महाकाल मंत्र इन संस्कृत

  1. महाकाल कवच का इस तरह पाठ करने से मिलेंगे अद्भुत लाभ – Buy Spiritual Products
  2. 50+ भगवान शिव के चुनिंदा संस्कृत श्लोक
  3. Ganesh Mantra (गणेश मंत्र)
  4. शांति पाठ हिंदी अर्थ सहित
  5. महाकाल संहिता (कामकला खंड) हिन्दी पुस्तक
  6. sanskrit stotra
  7. चमत्कारी है कालों के काल महाकाल का सर्वव्याधि मंत्र
  8. जीवन के हर कष्ट को दूर करते हैं महादेव, इन मंत्रों के जाप से मिलेगा अनन्त फल


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महाकाल कवच का इस तरह पाठ करने से मिलेंगे अद्भुत लाभ – Buy Spiritual Products

Mahakal kavach की महिमा अपरंपार है, इसकी महिमा के जैसा दूसरा कोई कवच नहीं है। इसे अमोघ शिव कवच भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे समस्त प्रकार के कष्टों का निपटान हो जाता है । जिनमें शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक सभी कष्ट शामिल है। कवच का वास्तविक अर्थ ही है रक्षा करना। प्राचीन या पौराणिक समय में जब कोई क्षत्रिय युद्ध आरंभ करता है तो वह सर्वप्रथम किसी लौह कवच को अपने शरीर पर धारण करता है जिससे वह शत्रु के वार से सुरक्षा प्राप्त कर सके। इसी तरह जब किसी व्यक्ति को दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्ति चाहिए होती है तो वह अमोघ शिव कवच का प्रयोग रक्षा के लिए करता है।[ महाकाल कवच को ही अमोघ शिव कवच के नाम से जाना जाता है। आइये जानते हैं Amogh Shiv Kavach Benefits : 1. Amogh Shiv Kavach का पाठ करने वाले व्यक्ति को अकाल मृत्यु जैसा भय कभी नहीं रहता। 2. Aamogh Shiv Kavach ke labh है कि व्यक्ति को बिमारी और विपत्ति का सामना नहीं करना पड़ता। वह सभी चिंताओं से मुक्त हो जाता है। 3. Shiv kavach पाठ करने वाले व्यक्तियों के आभामंडल में एक सुरक्षा घेरा सा बना रहता है । वह सभी बुराइयों से कोसों दूर रहता है। 4. साधक ही नहीं साधक के परिवारजनों को भी हर प्रकार से सुरक्षा प्रदान करना Shiva kavacham benefits में से एक है। [ 1. भगवान शिव की आराधना करते समय हमेशा आचमन कर पवित्री धारण करें। 2. अपने ऊपर और पूजा सामग्री के ऊपर गंगाजल छिड़कें और संकल्प लेकर महाकाल का ध्यान करें। 3. दिए गए सर्व शक्तिशाली शिव मंत्र का उच्चारण करने के पश्चात शिव जी के समक्ष नैवैद्य और पुष्पादि अर्पित करें। [ महाकाल कवच का मंत्र : ऊॅ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। 4. ...

