नखलिस्तान किसे कहते है

  1. संधि किसे कहते हैं? संधि के भेद, उदाहरण, परिभाषा, शब्द, अर्थ, वाक्य sandhi in hindi, in sanskrit
  2. विशेषण की परिभाषा, भेद, उदाहरण, अभ्यास: visheshan in hindi grammer, examples, exercise
  3. नखलिस्तान meaning in Hindi
  4. लिखित भाषा किसे कहते हैं? और लिखित भाषा के उदाहरण
  5. लिपि
  6. अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं ? अर्थव्यवस्था के प्रकार बताइये꘡Bhartiya Arthvyavastha in hindi
  7. संज्ञा किसे कहते हैं
  8. समाज का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं/लक्षण
  9. लिपि
  10. समाज का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं/लक्षण


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संधि किसे कहते हैं? संधि के भेद, उदाहरण, परिभाषा, शब्द, अर्थ, वाक्य sandhi in hindi, in sanskrit

विषय-सूचि • • • • • • • • • • • • • • संधिकीपरिभाषा • संधिकाअर्थहोताहै मेलयाफिर मिलना।जबहमडोशब्दोंकोमिलातेहैंतोपहलेशब्दकीअंतिमध्वनीएवंदुसरेशब्दकिपहलीध्वनीमिलकरजोपरिवर्तनलातीहै, उसेहीसंधिकहतेहैं। • जबसंधिकियेगएदोशब्दोंकोहमअलगअलगकरकेलिखतेहैंतोवह संधिविच्छेदकहलाताहै। संधिकेकुछउदाहरण • तथास्तु : तथा + अस्तु इसउदाहरणमें आएवं अमिलकर आबनगएएवंअकालोपहोगया। • पदोन्नति : पद + उन्नति इसउदाहरणमें अएवं उमिलकर ओबनगए।उकालोपहोगया। • सर्वोच्च : सर्व + उच्च इसउदाहरणमेंभी अएवं उमिलकर ओबनगएवउकालोपहोगया। • चिरायु : चिर + आयु ऊपरदिएगएउदाहरणमें रएवं आमिलकर राबनादेतेहैं। • समानांतर : समान + अंतर ऊपरदिएगएउदाहरणमें नएवं अनेमिलकर नाबनादियाहै। • प्रत्येक : प्रति + एक जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं तिएवं एनेमिलकरत्येबनादिया। संधिकेभेद : संधिकेमुख्यतःतीनभेदहोतेहैं : • स्वरसंधि • व्यंजनसंधि • विसर्गसंधि 1. स्वरसंधि जबदोस्वरआपसमेंजुड़तेहैंयादोस्वरोंकेमिलनेसेउनमेंजोपरिवर्तनआताहै, तोवहस्वरसंधिकहलातीहै।जैसे : • विद्यालय : विद्या + आलय इसउदाहरणमेंआपदेखसकतेहैकिजबदोस्वरोंकोमिलायागयातोमुख्यशब्दमेंहमेंअंतरदेखनेकोमिला।दोआमिलेएवंउनमेसेएकआकालोपहोगया। (स्वरसंधिकेबारेमेंगहराईसेजाननेकेलिएयहाँक्लिककरें– स्वरसंधिकेभेद: • दीर्घसंधि • गुणसंधि • वृद्धिसंधि • यणसंधि • अयादिसंधि 1. दीर्घसंधि संधिकरतेसमयअगर(अ, आ) केसाथ (अ, आ) होतो‘आ‘बनताहै, जब (इ, ई) केसाथ (इ , ई) होतो‘ई‘बनताहै, जब (उ, ऊ) केसाथ (उ ,ऊ) होतो‘ऊ‘बनताहै।जबऐसाहोताहैतोहमइसेदीर्घसंधिकहतेहै। (दीर्घसंधिकेबारेमेंगहराईसेजाननेकेलिएयहाँक्लिककरें– 2. गुणसंधि जबसंधिकरतेसमय (अ, आ) केसाथ (इ , ई) होतो‘ए‘बनताहै, जब (अ ,आ)केसाथ (उ , ऊ) होतो‘ओ‘बनताहै, जब (अ, आ) केसाथ (ऋ) होतो‘अ...

