निजीकरण क्या है

  1. भारत में शिक्षा के निजीकरण पर निबंध
  2. Privatisation : निजीकरण क्या है, इसके फायदे एवं नुकसान।
  3. उदारीकरण , निजीकरण और वैश्वीकरण क्या है ?
  4. निजीकरण क्या है? अर्थ और परिभाषा (Privatization Hindi)
  5. WHAT IS PRIVATIZATION
  6. निजीकरण (Privatisation)क्या है ?
  7. निजीकरण क्या होता है
  8. भारतीय अर्थव्यवस्था/उदारीकरण,निजीकरण और वैश्वीकरण


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भारत में शिक्षा के निजीकरण पर निबंध

देश के स्वतंत्र होने के बाद बीते 5 दशकों में देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। स्वतंत्रता पूर्व देश में मात्र 3 विश्वविद्यालय थे। वहीं, अब विश्वविद्यालयों की संख्या 250 से अधिक पहुंच गई है। आज हम इस लेख में भारत में निजी कॉलेज या शिक्षा पर निबंध लिखेंगे। साथ ही जानेंगे हमारे देश में शिक्षा के क्या हाल है… शिक्षा क्या है? शिक्षा शब्द की उत्पत्ति 2 लैटिन शब्दों से मिलकर हुई है। educare जिसका अर्थ होता है प्रशिक्षित करना और educere जिसका अर्थ है निर्देशित करना। जो भी कार्य व्यक्ति को नवीन अनुभव और नवीन ज्ञान प्रदान करता हैं वह शिक्षा हैं। विद्यालय में ही नहीं आप कहीं भी शिक्षा को प्राप्त कर सकते है। शिक्षा के द्वारा छात्रों का सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक विकास किया जाता हैं। नई शिक्षण संस्थानों की स्थापना के कारण नवयुवकों को रोजगार नए अवसर उपलब्ध हो रहे शिक्षण से संबंधित व्यवसायों को भी गति मिल रही हैं। बता दें, पिछले कुछ सालों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई हैं। शिक्षा के प्रकार निरोपचारिक शिक्षा औपचारिक शिक्षा इस प्रकार की शिक्षा विद्यार्थियों को विद्यालय में प्रदान की जाती हैं। यह शिक्षा प्राप्त कर छात्र वास्तविक अनुभव की प्राप्ति करते हैं। इस दौरान विद्यार्थियों में समस्या-समाधान के कौशल का विकास अच्छे से होता हैं। अनौपचारिक शिक्षा इस तरह की शिक्षा छात्रों को विद्यालय से नहीं, बल्कि समाज, परिवार से प्राप्त होती हैं। इस प्रकार की शिक्षा को आप छात्र के अंदर डाल सकते है। यह शिक्षा छात्र अपनी इच्छा से ही ग्रहण करते हैं। इसलिए इसे अनौपचारिक शिक्षा कहते है। बता दें, इस प्रकार की शिक्षा कही भी, कभी भ...

Privatisation : निजीकरण क्या है, इसके फायदे एवं नुकसान।

आए दिनों Privatisation यानिकी निजीकरण समाचारों की सुर्ख़ियों में छाया रहता है। कभी सुनने में आता है की सरकार ने किसी कंपनी का प्राइवेटाइजेशन कर दिया । तो कभी सुनने में आता है की, सरकार बैंकों का निजीकरण करने की योजना बना रही है। इसकी सुर्ख़ियों में रहने का मुख्य कारण यह होता है की सत्ताविहीन पार्टी यानिकी विपक्ष (वह पार्टी जो सत्ता में न हो) इसे मुद्दा बना लेता है। और जिस संगठन का निजीकरण हो रहा होता है, उसके कर्मचारी भी इसके खिलाफ होते हैं। शायद यही कारण है की आए दिनों हमारे कानों से Privatisation और निजीकरण जैसे शब्द गुजरते रहते है। इसलिए वर्तमान में अधिकतर लोग निजीकरण के बारे में और अधिक जानने को उत्सुक रहते हैं। आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से निजीकरण के बारे में ही जानने का भरसक प्रयत्न कर रहे हैं। Privatisation यानिकी निजीकरण करने के पीछे मुख्य तर्क यह दिया जाता है, चूँकि निजी क्षेत्र के उद्यम बाजार के नियमों के अधीन काम करते हैं, इसलिए उनकी कार्यकुशलता सरकारी उद्यमों से अच्छी होती है। 6.4. सफलता का सुनिश्चित न होना – निजीकरण क्या है ( Privatisation Kya hai): साधारण शब्दों में कहें तो किसी ऐसे संगठन या सर्विस जिसका प्रबंध सरकार या सरकारी कंपनियाँ कर रही हों। उनका स्वामित्व और प्रबंध किसी निजी कंपनी के हाथों में दे देना ही निजीकरण यानिकी Privatisation है। कहने का आशय यह है की जब किसी सरकारी यानिकी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी या संगठन का स्वामित्व, प्रबंधन एवं नियंत्रण निजी क्षेत्र की कंपनी को दे दिया जाता है, तो इसे निजीकरण कहते हैं। निजीकरण में सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी या संगठनों का स्वामित्व ट्रांसफर होना ही नहीं आता, बल्कि कोई सर्विस जिसे सार्वजनिक क्षेत्र स...