50+ भगवान शिव के चुनिंदा संस्कृत श्लोक

Mahadev Shlok with Hindi Meaning: भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है। क्योंकि जब सभी देवता हार मान जाते हैं तो भोले बाबा ही है जो हर संभव से नैय्या को पार लगाने में सहायता करते हैं। भगवान शिव की आराधना का मूल मंत्र तो “ऊं नम: शिवाय” ही है। लेकिन इस मंत्र के अतिरिक्त भी कुछ मंत्र हैं, जो महादेव को प्रिय हैं। भगवान शिव के संस्कृत श्लोक – Shiv Shlok महाशिवरात्रि संस्कृत श्लोक नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं। हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक ब्रह्म, वेदस्वरूप ईशानदिशा के ईश्वर और हम सबके स्वामी शिवजी, आपको मैं नमस्कार करता हूं। निज स्वरूप में स्थित, चेतन, इच्छा रहित, भेद रहित, आकाश रूप शिवजी मैं आपको हमेशा भजता हूँ। महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः। सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे।। भगवान शिव शंकर जो पर्वतराज हिमालय के नजदीक पवित्र मन्दाकिनी के तट पर स्थित केदारखण्ड नामक श्रृंग में निवास करते हैं और हमेशा ऋषि मुनियों द्वारा पूजे जाते हैं। जिनकी यक्ष-किन्नर, नाग व देवता-असुर आदि भी हमेशा पूजा करते हैं उन अद्वितीय कल्याणकारी केदारनाथ नामक शिव शंकर की मैं स्तुति करता हूँ। आदित्य सोम वरुणानिलसेविताय यज्ञाग्निहोत्रवरधूमनिकेतनाय। ऋक्सामवेदमुनिभि: स्तुतिसंयुताय गोपाय गोपनमिताय नम: शिवाय।। जो चन्द्र, वरुण, सूर्य और अनिल द्वारा सेवित है और जिनका निवास अग्निहोत्र धूम एवं यज्ञ में है। वेद, मुनिजन तथा ऋक-सामादि जिसकी स्तुति प्रस्तुत करते हैं। उन नन्दीश्वरपूजित गौओं का पालन करने वाले भगवान शिव को मेरा प्रणाम। अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अका...

Ganesh Mantra (गणेश मंत्र)

वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:। निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥ भावार्थ : हे हाथी के जैसे विशालकाय जिसका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान हैं । बिना विघ्न के मेरा कार्य पूर्ण हो और सदा ही मेरे लिए शुभ हो ऐसी कामना करते है । नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं। गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च॥ भावार्थ : मैं उन भगवान् गजानन की वन्दना करता हूँ, जो समस्त कामनाओं को पूर्ण करनेवाले हैं, सुवर्ण तथा सूर्य के समान देदीप्यमान कान्ति से चमक रहे हैं, सर्पका यज्ञोपवीत धारण करते हैं, एकदन्त हैं, लम्बोदर हैं तथा कमल के आसनपर विराजमान हैं । एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं। विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥ भावार्थ : जो एक दाँत से सुशोभित हैं, विशाल शरीरवाले हैं, लम्बोदर हैं, गजानन हैं तथा जो विघ्नोंके विनाशकर्ता हैं, मैं उन दिव्य भगवान् हेरम्बको प्रणाम करता हूँ । विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं। नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥ भावार्थ : विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओंसे परिपूर्ण, जगत् का हित करनेवाले, गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को नमस्कार है ; हे गणनाथ ! आपको नमस्कार है । द्वविमौ ग्रसते भूमिः सर्पो बिलशयानिवं। राजानं चाविरोद्धारं ब्राह्मणं चाप्रवासिनम्॥ भावार्थ : जिस प्रकार बिल में रहने वाले मेढक, चूहे आदि जीवों को सर्प खा जाता है, उसी प्रकार शत्रु का विरोध न करने वाले राजा और परदेस गमन से डरने वाले ब्राह्मण को यह समय खा जाता है । गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥ भाव...

