मकर संक्रांति का बैनर

  1. Makar Sankranti 2023 Date And Time Khichdi Kab Hai 14 Janvarury
  2. मकर संक्रांति का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व, भारत ही नहीं पूरी दुनिया का महापर्व
  3. Makar Sankranti 2022 date timing and shubh muhurat
  4. Makar Sankranti 2023 Date Know Importance Shubh Muhurt Mantra And Manyata
  5. Makar Sankranti 2022: क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति का पर्व? जानें इसकी धार्मिक एवं खगोलीय मान्यताएं, पूजा विधि एवं पौराणिक कथा?
  6. मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, जानिये इसका इतिहास व धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
  7. मकर संक्रांति उत्‍सव: पतंगें और फसलें ही नहीं वजहें और भी हैं...
  8. मकर संक्रांति का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व, भारत ही नहीं पूरी दुनिया का महापर्व
  9. Makar Sankranti 2023 Date And Time Khichdi Kab Hai 14 Janvarury
  10. Makar Sankranti 2022: क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति का पर्व? जानें इसकी धार्मिक एवं खगोलीय मान्यताएं, पूजा विधि एवं पौराणिक कथा?


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Makar Sankranti 2023 Date And Time Khichdi Kab Hai 14 Janvarury

Makar Sankranti 2023 Date and Time: भारतीय हिंदू धार्मिक परम्परा में मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है, क्योंकि, धर्म ग्रंथों के मुताबिक, इस दिन सूर्य देव धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण में आते हैं. यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. पंचांग के मुताबिक, साल 2023 में मकर संक्रांति 15 जनवरी दिन रविवार को मनाई जाएगी. आइये जानें मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और मंत्र. मकर संक्रांति 2023 मुहूर्त ( Makar Sankranti 2023 Shubh Muhurt) • मकर संक्रांति 2023 तिथि : 15 जनवरी, 2022 (रविवार) • पुण्य काल मुहूर्त : 07:15:13 से 12:30:00 तक • अवधि : 5 घंटे 14 मिनट • महापुण्य काल मुहूर्त : 07:15:13 से 09:15:13 तक • अवधि : 2 घंटे 0 मिनट • संक्रांति पल : 14 जनवरी को 20:21:45 मकर संक्रांति पूजा मंत्र मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस दिन सूर्य देव के मंत्र का जाप किया जाता है. • सूर्य देव के मंत्र: ॐ सूर्याय नम:, • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर: मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन इनमें से किसी एक मंत्र के जाप से भक्तों में तेज और ओज की वृद्धि होती है. उन पर भगवान सूर्य की कृपा होती है और सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मकर संक्रांति पूजा विधि मकर संक्रांति के दिन प्रातः काल शुभ मुहूर्त में स्नान आदि कर लें. यदि स्नान करने वाले पानी में काला तिल, थोड़ा सा गुड़ और गंगाजल मिला लें तो उत्तम होगा. स्नान के बाद साफ-सुथरा वस्त्र धारण कर तांबे के लोटे में जल लें. इसमें काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत् आदि मिला कर सूर्य को अर्पित करते हुए अर्घ्य दें...

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व, भारत ही नहीं पूरी दुनिया का महापर्व

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व, भारत ही नहीं पूरी दुनिया का महापर्व संक्रान्ति का अर्थ है, 'सूर्य का एक राशि से अलगी राशि में संक्रमण (जाना)'। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है। पूरे वर्ष में कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं। लेकिन इनमें से चार संक्रांति मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति महत्वपूर्ण हैं। पौष मास में सूर्य का धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रान्ति रूप में जाना जाता है। सामान्यतः सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। सर्वविदित है कि पृथ्वी की धुरी 23.5 अंश झुकी होने के कारण सूर्य छः माह पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध के निकट होता है और शेष छः माह दक्षिणी गोलार्द्ध के निकट होता है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध के निकट होता है अर्थात् उत्तरी गोलार्ध से अपेक्षाकृत दूर होता है जिससे उत्तरी गोलार्ध में रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतएव इस दिन से उत्तरी गोलार्ध में रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा सर्दी की ठिठुरन कम होने लगती है। अतः मकर संक्रान्ति अन्धकार की कमी और प्रकाश की वृद्धि की शुरुआत है। दरअसल, समस्त जीवधारी (पशु,पक्षी व् पेड़ पौधे भी) प्रकाश चाहते हैं। संसार सुषुप्ति से जाग्रति की ओर अग्रसर होता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होती है। प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है और अन्धकार अज्ञान का। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित...

