हिंदी पखवाड़ा पर कविता

  1. मैथिलीशरण गुप्त की कविता:नागरी और हिंदी
  2. हिंदी दिवस पर कविता
  3. हिंदी के विषय पर बेहतरीन कविता
  4. हिंदी पखवाड़ा:डाॅ ओम निश्चल की कविता
  5. 10+ पेड़ पर कविता


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मैथिलीशरण गुप्त की कविता:नागरी और हिंदी

है एक-लिपि-विस्तार होना योग्य हिंदुस्तान में— अब आ गई यह बात सब विद्वज्जनों के ध्यान में। है किंतु इसके योग्य उत्तम कौन लिपि गुण आगरी? इस प्रश्न का उत्तर यथोचित है उजागर—‘नागरी’॥ दो समझें अयोग्य न क्यों इसे कुछ हठी और दुराग्रही, लिपियाँ यहाँ हैं और जितनी श्रेष्ठ सबसे है यही। इसका प्रचार विचार से कल्याणकर सब ठौर है, सुंदर, सरल, सुस्पष्ट ऐसी लिपि न कोई और है॥ तीन सर्वत्र ही उत्कर्ष इसका हो चुका अब सिद्ध है, यह सरल इतनी है कि जिससे ‘बालबोध’ प्रसिद्ध है। अति अज्ञ जन भी सहज ही में जान लेते हैं इसे, संपूर्ण सहृदय जन इसी से मान देते हैं इसे॥ चार जैसा लिखो वैसा पढ़ो कुछ भूल हो सकती नहीं, है अर्थ का न अनर्थ इसमें एक बार हुआ कहीं। इस भाँति होकर शुद्ध यह अति सरल और सुबोध है, क्या उचित फिर इसका कभी अवरोध और विरोध है? पाँच है हर्ष अब नित बुध जनों की दृष्टि इस पर हो रही, वह कौन भाषा है जिसे यह लिख सके न सही सही? लिपि एक हो सकती यही संपूर्ण भारतवर्ष में, हित है हमारा इसी लिपि के सर्वथा उत्कर्ष में॥ छह हैं वर्ण सीधे और सादे रम्य रुचिराकृति सभी, लिखते तथा पढ़ते समय कुछ श्रम नहीं पड़ता कभी। हैं अन्य लिपियों की तरह अक्षर न इसके भ्रम भरे, कुंचित, कठिन, दुर्गम, विषम, छोटे-बड़े खोटे-खरे॥ सात गुर्जर तथा बंगादि लिपियाँ सब इसी से हैं बनी, है मूल उनका नागरी ही रूण-गुण-शोभा-सनी। अतएव फिर क्यों हो यही प्रचलित न भारत में अहो! क्या उचित शाखाश्रय कभी है मूल को तज कर कहो? आठ आरंभ से इस देश में प्रचलित यही लिपि है रही, अब भी हमारा मुख्य सब साहित्य रखती है यही। श्रुति, शास्त्र और पुराण आदिक ग्रंथ-संस्कृत के सभी, अंकित इसी लिपि में हुए थे और में न कहीं कभी॥ नौ उद्देश जिनका एक केवल देश का कल्याण था, सुर-सदृश...

हिंदी दिवस पर कविता

Hindi Diwas Poem Kavita Poetry in Hindi for Students– इस आर्टिकल में हिंदी दिवस पर कविता दी गई है. हिंदी भाषा की शक्ति को जो पहचानता है उसे हिंदी बोलने पर गर्व होता है. इस बेहतरीन कविता को जरूर पढ़े. Hindi Diwas Poem in Hindi पूरा भारत वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाता है. कुछ लोग पूरा वर्ष हिंदी दिवस मनाते है जो अपने परिश्रम से अपने हिंदी के ज्ञान से विभिन्न कहानियों, रचनाओं, लेख, कविताओं और गीतों को हमारे सम्मुख लाकर हमारे आनंद की अनुभूति को हजार गुना बढ़ा देते है. हिंदी की सेवा करने वाले वीरों को हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर मेरा शत-शत नमन है. हिंदी का फुलफॉर्म कविता इस कविता के माध्यम से हिंदी का फुल फॉर्म ( Hindi Ka Full Form ) बताने का प्रयास किया हूँ. मेरी जानकारी के अनुसार हिंदी का कोई फुलफॉर्म नहीं होता है. हिंदी के प्रति अपने प्रेम को जाहिर करने के लिए मैंने हिंदी का फुल फॉर्म बनाया है. आशा करता हूँ कि यह कविता आपको पसंद आएगी। हिंदी की जो बिंदी है, जब औरत के माथे पर जाकर लगती है तो सुंदरता को बढ़ा देती है, नारी हर किसी के जीवन को माँ, बहन, बेटी, पत्नी, मित्र और प्रेमिका बनकर छूती है. अगर हिंदी के “ह” का मतलब हल समझा जाएँ तो जीवन के सारे समस्यों का हिंदी हल बताती है, जब कोई किसान घर को चलाने के लिए हल उठाता है और ऊसर जमीन पर अपने मेहनत का पसीना गिराता है तब धरती पर फसले लहलहाती है. परिश्रम करने वालों के जीवन में ही खुशियाँ आती है. अगर हिंदी के “द” का मतलब दवात समझा जाएँ तो दवात की स्याही कलम को ताकत देती है और वो कलम सोचिये आपको कितनी ताकत देता है. जो कलम और दवात की ताकत को समझ लेता है वो इतिहास बदल देता है. हिंदी के सम्मान में कविता | Hindi Diwas Poetry 2021 हर भारती...