शांति पाठ हिंदी अर्थ सहित

ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः। वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि।। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।। — यजुर्वेद भावार्थ: यजुर्वेद के इस शांति पाठ मंत्र के माध्यम से साधक ईश्वर से शांति बनाए रखने की प्रार्थना करता है। विशेष रूप से हिंदू संप्रदाय के लोग किसी भी प्रकार के धार्मिक समारोह, संस्कार, यज्ञ आदि के प्रारंभ और अंत में इस शांति पथ के मंत्रों का जाप करते हैं। भूमि में शांति हो, अंतरिक्ष में शांति हो, पृथ्वी शांत हो, जल शांत हो, औषधियां और वनस्पतियां शांति दें। सभी पदार्थ सुसंगत और शांतिपूर्ण हों, ज्ञान में शांति हो, दुनिया में सब कुछ शांति से हो। सर्वत्र शान्ति हो, मुझे भी वह शान्ति मिले। इस पाठ से प्रार्थना करने से मन शांत हो जाता है। ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्माऽमृतं गमय।। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।। भावार्थ: इसका मतलब है कि मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो। मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो। ओम शांति! शांति! शांति! यह मंत्र मूल रूप से सोम यज्ञ की स्तुति में मेजबान द्वारा गाया गया था। आज यह सबसे लोकप्रिय मंत्रों में से एक है, जिसे प्रार्थना की तरह दोहराया जाता है। ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।। -वृहदारण्यक उपनिषद भावार्थ: परमात्मा सच्चिदानंदघन परब्रह्म पुरुषोत्तम परमात्मा हर तरह से हमेशा परिपूर्ण है। यह संसार भी उस परब्रह्म से भरा है, क्योंकि यह संपूर्ण उस पूर्ण पुरुषोत्तम से उत्पन्न हुआ है। इस प्रकार, भले ही परब्रह्म की पूर्णता के साथ दुनिया पूर्ण है, वह पर...

महाकाल संहिता (कामकला खंड) हिन्दी पुस्तक

महाकाल संहिता हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Mahakal Samhita Hindi Book इस पुस्तक का नाम है : महाकाल संहिता | इस पुस्तक के लेखक हैं : गोपीनाथ कविराज | पुस्तक का प्रकाशन किया है : गंगानाथ झा केंद्रीय संस्कृत विद्यापीठ | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 8.5 MB हैं | पुस्तक में कुल 368 पृष्ठहैं | Name of the book is : Mahakal Samhita. This book is written by : Gopinath Kaviraj. The book is published by : Ganganath Jha Kendriya Sanskrit Vidyapeeth. Approximate size of the PDF file of this book is 8.5 MB. This book has a total of 368 pages. पुस्तक के लेखक पुस्तक की श्रेणी पुस्तक का साइज कुल पृष्ठ गोपीनाथ कविराज भक्ति,धर्म 8.5 MB 368 पुस्तक से : यहां ध्यान रखना प्रावश्यक है कि स्वरूप का निमीलन तथा उन्मिलन दानों ही व्यापार पूर्ण दशा में रहते हैं किन्तु इन सब के प्रभाव से स्वरूप का निमीलन समूल उपसंहृत हो जाता है, अर्थात् संसार-चक्र आत्मा रूपी अग्नि में दग्ध होकर अभेद ज्ञान में परिवर्तित हो जाता है। उस समय स्वरूप का गोपन या निमीलन नहीं होता है। बाह्य वृति का भी उदय नहीं होता है। इस स्थिति का पारिभाषिक नाम है भावसंहार। यह उन्मत स्थिति में निर्विकल्प आत्म संवेदन के उदय होने पर प्रकाशित होता है। इस विषय की आलोचना के प्रसंग में तीन प्रकार के स्तरों की धारणा करनी आवश्यक है। एक ऐसा स्तर है जहाँ सृष्टि, संरक्षण तथा संहार आदि कुछ भी नहीं है। यहाँ पूर्ण सत्य अपनी महिमा में पूर्णतः विराजमान है। यहाँ शिवशक्ति का प्रश्न ही नहीं है। जीव तथा जगत् का भी कोई प्रश्न नहीं उठता। यह एक अद्वय परम स्थिति है। इसके अतिरिक्त भी एक स्थित है। इस यात्रा के मार्ग में अनन्त ...