Makar Sankranti 2022 date timing and shubh muhurat

Makar Sankranti 2022: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. मकर संक्रांति का पर्व देश के हर कोने में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है. पंजाब में इसे लोहड़ी, केरल में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण, उत्तराखंड में उत्तरायणी और कई स्थानों खिचड़ी के नाम में मनाया जाता है. 2022 में मकर संक्रांति कब है, मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या है और इस दिन दान का क्या महत्व है. इसे जानते हैं. 2022 में मकर संक्राति 14 जनवरी को मनाई जाएगी. हिंदीं पंचांग के मुताबिक इस दिन पौष मास की द्वादशी तिथि है. 14 जनवरी 2022 को सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. जब सूर्य मकर राशि में गोचर करता है तो मकर संक्रांति कहा जाता है. यह संक्रांति सबसे खास होती है क्योंकि इस अवसर पर सूर्यदेव दक्षिणायण से उत्तरायण होते हैं. मकर संक्रांति 2022 शुभ मुहूर्त (Makat Sankranti Shubh Muhurat 2022) -मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल- दोपहर 02.43 से शाम 05.45 तक -पुण्य काल की कुल अवधि- 03 घंटे 02 मिनट -मकर संक्रांति के दिन महा पुण्यकाल - दोपहर 02.43 से 04:28 तक -कुल अवधि - 01 घण्टा 45 मिनट कर संक्रांति: दान का महत्व (Makat Sankranti 2022 Importance of Donation) सूर्यदेव की उपासना के लिए मकर संक्रांति का दिन उत्तम होता है. शास्त्रों में सूर्य को संसार का आत्मा माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते हैं. दरअसल शनि मकर राशि के स्वामी ग्रह है. इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन उत्तरायण के वक्त किया गया दान सौ गुना अधिक फल देता है. (Disclaimer: यहां ...

Makar Sankranti 2023 Date Know Importance Shubh Muhurt Mantra And Manyata

Makar Sankranti 2023 Date: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति एक प्रमुख पर्व है. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इस त्यौहार को स्थानीय मान्यताओं के अनुसार धूमधाम से मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. मकर संक्रांति से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है. इसके बाद से ही बसंत का आगमन शुरू हो जाता है. देश भर में अलग-अलग नामों के साथ मनाया जाता है. आइए जानते हैं इस साल मकर संक्रांति कब मनाई जाएगी, इसका शुभ मुहूर्त कब है और इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में. मकर संक्रांति की तिथि हर साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त पुण्य काल मुहूर्त: 07:15:13 से 12:30:00 तक अवधि:5 घंटे 14 मिनट महापुण्य काल मुहूर्त :07:15:13 से 09:15:13 तक अवधि: 2 घंटे मकर संक्रांति का महत्व मकर संक्रांति पर दान-दक्षिणा का विशेष महत्व है. इस दिन जिन लोागें की कुंडली में शनि और सूर्य अशुभ हैं. वे इस दिन काले तिल का दान कर सकते हैं. काले तिल का दान करने से शनि की साढ़े साती और ढैय्या से राहत मिलती है. मकर संक्रांति के दिन काले तिल से सूर्य देव की पूजा की जाती है.मकर संक्रांति के दिन अगर आपके घर पर कोई भिखारी, साधु, बुजुर्ग या असहाय व्यक्ति आता है तो उसे कभी भी खाली हाथ न जाने दें. इस दिन स्नान के पहले कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए. मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक मान्यता भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक नजरिये से मकर संक्रांति का बहुत महत्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जा...

