर लिया था। सन 1902 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा अच्छे अंकों में उत्तीर्ण की जिसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की गई। स्वयं उनके पुत्र ने भी माना कि उनके पिता की व्यक्तिगत ज़िदंगी के विषय में लिखना एक बड़ी चुनौती थी और एक नाजुक मामला भी। ल...

Teachers Day 2022: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा लिखित सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें

डॉसर्वपल्लीराधाकृष्णनएकमहानव्यक्तिथे।वेराजनितिक, एकादमिकक्षेत्रोंकेसाथ-साथसाहित्यिकजगतमेंभीकाफीलोकप्रियथे।सर्वपल्लीराधाकृष्णनकोफिलॉसफीमेंखासप्रकारकीरुचिथी।जिसवजहसेउन्होंनेअपनीपहलीपुस्तकरवींद्रनाथटैगोरकीफिलॉसफीपरलिखीजिसाप्रकाशन 1918 मेंकियागयाथा।इसकेअलावाभीराधाकृष्णननेअपनीकईपुस्तकेफिलॉसफीविषयसेजुड़ीहुईलिखीथी।राधाकृष्णनकोसाहित्यक्षेत्रमें 16 बारनोबलपुरस्कारकेलिएनामांकितकियागयाथाजोकिकिसीभीसाहित्यकारकेलिएगर्वकीबातहोतीहै। • राधाकृष्णनद्वारालिखीगईपहलीपुस्तकवर्ष 1918 मेंफिलॉसफीऑफरवींद्रनाथटैगोरथी। • उनकीदूसरीपुस्तक 1923 मेंप्रकाशितहुईथीजिसकानामइंडियनफिलॉसफीथा। • 1926 मेंप्रकाशितदहिंदूव्यूऑफलाइफराधाकृष्णनकीतीसरीपुस्तकथीजोहिंदूदर्शनऔरमान्यताओंसेसंबंधितथी। • राधाकृष्णनकीचौथीपुस्तकजीवनकाएकआदर्शवादीदृष्टिकोण 1929 मेंप्रकाशितहुईथी। • औरउसीवर्षउनकीकल्किदफ्यूचरऑफसिविलाइजेशनपुस्तकप्रकाशितहुईथी। • उन्होंनेवर्ष 1939 मेंअपनीछठीपुस्तक 'ईस्टर्नरिलिजन्सएंडवेस्टर्नथॉट' प्रकाशितकी। • डॉराधाकृष्णनद्वारालिखितउनकीसातवींपुस्तकधर्मऔरसमाज 1947 मेंप्रकाशितहुईथी। • 1948 मेंउन्होंनेभगवद्गीता: एकपरिचयात्मकनिबंधकेसाथ, संस्कृतपाठ, अंग्रेजीअनुवादऔरनोट्सप्रकाशितकिएथे। • 1950 मेंउनकीपुस्तकदधम्मपदउनकीआठवींपुस्तककेरूपमेंप्रकाशितहुई। • सर्वपल्लीराधाकृष्णनकीदसवींपुस्तकदप्रिंसिपलउपनिषद 1953 मेंप्रकाशितहुईथी। • राधाकृष्णनकीपुस्तकरिकवरीऑफफेथ 1956 मेंप्रकाशितहुईथी। • उनकीबारहवींपुस्तकएसोर्सबुकइनइंडियनफिलॉसफी 1957 मेंप्रकाशितहुईथी। • राधाकृष्णनद्वारालिखितब्रह्मसूत्र: आध्यात्मिकजीवनकादर्शनपुस्तककाप्रकाशन 1959 मेंप्रकाशितहुआथा। • डॉसर्वपल्लीराधाकृष्णनकीअंतिमपुस्तकधर्म, विज्ञानऔरसंस्कृतिथीजोकि 1968 मेंप्रकाशितहुईथी। Dr Sar...