विशेषण की परिभाषा, भेद, उदाहरण, अभ्यास: visheshan in hindi grammer, examples, exercise

विषय-सूचि • • • • • • • • • • • विशेषणकीपरिभाषा • विशेषणवेशब्दहोतेहैंजो • विशेषणविकारीशब्दहोतेहैंएवंइन्हेंसार्थकशब्दोंकेआठभेड़ोंमेंसेएकमानाजाताहै। • बड़ा, काला, लम्बा, दयालु, भारी, सुंदर, कायर, टेढ़ा–मेढ़ा, एक, दो, वीरपुरुष, गोरा, अच्छा, बुरा, मीठा, खट्टाआदिविशेषणशब्दोंकेकुछउदाहरणहैं। विशेषणकेउदाहरण • राधाबहुतसुन्दरलड़कीहै। जैसाकिआपऊपरउदाहरणमेंदेखसकतेहैंराधाएकलड़कीकानामहै।राधानामएकसंज्ञाहै।सुन्दरशब्दएकविशेषणहैजोसंज्ञाशब्दकीविशेषताबतारहाहै। चूंकिसुन्दरशब्दसंज्ञाकीविशेषताबतारहाहैइसलिएयहशब्दविशेषणकहलायेगा।जिसशब्दकीविशेषणविशेषताबताताहैउसशब्दको विशेष्यकहाजाताहै। • रमेशबहुतनिडरसिपाहीहै। ऊपरदिएगएउदाहरणसेहमेंपताचलताहैकिरमेशएकसिपाहीहैएवंवहनिडरभीहै।अगरइसवाक्यमेंनिडरनहींहोतातोहमेंबसयहपताचलताकिरमेशएकसिपाहीहैलेकिनकैसासिपाहीहैयेहमेंनहींपताचलता। अभीनिडरशब्दकावाक्यमेंप्रयोगहुआहैतोहमेंपताचलगयाहैकिरमेशसिपाहीहोनेकेसाथ-साथनिडरभीहै।निडरशब्दरमेशकीविशेषताबतारहाहै।अतःनिडरशब्दविशेषणकहलायेगा। • मोहनएकमेहनतीविद्यार्थीहै। जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैंकियहाँमोहनकिमेहनतीहोनेकिविशेषताबतायीजारहीहै। अगरहमइसवाक्यसेमेहनतीविशेषणहटादेतेहैंतोहमेंसिर्फयहपताचलताहैकीमोहनएकविद्यार्थीहैलेकिनकैसाविद्यार्थीहैयहहमेंपतानहींचलता। जबवाक्यमेंमेहनतीविशेषणकाप्रयोगकियागयातोहमेंपताचलगयाकीमोहनविद्यार्थीहोनेकेसाथसाथमेहनतीभीहै।मेहनतीशब्दकीविशेषताबतारहाहै।अतःमेहनतीशब्दविशेषणकहलायेगा। विशेष्य :वाक्यमेंजिससंज्ञायासर्वनामकीविशेषताबतायीजातीहैउन्हेंविशेष्यकहतेहैं। विशेषणकेभेद विशेषणकेमुख्यतःआठभेदहोतेहैं : • गुणवाचकविशेषण • संख्यावाचकविशेषण • परिमाणवाचकविशेषण • सार्वनामिकविशेषण • व्यक्तिवाचकविशेषण • प्रश्नवाचकविशेषण • तुलनबोधकविशेषण • ...

नखलिस्तान meaning in Hindi

1. “ The oases may not shelter armies or troops . ” “ नखलिस्तान में फौज या फौजियों को शरण देना मना है । ” 2. I ' m trying to find out where the alchemist lives here at the oasis . ” “ यहां नखलिस्तान में कोई कीमियागर रहता है ? ” 3. “ It ' s the oasis , ” said the camel driver . “ यह नखलिस्तान है ! ” ऊंट चालक ने कहा । 4. “ I want to stay at the oasis , ” the boy answered . “ मैं नखलिस्तान में रहना चाहता हूं । ” लड़के ने जवाब दिया , 5. ” Let me tell you what will happen . “ तो मैं बताता हूं क्या होगा । तुम नखलिस्तान के लोगों के सलाहकार बन जाओगे । 6. ” The oasis is neutral ground . “ नखलिस्तान तो तटस्थ क्षेत्र है । 7. ” I have been waiting for you here at this oasis for a long time . “ मैं यहां इस नखलिस्तान में न जाने कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी । 8. “ He lives at the Al-Fayoum oasis , ” his friend had said . उसके दोस्त ने बताया था कि वह अरब अल - फय्यूम नामक नखलिस्तान में रहता है । 9. The caravan would be very lucky to reach the oasis . हम बड़े भाग्यशाली होंगे , अगर हमारा कारवां नखलिस्तान तक सही सलामत पहुच सका , तो ! 10. Many insects live habitually at the edges of oasis and do not stray far from the water . अनेक कीट स्वभाववश नखलिस्तान के किनारे रहते हैं और पानी से दूर नहीं जाते . More sentences:1