Makar Sankranti 2022: क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति का पर्व? जानें इसकी धार्मिक एवं खगोलीय मान्यताएं, पूजा विधि एवं पौराणिक कथा?

Makar Sankranti 2022: क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति का पर्व? जानें इसकी धार्मिक एवं खगोलीय मान्यताएं, पूजा विधि एवं पौराणिक कथा? मकर संक्रान्ति देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्वों में एक है. पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, उसी दिन मकर संक्रान्ति का पर्व मनाया जाता है. देश में विभिन्न धर्म एवं संस्कृतियों के लोगों का निवास होने के कारण विभिन्न राज्यों में मकर संस्क्रान्ति का पर्व विभिन्न नामों एवं रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है. मकर संक्रान्ति देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्वों में एक है. पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, उसी दिन मकर संक्रान्ति का पर्व मनाया जाता है. देश में विभिन्न धर्म एवं संस्कृतियों के लोगों का निवास होने के कारण विभिन्न राज्यों में मकर संस्क्रान्ति का पर्व विभिन्न नामों एवं रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है. उत्तर भारत में इसे ‘मकर संक्रान्ति’, तमिलनाडू में ‘पोंगल’, गुजरात में ‘उत्तरायण’, असम में ‘माघी पिहु’, कर्नाटक में ‘सुग्गी हब्बा’, केरल में ‘मकर विकलू’ तो जम्मू कश्मीर में ‘शिशुर संक्रांति’ आद के नाम से मनाया जाता है. सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व बताया गया है. इस वर्ष 2022 में 14 जनवरी शुक्रवार को मकर संक्रांन्ति का पर्व मनाया जायेगा. मकर संक्रांतिः खगोलीय एवं धार्मिक मान्यताएं! मकर संक्रान्ति के परिप्रेक्ष्य में खगोल शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र के अपने-अपने मत हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष मास में सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तभी मकर संक्रांति मनाई जाती है. यद्यपि संक्रान्ति साल में 12 बार सभी राशियों में आती है, लेकिन मकर और कर्क राशि में इसके प्रवेश का विशेष महत्व होता है. गौरत...

मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, जानिये इसका इतिहास व धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, मकर संक्रांति का इतिहास, पौराणिक व वैज्ञानिक महत्व Makar Sankranti celebration, history, Story, Makar Sankranti Festival 2023 in hindi भारत में प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है। भारत के ज्यादातर हिस्सों में यह त्यौहार 14 एवं 15 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन कहीं-कहीं यह त्यौहार 13 जनवरी को भी मनाया जाता है। Advertisements मकर संक्रांति वर्ष भर में पूरे देश में मनाए जाने वाले भारतीय त्योहारों ऐसे एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। लेकिन ज्यादातर लोग मकर संक्रांति से जुड़ी हुई बहुत सारी बातों के बारे में नहीं जानते जबकि वह प्रत्येक वर्ष इस त्योहार को मनाते हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको मकर संक्रांत के त्यौहार और उसके महत्व के बारे में बताएंगे साथ ही साथ हम त्यौहार के धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों पर भी चर्चा करेंगे जिनके कारण यह त्यौहार मनाया जाता है। विषय–सूची • • • • • • • • • • • • • • • • • सूर्य देव को समर्पित है मकर संक्रांति का त्यौहार, आइये जाने इसका इतिहास व धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भारत के हिंदू पंचांग में ज्यादातर तिथियां चंद्रमा की गति पर आधारित होती हैं लेकिन भारत में प्रत्येक वर्ष मनाया जाने वाला मकर संक्रांति का दिन सूर्य की गति पर निर्भर होता है। मकर संक्रांति का त्यौहार हिंदू मान्यताओं का एक प्रमुख त्योहार है इसे भारत और नेपाल में बहुत प्रसन्नता के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति का अर्थ क्या है? (Makar SankrantiKya Hai) दरअसल मकर संक्रांति दो शब्दों से मिलकर बना होता है मकर संक्रांति मकर का अर्थ राशि से है जबकि संक्रांति का अर्थ संक्रमण होता है अर्थात जब कभी सूर्य ...