उदारीकरण , निजीकरण और वैश्वीकरण क्या है ?

प्रस्तावना जैसा कि हम जानते हैं कि औपनिवेशिक युग ( 1773–1947 ) के दौरान भारत अंग्रेजो के शासन के अधीन था और अंग्रेज भारत के प्राकृतिक स्त्रोतों का पूर्ण दोहन करते थे! अंग्रेज भारत से सस्ती दरों पर कच्ची सामग्री (Raw Material) खरीदा करते थे और तैयार माल(Finished Goods) भारतीय बाजारों में सामान्य मूल्य से कहीं अधिक उच्चतर कीमत पर बेचा करते थे, जिसके परिणामस्वरूप स्रोतों का द्विमार्गी ह्रास होता था। गौर करने वाली बात ये है की इस अवधि के दौरान विश्व की आय में भारत का हिस्सा 1700 ईस्वी के 22.3 प्रतिशत से गिरकर 1952 में 3.8 प्रतिशत रह गया था, इसी तथ्य से पता चलता है की अंग्रेज ईसाइयो ने किस प्रकार भारत के साथ मक्कारी की और बड़ी ही क्रूरता और चालाकी से पूरी अर्थव्यवस्था को धराशायी कर दिया ! 15 अगस्त 1947 को भारत के ( उन मनहूस लुटेरे अंग्रेजो से ) स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अर्थव्यवस्था की पुननिर्माण प्रक्रिया प्रारंभ हुई। इस उद्देश्य से विभिन्न नीतियॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से कार्यान्वित की गयी। ईन पंचवर्षीय योजनावों का लाभ भी दिखा और उनकी बदौलत 1950 में भारत ने 3.5 फीसदी की विकास दर हासिल कर ली थी! कई अर्थशास्त्रियों ने इसे ब्रिटिश राज के अंतिम 50 सालों की विकास दर से तिगुना हो जाने का जश्न मनाया था। समाजवादियों ने इसे भारत की आर्थिक नीतियों की जीत करार दिया था! वे नीतियां जो अंतर्मुखी थीं और सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों के वर्चस्व वाली थीं। वहीं 1960 के दशक में ईस्ट इंडियन टाइगरों (दक्षिण कोरिया, ताईवान, सिंगापुर और हांगकांग) ने भारत से दोगुनी विकास दर हासिल कर ली थी। जो इस बात का प्रमाण था कि उनकी बाह्यमुखी और निजी क्षेत्र को प्राथमिकता देन...

निजीकरण क्या है? अर्थ और परिभाषा (Privatization Hindi)

निजीकरण (Privatization) क्या है? अर्थ: आर्थिक सुधारों के नए सेट का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में निजी क्षेत्र को अधिक से अधिक भूमिका देना और सार्वजनिक क्षेत्र को कम भूमिका देना है। परिभाषा: निजीकरण (Privatization), जिसे निजीकरण (Privatisation) भी कहा जाता है, का अर्थ अलग-अलग चीजों से हो सकता है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र से कुछ को निजी क्षेत्र में स्थानांतरित करना शामिल है। इसे कभी-कभी डेरेग्यूलेशन के पर्याय के रूप में भी प्रयोग किया जाता है जब एक भारी विनियमित निजी कंपनी या उद्योग कम विनियमित हो जाता है। इसे प्राप्त करने के लिए, सरकार ने 1991 की नई औद्योगिक नीति में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका को फिर से परिभाषित किया। • बिक्री का उद्देश्य, सरकार के अनुसार, मुख्य रूप से वित्तीय अनुशासन में सुधार और आधुनिकीकरण की सुविधा के लिए था। • यह भी देखा गया कि पीएसयू के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए निजी पूंजी और प्रबंधकीय क्षमताओं का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है। • सरकार ने प्रबंधकीय निर्णय लेने में स्वायत्तता देकर सार्वजनिक उपक्रमों की दक्षता में सुधार के प्रयास भी किए हैं। निजीकरण क्या है? अर्थ और परिभाषा (Privatization Hindi) #Pixabay.