sanskrit stotra

संस्कृत स्तोत्र संग्रह Durga saptashloki stotra | श्री दुर्गा सप्तश्लोकी | sanskrit stotra ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दारिद्रयदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्र चित्ता ॥2॥ शिव तांडव स्तोत्र | Shiva Tandava sanskrit Stotram जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌। डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥1॥ जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि। धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥2॥ श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र | Ganesha Pancharatnam, sanskrit stotra मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम्। कला धराव तंसकं विलासि लोक रक्षकम्। अनाय कैक नायकं विनाशि तेभ दैत्यकम्। नता शुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम्।। नते तराति भीकरं नवो दितार्क भास्वरम्। नमत् सुरारि निर्जरं नताधि काप दुद्धरम्। सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरम्। महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम्।। गणेश अथर्वशीर्ष | ganesh atharvashirsha ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि। त्वमेव केवलं कर्त्तासि। त्वमेव केवलं धर्तासि। त्वमेव केवलं हर्तासि। त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि। त्वं साक्षादात्मासि नित्यम्। ऋतं वच्मि। सत्यं वच्मि। अव त्वं मां। अव वक्तारं। अव श्रोतारं। अव दातारं। अव धातारम्। अवानूचानमव शिष्यं। अव पश्चात्तात्। अवं पुरस्तात्।

चमत्कारी है कालों के काल महाकाल का सर्वव्याधि मंत्र

श्रावण में शिवोत्सव समूचे उज्जैन में मनाया जाता है। इन दिनों भक्तवत्सल्य भगवान आशुतोष महाकालेश्वर का विशेष श्रृंगार किया जाता है, उन्हें विविध प्रकार के फूलों से सजाया जाता है। उनकी प्रति सोमवार विशेष सवारी निकलती है। भक्तजन अपनी श्रद्धा का अर्पण इतने विविध रूपों में करते है कि देखकर आश्चर्य होता है।

जीवन के हर कष्ट को दूर करते हैं महादेव, इन मंत्रों के जाप से मिलेगा अनन्त फल

Lord Shiv Puja: देवाधिदेव महादेव का पूजन भक्त हमेशा ही पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ करते हैं. सनातन धर्म में शिव जी की पूजा का एक खास महत्व है. शिव जी अपने भक्त की भक्ति से बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. अपने भगवान भोलेनाथ को एक केवल एक टोला जल तक रोज चढ़ाएं तो भी प्रभु प्रसन्न हो जाते हैं, साथ ही काल को काटने और दोषों से मुक्ति भी महादेव ही देते हैं. पुराणों में भोलेबाबा प्रसन्न करने के कई मंत्र बताए गए हैं जो मनवांछित फल देते हैं. सृष्टि की उत्पत्ति स्थिति एवं संहार के भी यह आधिपति कहे गए हैं. ऐसे में अगर आप भी जीवन से हर प्रकार के कष्टों को दूर करना चाहते हैं तो शिव जी के कुछ मंत्रों का जाप करें, इन मंत्रों के जाप के प्रभु खुश होकर हर एक कष्ट को दूर कर देते हैं. कोआइये जानते हैं भगवान शिव को प्रसन्न करने के सबसे सरल एवं सिद्ध किए हुए मंत्र- भगवान शिव को प्रसन्न करने के मंत्र महामृत्युंजय मंत्र ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।। शिव जी का मूल मंत्र ऊँ नम: शिवाय।। भगवान शिव के प्रभावशाली मंत्र- ओम साधो जातये नम:।। ओम वाम देवाय नम:।। ओम अघोराय नम:।। ओम तत्पुरूषाय नम:।। ओम ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।। रुद्र गायत्री मंत्र ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥ शिव के प्रिय मंत्र- 1. ॐ नमः शिवाय। 2. नमो नीलकण्ठाय। 3. ॐ पार्वतीपतये नमः। 4. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय। 5. ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा। पूजा में प्रतिदिर करें इसका करें पाठ नमामिशमीशान निर्वाण रूपं। विभुं व्यापकं ब्रम्ह्वेद स्वरूपं।। निज...