हिंदी के विषय पर बेहतरीन कविता

एक भाषा और मातृभाषा के रूप में हिंदी इसका प्रयोग करने वाले करोड़ों लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं का भार वहन करती है। एक भाषाई संस्कृति के रूप में उसकी जय-पराजय चिंतन-मनन का विषय रही है। वह अस्मिता और परिचय भी है। प्रस्तुत चयन में हिंदी, हिंदीवालों और हिंदी संस्कृति को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

हिंदी पखवाड़ा:डाॅ ओम निश्चल की कविता

कितनी मुँहबोली है, सुख-दुख में शामिल है सबकी हमजोली है, कामकाज में लेकिन रत्ती-भर धमक है, हिन्दी के चेहरे पर चान्दी की चमक है । ऊँचे आदर्शों के सपनों में खोई है, किये रतजगे कितनी रात नहीं सोई है, आज़ादी की खातिर बलिदानी वीरों की, यादों में यह कितनी घुट-घुट कर रोई है । यों तो यह भोली है, युग की रणभेरी है । लेकिन अँग्रेज़ी की भृत्या है...चेरी है । हाथों में संविधान, फिर भी है तुच्छ मान, आँखों में लेकिन पटरानी-सी ललक है, हिन्दी के चेहरे पर चान्दी की चमक है । कितने ईनाम और कितने प्रोत्साहन हैं, फिर भी मुखमंडल पर कोरे आश्वासन हैं । जेबों में सोने के सिक्कों की आमद है, फाइल पर हिन्दी की सिर्फ़ हिनहिनाहट है । बैठक में चर्चा है 'दो...जो भी देना है, महामहिम के हाथो पुरस्कार लेना है ।’ कितना कुछ निष्प्रभ है, समारोह लकदक है, शील्ड लिए हाथों में क्या शाही लचक है ! हिन्दी के चेहरे पर चान्दी की चमक है । इत्रों के फाहे हैं, टाई की चकमक है हिन्दी की देहरी पर हिंग्लिश की दस्तक है । ऊँची दूकानों के फीके पकवान हैं, बॉस मगर हिन्दी के परम ज्ञानवान हैं । शाल औ दुशाला है पान औ मसाला है, उबा रहे भाषण हैं यही कार्यशाला है । हिन्दी की बिन्दी की होती चिन्दी-चिन्दी, ग़ायब होता इसके चेहरे का नमक है । हिन्दी के चेहरे पर चान्दी की चमक है । हिन्दी के तकनीकी शब्द बहुत भारी हैं, शब्दकोश भी जैसे बिल्कुल सरकारी हैं, भाषा यह रंजन की और मनोरंजन की, इस भाषा में दिखते कितने व्यापारी हैं । बेशक इस भाषा का ऑंचल मटमैला है, राष्ट्रप्रेम का केवल शुद्ध झाग फैला है । दाग़ धुलें कैसे इस दाग़दार चेहरे के, नकली मुस्कानें हैं, बेमानी ठसक है । हिन्दी के चेहरे पर चान्दी की चमक है । हिन्दी की सेवा है, हिन्दी अधिकारी हैं खाते ...

10+ पेड़ पर कविता

Poem on Tree in Hindi: नमस्कार दोस्तों, जैसा कि हम सभी जानते ही है कि हमारे जीवन के लिए जितना जरूरी पानी है, उतना ही पेड़ भी महत्व रखते है। पेड़ प्रकृति द्वारा दिया गया हमारे लिए विशेष उपहार है। हमारे दैनिक जीवन काम आने वाली अधिकतर वस्तुएं हमें पेड़ों की मदद से ही मिलती है। प्रकृति में मौजूद हर जीव जन्तु प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष रूप से पेड़ पर ही निर्भर है। इससे वातावरण का भी संतुलन बना रहता है और स्वच्छ भी। जहां कहीं वर्षा हो जाती, उसके नीचे हम छिप जाते। लगती जब भी भूख अचानक, तोड़ मधुर फल उसके खाते। आती कीचड़, बाढ़ कहीं तो, झट उसके ऊपर चढ़ जाते। अगर पेड़ भी चलते होते, कितने मजे हमारे होते। पेड़ पर बाल कविता (Ped Par Bal Kavita) पेड़ बचेंगे तो धरती बचेगी जीवन बचेगा कल बचेगा पेड़ से ही तो वर्षा होगी नदी बचेगी जल बचेगा पत्थर खाकर भी फल देते हवा के विश्व को ये हर लेते। प्राण वायु हर पल ये देते फिर भी हमसे कुछ ना लेते। क्या दुनिया में कोई भी पेड़ों सा हितकारी है बिना स्वार्थ के सब कुछ देते पेड़ बड़े उपकारी है। उपकार मारना दूर ये मानव कितना अत्याचारी है काट-काट के पेड़ों को खुद पर ही कुल्हाड़ी मारी है। पेड़ लगाओ कविता (Short Poem on Trees in Hindi) पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ पर कविता पेड़ लगाओ, पेड़ लगाओ, हरा भरा जीवन बनाओ। Image: Short Poem on Trees in Hindi वृक्षों का उपकार (Tree Poem in Hindi) काट रहे हो तुम वृक्षों को, कुछ भी नहीं विचार किया। वृक्षों ने जो कुछ भी पाया, उसे हमीं पे वार दिया।। इतना बड़ा हमारा जग है, क्षरण यहाँ स्वीकार नहीं। वे भी जीव इसी जग के हैं, जीना क्या अधिकार नहीं? फल अरु फूल दिया है इसने, राही को भी छावं दिया। वृक्षों ने जो कुछ भी पाया, उसे हमीं पे वार दिया।। शिक्षा ...