WHAT IS PRIVATIZATION

WHAT ISPRIVATIZATION निजीकरण क्या है ? निजीकरण (PRIVATIZATION) से आशय सरकारी या सार्वजनिक संपत्ति तथा ठेको के अधिकारों को निजी क्षेत्र को सौंप देने से है। किसी भी देश की सरकार अपने सभी कामो का पूर्ण निजीकरण कर सकती है ताकि उस देश की अर्थव्यवस्था को सुधारा जा सके। निजीकरण होने से हर काम में समय तथा पैसे की बचत होती है जोकि सरकारी कामो में कम होती है। निजीकरण एक देश की आर्थिक स्थिति को वित्तीय रूप से मजबूत बनाता है। भारत में हाल ही में कई सरकारी योजनाओ तथा कामो का निजीकरण (PRIVATIZATION) किया गया है जिसमे भारतीय रेल व्यवस्था या बिजली उत्पादन क्षेत्र जैसे कई उद्योगों का निजीकरण किया गया है जिसमे शिक्षा को भी शामिल किया गया है। DEFINITION :- Privatization means a transfer of ownership, management, and control of public sector enterprises to the private sector. निजीकरण (PRIVATIZATION) कई चीजों का सुझाव दे सकता है , जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र से कुछ को निजी क्षेत्र में स्थानांतरित करना शामिल है। यह शायद ही कभी deregulation के लिए एक उपनाम के रूप में उपयोग किया जाता है जब एक व्यापक रूप से विनियमित निजी फर्म या उद्योग कम संगठित हो जाता है। सरकारी सेवाओं और कार्यों का निजीकरण (PRIVATIZATION) भी हो सकता है ; इस परिस्थिति में , निजी संस्थाओं को सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन या सरकारी सहायता के निष्पादन का काम सौंपा जाता है जो पहले राज्य द्वारा संचालित कंपनियों की दृष्टि थी। कुछ उदाहरणों में कानून प्रवर्तन , राजस्व संग्रह और जेल प्रबंधन शामिल हैं। निजीकरण की आवश्यकता क्यों है। :- ( Importance of privatization) 1 . Corruption :- सरकारी कामो में हमेशा हमें ये देखने को मिलता की सरकारी कर्म...

निजीकरण (Privatisation)क्या है ?

निजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे क्षेत्र या उद्योग को सार्वजनिक क्षेत्र से निजी क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाता है। दूसरे शब्दों में हम इसे ऐसे भी कह सकते है कि निजीकरण से आशय ऐसी औद्योगिक इकाइयों को निजी क्षेत्र में हस्तांतरित किये जाने से है जो अभी तक सरकारी स्वामित्व एवं नियंत्रण में थी। सार्वजनिक क्षेत्र सरकारी एजेंसियों द्वारा संचालित आर्थिक प्रणाली का हिस्सा है। निजीकरण में सरकारी संपत्तियों की बिक्री या निजी व्यक्तियों और व्यवसायों को किसी दिए गए उद्योग में भाग लेने से रोकने वाले प्रतिबंधों को हटाना भी शामिल हो सकता है। निजीकरण के समर्थकों का कहना है कि निजी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा अधिक कुशल प्रथाओं को बढ़ावा देती है, जो अंततः बेहतर सेवा और उत्पाद, कम कीमत और कम भ्रष्टाचार उत्पन्न करती है। दूसरी तरफ, निजीकरण के आलोचकों का तर्क है कि कुछ सेवाएं - जैसे कि स्वास्थ्य देखभाल, उपयोगिताओं, शिक्षा और कानून प्रवर्तन - सार्वजनिक क्षेत्र में अधिक नियंत्रण सक्षम करने और अधिक न्यायसंगत पहुंच सुनिश्चित करने के लिए होना चाहिए।