लिखित भाषा किसे कहते हैं? और लिखित भाषा के उदाहरण

भाषा :- ‘भाषा’ शब्द संस्कृत की भाष धातु से बना है. जिसका अर्थ-बोलना होता है. हम बोलकर और लिखकर अपने मन के भावों को अभिव्यक्त करते हैं और सुनकर व पढ़कर दूसरों के भावों को ग्रहण करते हैं. भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य आपस में अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं. भाषा कितने प्रकार के होते हैं • मौखिक भाषा • लिखित भाषा • सांकेतिक भाषा मौखिक भाषा मौखिक भाषा वह भाषा होती है जिसमे कोई व्यक्ति अपनी भावनाओ, मनोदशा, भावों, स्थिति, परिस्थिति को मुह से बोल कर शब्दों से वाक्य का निर्माण करके किसी अन्य व्यक्ति को बताता है. इसमें एक व्यक्ति बोलने वाला होता है. और दूसरा सुनने वाला होता है. सुनने वाले व्यक्ति एक से ज्यादा भी हो सकते है. लिखित भाषा किसे कहते हैं? जब व्यक्ति अपने विचारों को लिखकर प्रकट करता है तो भाषा के इस रूप को लिखित भाषा कहते हैं. लिखित भाषा किसे कहते हैं? लिखित भाषा के उदाहरण भाषा के लिखित रूप के द्वारा मनुष्य के विचार भविष्य के लिए भी सुरक्षित रखे जा सकते हैं. युगों पूर्व हुए विद्वानों और महापुरुषों के विचारों को लिखित रूप में पुस्तकों में आज भी पढ़कर जाना जा सकता है. वेद, पुराण, • समाचार-पत्र, • पत्रिकाएँ, • कहानी, • लेख, • संस्मरण, • ई-मेल, • एस० एम० एस० • • स्क्रिप्ट, • जर्नल, • निबंध लिखित भाषा की विशेषताएँ (1) यह भाषा का स्थायी रूप है. (2) इस रूप में हम अपने भावों और विचारों को अनंत काल के लिए सुरक्षित रख सकते हैं. (3) यह रूप यह अपेक्षा नहीं करता कि वक्ता और श्रोता आमने-सामने हों. (4) इस रूप की आधारभूत इकाई ‘वर्ण’ हैं जो उच्चरित ध्वनियों को अभिव्यक्त करते हैं. (5) यह भाषा का गौण रूप है. सांकेतिक भाषा जब व्यक्ति अपने विचारों को संकेतों के द्वारा प्रकट करता ह...

लिपि

यद्यपि संसार भर में प्रयोग हो रही भाषाओं की संख्या अब भी हजारों में है, तथापि इस समय इन भाषाओं को लिखने के लिये केवल लगभग दो दर्जन लिपियों का ही प्रयोग हो रहा है। और भी गहराई में जाने पर पता चलता है कि संसार में केवल तीन प्रकार की ही मूल लिपियाँ (या लिपि परिवार) हैं- • • • ये तीनों लिपियाँ तीन अलग-अलग क्षेत्रों में विकसित हुईं जो पर्वतों एवं मरुस्थलों द्वारा एक-दूसरे से अलग-अलग स्थित हैं। अनुक्रम • 1 अल्फाबेटिक लिपियाँ • 2 अल्फासिलैबिक लिपियाँ • 3 चित्र लिपियाँ • 4 लिपि (लेखन कला) का उद्भव • 4.1 भारतीय दृष्टिकोण • 4.2 विदेशी विचारधारा • 5 लेखन की दिशा • 6 देवनागरी से अन्य लिपियों में रूपान्तरण • 7 सन्दर्भ • 8 इन्हें भी देखें • 9 बाहरी कड़ियाँ अल्फाबेटिक लिपियाँ [ ] इसमें स्वर अपने पूरे अक्षर का रूप लिये व्यंजन के बाद आते हैं। • • • • • अल्फासिलैबिक लिपियाँ [ ] इसकी हर एक इकाई में एक या अधिक व्यंजन होता है और उसपर स्वर की मात्रा का चिह्न लगाया जाता है। अगर इकाई में व्यंजन नहीं होता तो स्वर का पूरा चिह्न लिखा जाता है। • • • • दक्षिण भारतीय भाषाओं व बौद्ध धर्म के प्रचारकों द्वारा पूर्वमें भाषा को क्रमबद्ध एवम् व्यवस्थित किया गया जिससे चित्र लिपि में भी मात्राओं जैसी प्रवृत्ति विकसित हो गई। अन्य भाषाएँ • चित्र लिपियाँ [ ] ये सरलीकृत चित्र होते हैं। • • • लिपि (लेखन कला) का उद्भव [ ] भारतीय दृष्टिकोण [ ] भारतीय दृष्टिकोण सदा अध्यात्मवादी रहा है। किसी भी भौतिक कृति को जो थोड़ी भी आश्चर्यजनक होती है तथा जिसमें नवीनीकरण रहता है उसे दैवीय कृति ही माना जाता है। यही कारण है कि आदि ग्रन्थ भारतीय लेखन-कला के उद्धव के सम्बन्ध में भी भारतीय दृष्टिकोण कुछ इसी प्रकार का प्रतीत होता है। ना ...

अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं ? अर्थव्यवस्था के प्रकार बताइये꘡Bhartiya Arthvyavastha in hindi

जिस प्रकार मानव शरीर के लिए भोजन, पाचन प्रक्रिया तथा परिश्रम आवश्यक होता है, ठीक उसी प्रकार अर्थव्यवस्था (arthvyavastha) को सुचारू रूप से चलायमान रखने के लिये उत्पादन, उपभोग, विनियोग एवं वितरण जैसी प्रक्रियाएँ आवश्यक होती हैं। सीधी भाषा में कहें तो अर्थव्यवस्था उत्पादन, वितरण एवं खपत संबंधी एक सामाजिक व्यवस्था है। अर्थव्यवस्था (arthvyavastha) एक ऐसी प्रणाली है जो लोगों को जीविका प्रदान करती है। अर्थव्यवस्था में उत्पादन, विनिमय, वितरण आदि क्रियाओं के सम्मिलित होने के कारण लोगों की आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता मिलती है। इन्हीं उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन किया जाता है ताकि लोगों की अधिकतम आवश्यकता को संतुष्ट किया जा सके। इस प्रकार, उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है जिसमें सभी प्राकृतिक, मौलिक एवं मानवीय संसाधनों का प्रयोग करके विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन किया जाता है। ताकि समाज के सभी लोग अपने जीवन में मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति भलीभांति कर सकें। साथ ही इस व्यवस्था या प्रक्रिया से जीविका प्राप्त कर सकें। अर्थव्यवस्था के अंतर्गत उत्पत्ति के साधनों पर निजी स्वामित्व होता है तथा इन साधनों को लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यों में प्रयोग करने की स्वतंत्रता होती है। ज़्यादातर इस व्यवस्था में उत्पादन के समस्त साधनों पर निजी स्वामित्व पाया जाता है। अन्य शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि पूँजीवाद एक ऐसी आर्थिक पद्धति है जिसके अंतर्गत पूँजी के निजी स्वामित्व, उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत नियंत्रण, स्वतंत्र औद्योगिक प्रतियोगिता और उपभोक्ता द्रव्यों के अनियंत्रित व...

