ना उम्र की सीमा हो

  1. ना कोई उम्र की सीमा हो
  2. ना उम्र की सीमा हो....
  3. Na Umra Ki Seema Ho's Vandana Rao loves her 'Me' time प्यार में उम्र मायने नहीं रखती: वंदना राव
  4. स्टार भारत के ‘ना उम्र की सीमा हो’ में जल्द होगी इस अभिनेता की एंट्री
  5. ना उम्र की हो सीमा !!
  6. ना उम्र की सीमा हो.....
  7. Na Umr Ki Seema Ho


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ना कोई उम्र की सीमा हो

चाहे जो भी समय हो जो भी मेरी उम्र हो चाहे जितने साल गुजरे जो भी महीना हो मेरे प्यार में कोई कमी न आए कभी ना कोई उम्र की सीमा हो मैं चलूं हाथ पकड़ तेरा जीवन भर मेरे कदमों पर तेरे कदमों के निशान हों जीवन भर मेरा तेरे संग मरना और तेरे संग जीना हो मैं तेरी परछाई बनके रहूं संग तेरे ना और बहाना हो ना कोई उम्र की सीमा हो वक्त गुजर रहा है और गुजरता ही रहेगा यह शायर तेरा था, है और तेरा ही रहेगा खुदा की खुदाई कहां देखी है मैनें कभी संदीप के लिए तो तुम ही मक्का मदीना हो हमारे बीच ना कोई उम्र की सीमा हो "संदीप" - हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए

ना उम्र की सीमा हो....

ज़िंदगी गोलगप्पे सी ही तो है जितना स्वाद लोगे उतना ही आनंद आएगा...अरे.... अरे जनाब तीखी लगे या चटपरी तो छोड़ना क्यों ?पानी बदल कर आजमा कर देखिए और फिर भी समझ न आए तो पापड़ी चाट बनवाकर मनपसंद स्वाद का आनंद लीजिए..... जब भी उन्हें परेशान में देखती तो पूछने पर वो अक्सर यही कहा करतीं। जानती थीं वो अंदर से बहुत बिखरी हुई हैं लेकिन उनके लिए तो ज़िन्दगी गोलगप्पा थी जिसका पानी बदल बदल कर स्वाद लिया जा सकता है यानी परेशानी तो आएगी ही नित नए तरीके अपनाओ आखिर ज़िन्दगी एक बार मिली है ...। कुल मिलाकर वो एक जीवंत महिला थीं। ऐसी जिसकी तुलना किसी से हो ही नहीं सकती। खुले विचार,मीठा व्यवहार और....!और...समर्पित....सिर्फ और सिर्फ अपने पति की सेवा में ....। जब तक उन लोगों के विषय में नहीं जानती थी उत्सुक रहती कौन है उस घर में ?कॉलोनी का सबसे सबसे बड़ा,अच्छा व आधुनिक साज-सज्जा से युक्त घर।मेरी निगाहें इस आस में कि कोई दिख जाए बाहर आते ही वहीं टिक जातीं ।पता चला कुछ ही समय पहले कोई नए लोग आए हैं। दो जने रहते हैं। आज सुबह-सुबह घूम कर आई तो एक महिला जो कि पीछे से दिखाई दे रहीं थीं ,कुछ खींचते हुए दिखीं। पीछे से ब्लाउज का गला ...उफ...क्या कहूँ !शरीर का एक-एक कट मानो किसी कुशल कारीगर ने तराशा हुआ हो ।अब सूरत देखने की जिज्ञासा बढ़ चली थी।फिरोजी कलर की साड़ी और पिन के साथ लहराता पल्लू,वातावरण को और खुशनुमा बना रहा था ।कदम बढ़ाए तो देखा वो व्हील-चेयर पर किसी बुजुर्ग इंसान को खींच कर ला रहीं थीं। जैसे ही व्हील चेयर बढ़ाने को उन्होंने अगला कदम बढ़ाया उनका पर्स गिर गया।शायद मेरे लिए यही स्वर्णिम अवसर था। लपक कर पर्स उठा,धूल झाड़ शालीनता से हाथ बढ़ाया... "आपका पर्स ।" "ओह थैंक्यू ...थैंक्यू सो मच...।" सच मानिए, यकीन ह...