निजीकरण क्या होता है

वर्तमान समय में लोग सरकारी संस्थानों की अपेक्षा निजी संस्थानों को अधिक महत्व देते है, क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है जबकि सरकारी संस्थाओं में नौकरशाही का बोल बाला होता है, जिससे कार्यों की गुणवत्ता बहुत खराब रहती है। उदाहरण के लिए यदि हम एक विद्यालय की बात करे तो, आज के समय में सभी लोग अपनें बच्चों का एडमीशन प्राइवेट स्कूल में कराते है | जबकि एक नजरिये से देखा जाये तो गवर्नमेंट एक सरकारी विद्यालय पर लाखों रुपये प्रतिमाह खर्च करती है, इसके बावजूद भी शिक्षा की गुणवत्ता में कोई खास प्रभाव नही होता है | इसके आलावा ऐसे कई सेक्टर है, जो सरकारी होते हुए भी अपनें कार्यों के प्रति लापरवाही करते है, जिससे देश का आर्थिक क्षति पहुचती है | ऐसे में सरकार द्वारा निजीकरण की नीति अपनाई जा रही है, निजीकरण क्या होता है, इसके उद्देश्य के बारें में आपको यहाँ पूरी जानकारी दे रहे है | आर्थिक मंदी (Economic Recession) क्या है निजीकरण का क्या मतलब होता है? यदि देखा जाये तो निजीकरण की नीति प्राचीन काल से अपनाई जा रही है | बीसवीं सदी के पूर्व यूनानी सरकार नें लगभग सभी गवर्नमेंट आर्गेनाइजेशनस को निजी क्षेत्र के हाथों में सौप दिया था, यहो कार्य रोमन सरकार नें भी किया | बीसवीं सदी के बाद की बाद की बात करे तो नाजी हुकूमत नें जर्मनी में अनेक गवर्नमेंट आर्गेनाइजेशनस को निजी क्षेत्र को सौंप दिया था। इसी प्रकार इंग्लैंड ने भी 1950 के दशक में इस्पात उद्योगों का निजीकरण कर दिया था | पीएसयू (PSU) क्या होता है निजीकरण कैसे होता है (How Does Privatization) दरअसल सरकारी कंपनियां दो तरीकों से निजी कंपनियों में परिवर्तित हो जाती हैं, जो इस प्रकार है- 1. विनिवेश (Disinvestment) विनिवेश ...

भारतीय अर्थव्यवस्था/उदारीकरण,निजीकरण और वैश्वीकरण

← उदारीकरण,निजीकरण और वैश्वीकरण भारत का GDP विकास(2004–05 के स्थिर मूल्य पर)उदारीकरण के पश्चात सेवा क्षेत्र के GDP में सर्वाधिक वृद्धि हुई। उदारीकरणशब्द की उत्पत्ति 19वी शताब्दी में प्रारंभ राजनीतिक विचारधारा 'उदारवाद'से हुई है।कई बार इस शब्द का प्रयोग मेटा विचारधारा के रूप में किया जाता है,जो अपने में कई विरोधी मूल्यों और मान्यताओं को अपनाने में सक्षम है।यह विचारधारा एड्म स्मिथ की लेखनी में परिलक्षित सामंतवाद के विघटन और बाजार या पूंजीवादी समाज की वृद्धि का परिणाम है। उदारीकरण एक ऐसी नीति है,जिसके तहत सरकार अर्थव्यवस्था के प्रतिबंधों को दूर कर विभिन्न क्षेत्रों को मुक्त करती है।1960 के दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक गतिविधियों के लिए बनाये गए नियम-कानून ही इसके संवृद्धि और विकास के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा बन गए। सामग्री • १ भारत में उदारीकरण • २ उदारीकरण का प्रभाव • ३ निजीकरण • ४ वैश्वीकरण • ४.१ भारत में वैश्वीकरण का प्रभाव • ५ सन्दर्भ भारत में उदारीकरण [ ] वैसे तो औद्योगिक लाइसेंस प्रणाली,आयात-निर्यात नीति,तकनीकी उन्नयन,राजकोषीय और विदेशी निवेश नीतियों में उदारीकरण 1980 के दशक में ही आरंभ की हो गए थे।परंतु 1991 में प्रारंभ की गई सुधारवादी नीतियाँ कहीं अधिक व्यापक थीं।जिसके तहत निम्नलिखित क्षेत्रों में उदारीकरण की प्रक्रिया अपनाई गई। औद्योगिक क्षेत्र का विनियमीकरण:-1991 के बाद आरंभ हुई नीतियों ने निम्नलिखित छ:उत्पादों को छोड़ शेष उत्पादों के लिए लाइसेंसिंग व्यवस्था को समाप्त कर दिया। • अल्कोहल,सिगरेट,जोखिम भरे रसायनों,औद्योगिक विस्फोटकों इलेक्ट्रॉनिकी,विमानन तथा औषधि-भेषज। • प्रतिरक्षा उपकरण,परमाणु ऊर्जा उत्पाद और रेल परिवहन सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित किए गए...