प्रबिसि नगर कीजे सब काजा

  1. सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ हिंदी लिरिक्स
  2. "प्रबिसी नगर कीजे सब काजा, हृदय राखीएं कौशलपुर राजा" चौपाई का रहस्य जानें
  3. चौपाई क्या है
  4. सुन्दरकाण्ड
  5. सुन्दरकाण्ड लिरिक्स इन हिंदी
  6. सुन्दरकाण्ड
  7. चौपाई क्या है
  8. सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ हिंदी लिरिक्स
  9. सुन्दरकाण्ड लिरिक्स इन हिंदी
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सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ हिंदी लिरिक्स

सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ, ।। पञ्चम सोपान सुन्दरकाण्ड।। (किष्किंधाकांड / आरती / चालीसा सहित) ।।आसन।। कथा प्रारम्भ होत है। सुनहुँ वीर हनुमान।। आसान लीजो प्रेम से। करहुँ सदा कल्याण।। – श्लोक – शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं, ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्, रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं, वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।। नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।। देखे – जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए।। तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई।। जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी।। यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा।। सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर।। बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।। जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता।। जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना।। जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रमहारी।। दो0- हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम। राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम।।1।। –*–*– जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा।। सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता।। आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा। सुनत बचन कह पवनकुमारा।। राम काजु करि फिरि मैं आवौं। सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं।। तब तव बदन पैठिहउँ आई। सत्य कहउँ मोहि जान दे माई।। कबनेहुँ जतन देइ नह...

"प्रबिसी नगर कीजे सब काजा, हृदय राखीएं कौशलपुर राजा" चौपाई का रहस्य जानें

Pravasi Nagar kije sab kaja hriday rakhiya kaushalpur Raja- प्राचीन वैदिक धर्म शास्त्रों में दिए गए मंत्र, श्लोक और चौपाइयों में कई रहस्य समाए हुए हैं, जिनको जान लेने से हर क्षेत्र में लाभ की प्राप्ति होगी। Pravasi Nagar kije sab kaja hriday rakhiya kaushalpur Raja– रामायण, रामचरितमानस, श्रीमद्भागवत गीता एवं अन्य वैदिक धर्म ग्रंथों में ऋषि-मुनियों ने बड़ी ही चतुराई से कई ऐसे शब्दों का समावेश किया है, जिन्हें जान लो तो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलना आसान हो जाएगी। इतना ही नहीं इसके जान लेने से प्रत्येक क्षेत्र में लाभ ही लाभ की प्राप्ति होगी। ऐसी ही एक विषय पर इस लेख में चर्चा की जाएगी। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के सुंदरकांड में चौपाई दी गई है कि “प्रबसी नगर कीजे सब काजा, हृदय राखीए कौशलपुर राजा”। इस चौपाई का अर्थ जानकर इसके अनुसार यदि कार्य करेंगे तो निश्चित तौर पर लाभ की प्राप्ति होगी। यह भी पढ़िए…. इस चौपाई का सामान्य अर्थ है (Pravasi Nagar kije sab kaja hriday rakhiya kaushalpur Raja) रामचरितमानस के सुंदरकांड में इस चौपाई का वर्णन तब आता है जब हनुमान जी माता सीता की खोज करने के लिए लंका जाते हैं। वहां पर लंकिनी नामक राक्षसी हनुमान जी को रोक लेती है, उसी समय हनुमान जी लंकिनी राक्षसी को मुक्का मारते हैं। इस मुक्के की मार के पश्चात लंकिनी को ब्रह्मा जी द्वारा कहे गए वचनों का बौध होता है, और वह हनुमान जी से कहती है कि “प्रबिसि नगर कीजे सब काजा हृदय राखी कौशलपुर राजा।” (Pravasi Nagar kije sab kaja hriday rakhiya kaushalpur Raja) अर्थात हनुमान जी आप इस नगर में प्रवेश करें और हृदय में कौशलपुर राजा यानी भगवान श्रीराम को रखकर सब का आज यानी कि काम करें। यह ...