संज्ञा किसे कहते हैं

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • संज्ञा (Sangya) संज्ञा (Sangya) हिंदी व्याकरण का अति महत्वपूर्ण अध्याय है, क्योंकि हिंदी व्याकरण के लगभग प्रत्येक अध्याय में संज्ञा की भूमिका रहती है। संज्ञा विशेष रूप से एक विकारी शब्द है, जिसका अर्थ नाम होता है। इस संसार की प्रत्येक वस्तु या व्यक्ति का नाम संज्ञा होता है। इस लेख में हम संज्ञा के बारे में विस्तार पूर्वक बता रहे हैं। अतः लेख को ध्यान पूर्वक पढ़ें। संज्ञा के प्रकार संज्ञा किसे कहते हैं (Sangya Kise Kahate Hain) संज्ञा की परिभाषा (Sangya Definition in Hindi): किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, गुण, भाव या स्थान के नाम के घोतक शब्द को संज्ञा (Sangya) कहते हैं। संज्ञा (Sangya) का अर्थ नाम होता है, क्योंकि संज्ञा किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, गुण, भाव या स्थान के नाम को दर्शाती है। संज्ञा एक विकारी शब्द है। संज्ञा शब्द का उपयोग किसी वस्तु, प्राणी, व्यक्ति, गुण, भाव या स्थान के लिए नहीं किया जाता, बल्कि किसी वस्तु, व्यक्ति, प्राणी, गुण, भाव या स्थान के “नाम” के लिए किया जाता है। जैसे:- मोहन जाता है। इसमें मोहन नामक व्यक्ति संज्ञा नहीं है, बल्कि उस व्यक्ति का नाम “मोहन” संज्ञा है। संज्ञा के उदाहरण (Sangya Ke Udahran) • व्यक्ति का नाम –रमेश, अजय, विराट कोहली, नवदीप, राकेश, शंकर • वस्तु का नाम –कलम, डंडा, चारपाई, कंघा • गुण का नाम –सुन्दरता, ईमानदारी, बेईमानी, चालाकी • भाव का नाम –प्रेम, ग़ुस्सा, आश्चर्य, दया, करूणा, क्रोध • स्थान का नाम –आगरा, दिल्ली, जयपुर संज्ञा शब्द (Sangya Shabd) किसी भी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी के नाम को दर्शाने वाले शब्द को संज्ञा शब्द कहते हैं. संज्ञा शब्द के उदाहरण • मोहन • कलम ...

समाज का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं/लक्षण

Samaj ka arth paribhasha or visheshta;मानव एक सामाजिक प्राणी हैं। समाज व सामाजिक जीवन मानव का स्वभाव हैं। इस प्रकार समाज मानव के साथ-साथ चलता हैं मानव से ही समाज हैं। अतः समाज मनुष्य मे निहित हैं मानव से ही समाज हैं। अपनी आवश्यकताओं को लेकर मनुष्य ने समाज को कही बाहर से नही बुलाया हैं। इस तरह से मनुष्य की यदि कोई परिभाषा मनुष्य के रूप मे कि जाती है तो यह उसके मानव-समाज से पृथक् नही हो सकती। उसके सामाजिक जीवन और उससे उत्पन्न उसकी सांस्कृतिक व्यवस्था से पृथक् से नही हो सकती। सामान्य बोलचाल की भाषा में या साधारण अर्थ में 'समाज' शब्द का अर्थ व्यक्तियों के समूह के लिए किया जाता है। किसी भी संगठित या असंगठित समूह को समाज कह दिया जाता है, जैसे-- आर्य समाज, ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज, हिंदू समाज, जैन समाज, विद्यार्थी समाज, महिला समाज आदि। यह 'समाज' शब्द का साधारण अर्थ है जिसका प्रयोग विभिन्न लोगों ने अपने-अपने ढंग से किया है। किसी ने इसका प्रयोग व्यक्तियों के समूह के रूप में किसी ने समिति के रूप में, तो किसी ने संस्था के रूप में किया है। इसी वजह से समाज के अर्थ में निश्चितता का अभाव पाया जाता है। विभिन्न समाज वैज्ञानिकों तक ने 'समाज' शब्द का अपने-अपने ढंग से अर्थ लगाया है। उदाहरण के रूप में राजनीतिशास्त्री समाज को व्यक्तियों के समूह के रूप में देखता है। मानवशास्त्री आदिम समुदायों को ही समाज मानता है, जबकि अर्थशास्त्री आर्थिक क्रियाओं को संपन्न करने वाले व्यक्तियों के समूह को समाज कहता है। समाज का अर्थ (samaj kya hai) समाजशास्त्र मे समाज को सामाजिक संबंधों का जाल कहा जाता हैं। व्यक्ति और व्यक्तियों के बीच पाए जाने वाले अनेक संबंध होते है जो एक समाज का निर्माण करते हैं। समाज मे मान...