Na Umra Ki Seema Ho's Vandana Rao loves her 'Me' time प्यार में उम्र मायने नहीं रखती: वंदना राव

Vandana Rao :-‘ना उम्र की सीमा हो’ में चित्रा की भूमिका निभा रहीं एक्ट्रेस वंदना राव का मानना है कि उम्र को प्यार का पैमाना नहीं बनाना चाहिए। शो ने सभी लोगों को विश्वास दिलाया है कि प्यार में कोई बाधा नहीं होती है। प्यार सच्चा हो तो उम्र कोई मायने नहीं रखती। यह पूछे जाने पर कि क्या वह कभी किसी ऐसे व्यक्ति के प्यार में पड़ना चाहेंगी जो वास्तविक जीवन में उनकी उम्र से बहुत बड़ा हो, वंदना ने कहा: बिल्कुल हां! अगर कभी प्यार हुआ, तो निश्चित रूप से मेरे लिए उम्र कभी मायने नहीं रखेगी। यह व्यक्ति और प्यार के बारे में है। क्या होगा यदि कोई व्यक्ति आपकी उम्र के आसपास है, लेकिन वह वफादार नहीं है और आपका अपमान करता है, तो क्या आप उस रिश्ते में खुश होंगे?, नहीं, जब आप एक दूसरे के साथ प्यार में होते हैं तो उम्र कोई मायने नहीं रखती। यह आपसी समझ और आपके बिना शर्त प्यार के बारे में है। उन्होंने कहा, यह शो एक विश्वास है। यह शो निश्चित रूप से मानसिकता बदल रहा है क्योंकि लोग इसे पूरी तरह से प्यार कर रहे हैं और समाज के दबाव या उम्र के अंतर के बारे में किसी भी वर्जना के बिना प्यार को प्यार के रूप में स्वीकार करने के लिए अपने दिमाग को आकार दे रहे हैं। आखिर में केवल प्यार ही मायने रखता है। ‘ना उम्र की सीमा हो’ का प्रसारण स्टार भारत पर होता है। (आईएएनएस)

स्टार भारत के ‘ना उम्र की सीमा हो’ में जल्द होगी इस अभिनेता की एंट्री

मुंबई : प्रसिद्ध टेलीविजन अभिनेता करण सूचक जल्द ही स्टार भारत के शो ‘ना उम्र की सीमा हो’ में ‘जय’ के रूप में शामिल होंगे। इन्हें टेलीविजन इंडस्ट्री में एक दशक से लंबे करियर और पर्दे पर कई पौराणिक किरदारों को निभाने का बेहतरीन अनुभव है। ऐसे में अब उन्हें करण को एक बिलकुल हटके किरदार में देखा जाएगा। जहां वे जय की भूमिका में दर्शकों दिल जीतते नजर आएंगे। करण से हुई खास बातचीत में उन्होंने इस किरदार को चुनने और इससे अपनी आकांक्षाओं और चुनौतियों को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें बताई। कुछ अलग और चुनौतीपूर्ण ढूंढ रहा था करण सूचक बताते हैं, “मैं कई सालों से टेलीविजन का हिस्सा रहा हूं और मैंने कई पौराणिक शोज में कुछ उल्लेखनीय किरदार भी निभाए हैं। मुझे अक्सर इसी तरह की भूमिकाएं ऑफर की जा रही थीं, यही वजह है कि मैं जोखिम लेना चाहता था और विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं तलाशना चाहता था। ‘ना उम्र की सीमा हो’ शो का ऑफर मुझे बिलकुल सही समय पर आया जब मैं कुछ अलग और चुनौतीपूर्ण ढूंढ रहा था और इसलिए मैंने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।” इसके अलावा, करण ‘ना उम्र की सीमा हो’ के सेट और कलाकारों के बारे में उत्साहपूर्वक सकारात्मक बात करते हुए कहते हैं, “भले ही मैंने इससे पहले अभिनेता इकबाल खान के साथ काम नहीं किया, लेकिन उन्होंने पहले दिन एक चॉकलेट उपहार में देकर सेट पर मेरा स्वागत किया। मैंने पिछले शो में दीपशिखा नागपाल के साथ काम किया है और उनके साथ यहां दोबारा काम करते हुए मुझे खुशी हो रही है। मैं जय के किरदार को दर्शकों के सामने प्ररतुत करने को लेकर बहुत उत्सुक हूं और मुझे उम्मीद है कि दर्शकों को जय का किरदार बहुत पसंद आएगा।” शो का अपकमिंग ट्रैक होगा रोचक शो का अपकमिंग ट्रैक दर्शकों के लिए बहुत रोचक ...