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध

विषय सूची • • • • डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध | Essay On Sarvepalli Radhakrishnan In Hindi डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध (200 शब्द) डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम तो सुना होगा। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1881 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। शुरुआत की शिक्षा इनकी साधारण रही और उसके पश्चात उन्होंने कई उपाधियाँ हासिल की। डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्ण की शादी 16 वर्ष की उम्र में हो गई थी और 30 वर्ष की उम्र में इन्होंने नैतिक किंग जॉर्ज वी चेयर संभाली थी। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जो भारत के उपराष्ट्रपति भी रह चुके हैं। भारत के उप राष्ट्रपति के रूप में इन्होंने अपनी सेवा सन 1952 से 1962 तक दी है। सन 1975 में उन्हें पुरस्कार से भी नवाजा गया था और 1975 में ही इनका निधन हो गया। इसके पश्चात सन 1989 मे डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम की एक स्कॉलरशिप योजना शुरू हुई तो आज भी चल रही है। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्ण जो कि नेक इंसान रहे हैं और इन्होंने अपना हर 1 मिनट देश के विकास में न्योछावर किया है। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जो महान राजनीतिक नेता भी रह चुके हैं। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्ण द्वारा कई प्रकार की किताबें भी लिखी गई। सन 1923 में इनकी एक किताब भारतीय दर्शनशास्त्र प्रकाशित हुई। इन्होंने अपने जीवन में शिक्षक का किरदार भी निभाया है। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध (600 शब्द) प्रस्तावना 30 वर्ष की उम्र में इन्हें कोलकाता के वॉइस चांसलर के द्वारा मानसिक एवं नैतिक किंग जॉर्ज वी चेयर की उपाधि से नवाजा गया। सर्वपल्ली राधाकृष्णन आंध्र यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर बने। उसके पश्चात 3 वर्षों के लिएऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में नीतिशास्त्र के प्रोफ़ेसर र...

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध

'ज्यों की त्यों घर दीन्हीं नादीया' कबीर की इस उक्ति को चरितार्थ करते थे- भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन। जिस परम पवित्र रूप में वह इस पृथ्वी पर आए थे बिना किसी दाग-धब्बे के, उसी पावन रूप में उन्होंने इस वसुन्धरा से विदाई ली। लम्बे समय तक भारत के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति रहकर जब वह दिल्ली से विदा हुए, तो प्रत्येक दिल ने उनका अभिनन्दन किया। भारत के राष्ट्रपति पद की सीमा उन्हीं जैसे सादगी की ऊँची जिन्दगी जीने वाले महामानव से सार्थक हुई। अपनी ऋजुल, सौम्यता और संस्कारिता के कारण वह अजातशत्रु हो गए थे। वह उन राजनेताओं में से एक थे, जिन्हें अपनी संस्कृति एवं कला से अपार लगाव होता है। वह भारतीय सामाजिक संस्कृति से ओतप्रोत आस्थावान हिन्दू थे। इसके साथ ही अन्य समस्त धर्मावलम्बियों के प्रति भी गहरा आदर भाव रखते थे। जो लोग उनसे वैचारिक मतभेद रखते थे। उनकी बात भी वह बड़े सम्मान एवं धैर्य के साथ सुनते थे। कभी-कभी उनकी इस विनम्रता को लोग उनकी कमजोरी समझने की भूल करते थे, परन्तु यह उदारता, उनकी दृढ निष्ठा से पैदा हुई थी। उनका जन्म 5 सितम्बर, 1888 को तमिलनाडु राज्य के तिरूतनी नामक गाँव में हुआ था। जो मद्रास शहर से लगभग 50 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। उनका परिवार अत्यन्त धार्मिक था और उनके माता-पिता सगुन उपासक थे। उन्होंने प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षा मिशन स्कूल तिरूपति तथा बेलौर कॉलेज, बेलौर में प्राप्त की। सन् 1905 में उन्होंने मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज में प्रवेश किया। बी ए. और एम. ए. की उपाधि उन्होंने इसी कॉलेज से प्राप्त की। सन् 1909 में मद्रास के ही एक कॉलेज में दर्शनशास्त्र के अध्यापक नियुक्त हुए। इसके बाद वह प्रगति के पथ पर लगातार आगे बढ़ते गए तथा मैसूर एवं कल...