मकर संक्रांति उत्‍सव: पतंगें और फसलें ही नहीं वजहें और भी हैं...

मकर संक्रांति वह दिन है, जब राशिचक्र में महत्वपूर्ण बदलाव होता है। इस गतिशीलता से जो नए बदलाव होते हैं, वे हमें पृथ्वी पर दिखाई देते और महसूस होते हैं। सद्‌गुरु: दुनिया के इस हिस्से में यह एक बेहद महत्वपूर्ण त्योहार है। संक्रांति का अर्थ है – गति या चाल। जीवन के रूप में हमजिसे भी जानते हैं, उसमें गति निहित है। सौभाग्य से हमसे पहले जो इस दुनियामें आए वह चले गए और जो लोग हमारे बाद आने वाले हैं, वे हमारे जाने काइंतजार कर रहे हैं – इस बारे में अपने मन में कोई शक मत रखिए। यह पृथ्वी भीगतिशील है, इसी गतिशीलता का नतीजा है कि इससे जीवन उपजा है। अगर यह स्थिरहोती तो इस पर जीवन का होना संभव ही नहीं था। इसलिए इस सृष्टि में गतिशीतला– नाम की कोई चीज है, जिसमें हर प्राणी शामिल है, लेकिन अगर सृष्टि में गति हैतो उस गति का विराम भी होना चाहिए। दरअसल, निश्चलता या स्थिरता की कोख सेही गति का जन्म होता है। जिसने अपने जीवन की निश्चलता का अहसास न किया हो, जिसने अपने अस्तित्व की स्थिरता को महसूस न किया हो, जिसने अपने भीतर औरबाहर की निश्चलता को जाना न हो वह गति के चक्करों में पूरी तरह से खो जाएगा। गतिशीलता एक निश्चित बिंदु या सीमा तक ही अच्छी लगती है। यह ग्रह पृथ्वी बेहद सौम्य और खूबसूरत तरीके से घूम रही है – इसी वजह से मौसम बदलते हैं। कल को अगर यह अपनी गति बढ़ा दे और थोड़ा तेजी से घूमने लगे तो हमारा संतुलित दिमाग पूरी तरह से असंतुलित हो उठेगा और हर चीज नियंत्रण से बाहर हो जाएगी। इसलिए गतिशीलता एक सीमा तक ही सुखद और अच्छी लगती है। एक बार अगर यह अपनी सीमा से बाहर निकल जाती है तो गतिशीलता एक मुसीबत बन जाती है। मकर संक्रांति के दिन राशिचक्र में महत्वपूर्ण बदलाव होता है। इस गतिशीलता से जो नए बदलाव होते है...

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व, भारत ही नहीं पूरी दुनिया का महापर्व

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व, भारत ही नहीं पूरी दुनिया का महापर्व संक्रान्ति का अर्थ है, 'सूर्य का एक राशि से अलगी राशि में संक्रमण (जाना)'। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है। पूरे वर्ष में कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं। लेकिन इनमें से चार संक्रांति मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति महत्वपूर्ण हैं। पौष मास में सूर्य का धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रान्ति रूप में जाना जाता है। सामान्यतः सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। सर्वविदित है कि पृथ्वी की धुरी 23.5 अंश झुकी होने के कारण सूर्य छः माह पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध के निकट होता है और शेष छः माह दक्षिणी गोलार्द्ध के निकट होता है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध के निकट होता है अर्थात् उत्तरी गोलार्ध से अपेक्षाकृत दूर होता है जिससे उत्तरी गोलार्ध में रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतएव इस दिन से उत्तरी गोलार्ध में रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा सर्दी की ठिठुरन कम होने लगती है। अतः मकर संक्रान्ति अन्धकार की कमी और प्रकाश की वृद्धि की शुरुआत है। दरअसल, समस्त जीवधारी (पशु,पक्षी व् पेड़ पौधे भी) प्रकाश चाहते हैं। संसार सुषुप्ति से जाग्रति की ओर अग्रसर होता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होती है। प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है और अन्धकार अज्ञान का। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित...