ना उम्र की हो सीमा !!

ले आ गयी तेरी सुनीता जी और अब शुरू हो जाएगी उनकी बक बक ... अनुभवों के नाम पर अपने बक बक के पिटारो में से एक करके अपने ज्ञान की फुलझड़ियां छोड़ती जायेंगी। सुमन के कानों में धीरे से बुदबुदा कर राखी कह रही थी, सुमन ने मुस्कुराकर अपनी आँखें तरेरीं...मानो कहना चाह रही थी .. चुप कर कहीं कोई सुन न ले।इतने में कुर्सी पर बैठते हुए सुनीता जी ने वेटर को कहा अरे जल्दी से शिकंजी पिला दो बेटा,रिक्शा के लिये धूप में खड़ी खड़ी मेरा सर घूम गया है,इतनी तेज धूप में तो मैं बजार कभी न जाऊँ... “पर, किटी थी , यहाँ तो आना ही था .. हँस कर बोली !” मैचिंग ज्वेलरी घड़ी कपड़ों से सजी सुनीता जी को देखकर विनीता ने कहा वाह आंटी बहुत सुंदर लग रही है आप और आपकी घड़ी तो बहुत सुंदर है ।सुनीता जी ने प्यार से मुस्कुरा कर अपनी घड़ी को देखा और बोली ....”अरे भाई ... मेरी पोती ने गिफ़्ट किया है ... अपनी पहली कमाई से!” इतने में मिसेज़ कॉल की एंट्री हुई थी उन्हें आंटी कहने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता था,जितनी मज़बूत क़द काठी की थी,उससे भी ज़्यादा मज़बूत उनकी आवाज़ थी। ख़ूबसूरत लंबे लंबे बूंदों को देखकर सुमन बोल पड़ी... अरे वाह बहुत ख़ूबसूरत ईयररिंग्स है और आप पर बहुत ही ख़ूबसूरत लग रहा है।अरे कुडियो ...क्या तुम ही लोग सज सवँर सकतीं हो ..... हमेशा की शांत कुसुम जी ने कहा लेकिन थोड़ा लंबा ज़्यादा है।मिसेज कॉल तुरंत बोली.. अरी कुसुम काहे का लंबा! “मेरी तो ज़िंदगी का तो फंडा है हर वह काम करो जिससे तुम्हें ख़ुशी मिलती है!” “भाई...देखो जब मैं ऊपर मर कर जाऊँ और भगवान पुछेगें तुमने जीवन में क्या किया ? तो.... मैं कह सकूँ कि ... मैंने अपने सारे शौक़ पूरे किए !” राखी फिर धीरे से सुमन के कान में बुदबुदाईं... “क़ब्र मे...

ना उम्र की सीमा हो.....