लिपि

यद्यपि संसार भर में प्रयोग हो रही भाषाओं की संख्या अब भी हजारों में है, तथापि इस समय इन भाषाओं को लिखने के लिये केवल लगभग दो दर्जन लिपियों का ही प्रयोग हो रहा है। और भी गहराई में जाने पर पता चलता है कि संसार में केवल तीन प्रकार की ही मूल लिपियाँ (या लिपि परिवार) हैं- • • • ये तीनों लिपियाँ तीन अलग-अलग क्षेत्रों में विकसित हुईं जो पर्वतों एवं मरुस्थलों द्वारा एक-दूसरे से अलग-अलग स्थित हैं। अनुक्रम • 1 अल्फाबेटिक लिपियाँ • 2 अल्फासिलैबिक लिपियाँ • 3 चित्र लिपियाँ • 4 लिपि (लेखन कला) का उद्भव • 4.1 भारतीय दृष्टिकोण • 4.2 विदेशी विचारधारा • 5 लेखन की दिशा • 6 देवनागरी से अन्य लिपियों में रूपान्तरण • 7 सन्दर्भ • 8 इन्हें भी देखें • 9 बाहरी कड़ियाँ अल्फाबेटिक लिपियाँ [ ] इसमें स्वर अपने पूरे अक्षर का रूप लिये व्यंजन के बाद आते हैं। • • • • • अल्फासिलैबिक लिपियाँ [ ] इसकी हर एक इकाई में एक या अधिक व्यंजन होता है और उसपर स्वर की मात्रा का चिह्न लगाया जाता है। अगर इकाई में व्यंजन नहीं होता तो स्वर का पूरा चिह्न लिखा जाता है। • • • • दक्षिण भारतीय भाषाओं व बौद्ध धर्म के प्रचारकों द्वारा पूर्वमें भाषा को क्रमबद्ध एवम् व्यवस्थित किया गया जिससे चित्र लिपि में भी मात्राओं जैसी प्रवृत्ति विकसित हो गई। अन्य भाषाएँ • चित्र लिपियाँ [ ] ये सरलीकृत चित्र होते हैं। • • • लिपि (लेखन कला) का उद्भव [ ] भारतीय दृष्टिकोण [ ] भारतीय दृष्टिकोण सदा अध्यात्मवादी रहा है। किसी भी भौतिक कृति को जो थोड़ी भी आश्चर्यजनक होती है तथा जिसमें नवीनीकरण रहता है उसे दैवीय कृति ही माना जाता है। यही कारण है कि आदि ग्रन्थ भारतीय लेखन-कला के उद्धव के सम्बन्ध में भी भारतीय दृष्टिकोण कुछ इसी प्रकार का प्रतीत होता है। ना ...

समाज का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं/लक्षण

Samaj ka arth paribhasha or visheshta;मानव एक सामाजिक प्राणी हैं। समाज व सामाजिक जीवन मानव का स्वभाव हैं। इस प्रकार समाज मानव के साथ-साथ चलता हैं मानव से ही समाज हैं। अतः समाज मनुष्य मे निहित हैं मानव से ही समाज हैं। अपनी आवश्यकताओं को लेकर मनुष्य ने समाज को कही बाहर से नही बुलाया हैं। इस तरह से मनुष्य की यदि कोई परिभाषा मनुष्य के रूप मे कि जाती है तो यह उसके मानव-समाज से पृथक् नही हो सकती। उसके सामाजिक जीवन और उससे उत्पन्न उसकी सांस्कृतिक व्यवस्था से पृथक् से नही हो सकती। सामान्य बोलचाल की भाषा में या साधारण अर्थ में 'समाज' शब्द का अर्थ व्यक्तियों के समूह के लिए किया जाता है। किसी भी संगठित या असंगठित समूह को समाज कह दिया जाता है, जैसे-- आर्य समाज, ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज, हिंदू समाज, जैन समाज, विद्यार्थी समाज, महिला समाज आदि। यह 'समाज' शब्द का साधारण अर्थ है जिसका प्रयोग विभिन्न लोगों ने अपने-अपने ढंग से किया है। किसी ने इसका प्रयोग व्यक्तियों के समूह के रूप में किसी ने समिति के रूप में, तो किसी ने संस्था के रूप में किया है। इसी वजह से समाज के अर्थ में निश्चितता का अभाव पाया जाता है। विभिन्न समाज वैज्ञानिकों तक ने 'समाज' शब्द का अपने-अपने ढंग से अर्थ लगाया है। उदाहरण के रूप में राजनीतिशास्त्री समाज को व्यक्तियों के समूह के रूप में देखता है। मानवशास्त्री आदिम समुदायों को ही समाज मानता है, जबकि अर्थशास्त्री आर्थिक क्रियाओं को संपन्न करने वाले व्यक्तियों के समूह को समाज कहता है। समाज का अर्थ (samaj kya hai) समाजशास्त्र मे समाज को सामाजिक संबंधों का जाल कहा जाता हैं। व्यक्ति और व्यक्तियों के बीच पाए जाने वाले अनेक संबंध होते है जो एक समाज का निर्माण करते हैं। समाज मे मान...