Makar Sankranti 2023 Date And Time Khichdi Kab Hai 14 Janvarury

Makar Sankranti 2023 Date and Time: भारतीय हिंदू धार्मिक परम्परा में मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है, क्योंकि, धर्म ग्रंथों के मुताबिक, इस दिन सूर्य देव धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण में आते हैं. यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. पंचांग के मुताबिक, साल 2023 में मकर संक्रांति 15 जनवरी दिन रविवार को मनाई जाएगी. आइये जानें मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और मंत्र. मकर संक्रांति 2023 मुहूर्त ( Makar Sankranti 2023 Shubh Muhurt) • मकर संक्रांति 2023 तिथि : 15 जनवरी, 2022 (रविवार) • पुण्य काल मुहूर्त : 07:15:13 से 12:30:00 तक • अवधि : 5 घंटे 14 मिनट • महापुण्य काल मुहूर्त : 07:15:13 से 09:15:13 तक • अवधि : 2 घंटे 0 मिनट • संक्रांति पल : 14 जनवरी को 20:21:45 मकर संक्रांति पूजा मंत्र मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस दिन सूर्य देव के मंत्र का जाप किया जाता है. • सूर्य देव के मंत्र: ॐ सूर्याय नम:, • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर: मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन इनमें से किसी एक मंत्र के जाप से भक्तों में तेज और ओज की वृद्धि होती है. उन पर भगवान सूर्य की कृपा होती है और सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मकर संक्रांति पूजा विधि मकर संक्रांति के दिन प्रातः काल शुभ मुहूर्त में स्नान आदि कर लें. यदि स्नान करने वाले पानी में काला तिल, थोड़ा सा गुड़ और गंगाजल मिला लें तो उत्तम होगा. स्नान के बाद साफ-सुथरा वस्त्र धारण कर तांबे के लोटे में जल लें. इसमें काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत् आदि मिला कर सूर्य को अर्पित करते हुए अर्घ्य दें...

Makar Sankranti 2022: क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति का पर्व? जानें इसकी धार्मिक एवं खगोलीय मान्यताएं, पूजा विधि एवं पौराणिक कथा?

Makar Sankranti 2022: क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति का पर्व? जानें इसकी धार्मिक एवं खगोलीय मान्यताएं, पूजा विधि एवं पौराणिक कथा? मकर संक्रान्ति देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्वों में एक है. पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, उसी दिन मकर संक्रान्ति का पर्व मनाया जाता है. देश में विभिन्न धर्म एवं संस्कृतियों के लोगों का निवास होने के कारण विभिन्न राज्यों में मकर संस्क्रान्ति का पर्व विभिन्न नामों एवं रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है. मकर संक्रान्ति देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्वों में एक है. पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, उसी दिन मकर संक्रान्ति का पर्व मनाया जाता है. देश में विभिन्न धर्म एवं संस्कृतियों के लोगों का निवास होने के कारण विभिन्न राज्यों में मकर संस्क्रान्ति का पर्व विभिन्न नामों एवं रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है. उत्तर भारत में इसे ‘मकर संक्रान्ति’, तमिलनाडू में ‘पोंगल’, गुजरात में ‘उत्तरायण’, असम में ‘माघी पिहु’, कर्नाटक में ‘सुग्गी हब्बा’, केरल में ‘मकर विकलू’ तो जम्मू कश्मीर में ‘शिशुर संक्रांति’ आद के नाम से मनाया जाता है. सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व बताया गया है. इस वर्ष 2022 में 14 जनवरी शुक्रवार को मकर संक्रांन्ति का पर्व मनाया जायेगा. मकर संक्रांतिः खगोलीय एवं धार्मिक मान्यताएं! मकर संक्रान्ति के परिप्रेक्ष्य में खगोल शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र के अपने-अपने मत हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष मास में सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तभी मकर संक्रांति मनाई जाती है. यद्यपि संक्रान्ति साल में 12 बार सभी राशियों में आती है, लेकिन मकर और कर्क राशि में इसके प्रवेश का विशेष महत्व होता है. गौरत...