प्यार किसी बंधन को नहीं मानता। न वो उम्र देखता है और न ही उसे लोगों की परवाह होती है। प्यार तो बस हो जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ काम्या के साथ जिसने समाज, परिवार और अपने बच्चों के भारी विरोध के बावजूद ५० की उम्र में दोबारा ३५ साल के युवक से शादी कर अपने प्यार को मुकाम तक पहुंचाया। काम्या महज २५ वर्ष की थी जब उसके पति का देहांत हो गया। उस वक्त कोई उसकी परवाह करने वाला नहीं था। वह अकेले २० सालों से एक बेकरी में काम कर के अपने दो बच्चों का पालन-पोषण और उनकी पढ़ाई का खर्चा उठा रही थी। काफी मेहनत के बाद आखिरकार उसकी आर्थिक स्थिति ठीक हुई और उसने एक रेस्टोरेंट खोल लिया फिर जो आमदनी हुई उससे उसने शहर में ज़मीन खरीदकर घर बनाया और अपने बच्चों की शादी भी की। काम्या अपनी सारी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही थी, लेकिन अंदर से बिल्कुल अकेली थी। भावनात्मक रूप से उसे कोई सहारा देने वाला नहीं था लेकिन किस्मत ने तो उसके लिए कुछ और ही सोचा था। एक लड़का जिसका नाम रवि था उसके रेस्टोरेंट पर अक्सर आया करता था। रवि रेस्टोरेंट के पास ही एक कम्पनी में काम करता था। इसलिए खाना खाने के लिए वह रेस्टोरेंट पर आ जाता। काम्या के हाथ का बना लज़ीज खाना उसे बहुत पसंद था। काम्या भी हर रोज़ रवि के आने का इंतज़ार करती और जिस दिन वो नहीं आता वह उदास हो जाती। उसका रोज़ आना और मस्तीभरी बातें करना उसको खूब भाता था। यही कारण था कि उसके दिल की डोर रवि की तरफ खिंची चली जा रही थी। बातों-बात में रवि भी काम्या के अतीत को जान चुका था। धीरे-धीरे रवि काम्या की मधुर आवाज़ और हसीन चेहरे का दीवाना होने लगा, फिर क्या...वो रोज़ उसे देखने रेस्टोरेंट आता, खा-पीकर कुछ देर बात करता और चला जाता। उसे काम्या की आंखों में अपने लिए प्यार नज़र आने ...

Na Umr Ki Seema Ho

भाग 2 ( अंतिम भाग ) - पिछले अंक में आपने पढ़ा कि सुकन्या सतीश से अपने मुसीबतों की बातें कर रही थी , अब आगे पढ़ें क्या उम्र के अंतर के बावजूद दोनों मिल पाते हैं ..... कहानी - ना उम्र की सीमा हो 2 " देखो मैं पास्ट याद कर भी रोने वाली नहीं हूँ .मेरे पति ने मरते वक़्त कहा था कि रोने से कुछ हासिल नहीं होगा .सामने वाला हो सकता है झूठी सहानुभूति दिखा दे , बस ." " नहीं , मैं न तो तुम्हें रोते देखना चाहूंगा न ही झूठी सहानुभूति दिखलाऊंगा .बस तुमने ही चर्चा की इसलिए पूछ बैठा था ." " तो सुनो , उस साल मेरे पति का फैटल एक्सीडेंट हुआ था .तब मैं उम्मीद से थी और चौथा महीना चल रहा था .एक्सीडेंट के सदमे से या क्यों नहीं जानती मेरा मिसकैरेज हो गया था . " " वैरी सॉरी . " " अब सॉरी वारी छोड़ो , मैं कॉफ़ी बना कर लाती हूँ ." सुकन्या कॉफ़ी बनाने चली गयी .अभी तक सतीश के मन में सुकन्या के प्रति प्यार सोया हुआ था पर अब जागृत हो गया था .वह एक दोराहे पर खड़ा था .एक ओर वह उससे करीब आठ वर्ष बड़ी थी , पता नहीं उसके इजहार को वह किस रूप में ले .दूसरी ओर पता नहीं माँ ऐसे रिश्ते को कबूल करे या नहीं .सतीश दिखावे के लिए एक मैगजीन उठा कर पढ़ रहा था जबकि उसकी आँखें सिर्फ पन्नों पर थीं और मन कहीं और विचरण कर रहा था . तब तक सुकन्या कॉफ़ी मेकर से झटपट कॉफ़ी ले कर आई .उसने सतीश के मैगजीन को उलट कर सीधा किया और कहा " अब पढ़ो . पर जहाँ तक मैं समझती हूँ तुम किसी गहरी चिंता में हो .दोस्ती है तो कुछ शेयर भी कर सकते हो .हो सकता है कुछ मदद कर सकूँ ." " तुम्हें तो दोस्त से कहीं बढ़ कर माना है .अच्छा यह बताओ तुमने दुबारा शादी क्यों नहीं की ? " " मेरे पति ने भी अपने अंतिम क्षणों में कहा था कि शादी कर लेना ." " फिर ? " " मेरे जेठ और देवर भी...