चौपाई क्या है

• लैंगिक जनन क्या होता है Sexual Reproduction in hindi. • शैवाल | Algae in hindi | शैवाल का वर्गीकरण • समसूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन में अंतर | Differences betw… • एकबिजपत्री तथा द्विबीजपत्री क्या होते हैं, एकबिजपत्री के नाम… • लसीका किसे कहते हैं, लसीका के कार्य | Lasika kise khate hain… • नील हरित शैवाल, फोटो | (Blue-Green Algae in hindi) • माइकोप्लाजमा (Mycoplasma) क्या होते हैं, माइकोप्लाजमा के लक… • प्रोटोजोआ किसे कहते हैं , चित्र, संरचना | Protozoa in hindi • जीन क्या होते हैं (Gene meaning in hindi) Biology • पोरीफेरा क्या है उदाहरण सहित, चित्र | Phylum Porifera in hin…

सुन्दरकाण्ड

सुन्दरकाण्ड हिन्दु महाकाव्य रामायण में पाँचवीं पुस्तक है। इसमें भगवान हनुमान के साहसिक कार्यों को दर्शाया गया है। मूल सुन्दरकाण्ड संस्कृत में है और इसकी रचना वाल्मीकि ने की थी। वाल्मीकि पहले व्यक्ति थे जिन्होंने रामायण को लिपिबद्ध किया था। सुन्दरकाण्ड रामायण का एकमात्र अध्याय है जिसमें नायक राम नहीं हैं, बल्कि भगवान हनुमान हैं। जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रम हारी॥ श्री राम चरित मानस-सुन्दरकाण्ड (दोहा 1 - दोहा 6) ॥ दोहा 1 ॥ हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम, राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम। ॥ चौपाई ॥ जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा॥ सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता॥

सुन्दरकाण्ड लिरिक्स इन हिंदी

कथा प्रारम्भ होत है। सुनहुँ वीर हनुमान।। राम लखन जानकी। करहुँ सदा कल्याण।। – श्लोक – शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् । रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।। नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।। जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए।। तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई।। जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी।। यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा।। सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर।। बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।। जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता।। जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना।। जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रमहारी।। दो0- हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम। राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम।।1।। जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा।। सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता।। आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा। सुनत बचन कह पवनकुमारा।। राम काजु करि फिरि मैं आवौं। सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं।। तब तव बदन पैठिहउँ आई। सत्य कहउँ मोहि जान दे माई।। कबनेहुँ जतन देइ नहिं जाना। ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना।। जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा। कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा।। सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ...

सुन्दरकाण्ड

सुन्दरकाण्ड हिन्दु महाकाव्य रामायण में पाँचवीं पुस्तक है। इसमें भगवान हनुमान के साहसिक कार्यों को दर्शाया गया है। मूल सुन्दरकाण्ड संस्कृत में है और इसकी रचना वाल्मीकि ने की थी। वाल्मीकि पहले व्यक्ति थे जिन्होंने रामायण को लिपिबद्ध किया था। सुन्दरकाण्ड रामायण का एकमात्र अध्याय है जिसमें नायक राम नहीं हैं, बल्कि भगवान हनुमान हैं। जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रम हारी॥ श्री राम चरित मानस-सुन्दरकाण्ड (दोहा 1 - दोहा 6) ॥ दोहा 1 ॥ हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम, राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम। ॥ चौपाई ॥ जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा॥ सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता॥

चौपाई क्या है

• लैंगिक जनन क्या होता है Sexual Reproduction in hindi. • शैवाल | Algae in hindi | शैवाल का वर्गीकरण • समसूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन में अंतर | Differences betw… • एकबिजपत्री तथा द्विबीजपत्री क्या होते हैं, एकबिजपत्री के नाम… • लसीका किसे कहते हैं, लसीका के कार्य | Lasika kise khate hain… • नील हरित शैवाल, फोटो | (Blue-Green Algae in hindi) • माइकोप्लाजमा (Mycoplasma) क्या होते हैं, माइकोप्लाजमा के लक… • प्रोटोजोआ किसे कहते हैं , चित्र, संरचना | Protozoa in hindi • जीन क्या होते हैं (Gene meaning in hindi) Biology • पोरीफेरा क्या है उदाहरण सहित, चित्र | Phylum Porifera in hin…

सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ हिंदी लिरिक्स

सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ, ।। पञ्चम सोपान सुन्दरकाण्ड।। (किष्किंधाकांड / आरती / चालीसा सहित) ।।आसन।। कथा प्रारम्भ होत है। सुनहुँ वीर हनुमान।। आसान लीजो प्रेम से। करहुँ सदा कल्याण।। – श्लोक – शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं, ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्, रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं, वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।। नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।। देखे – जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए।। तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई।। जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी।। यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा।। सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर।। बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।। जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता।। जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना।। जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रमहारी।। दो0- हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम। राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम।।1।। –*–*– जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा।। सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता।। आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा। सुनत बचन कह पवनकुमारा।। राम काजु करि फिरि मैं आवौं। सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं।। तब तव बदन पैठिहउँ आई। सत्य कहउँ मोहि जान दे माई।। कबनेहुँ जतन देइ नह...

सुन्दरकाण्ड लिरिक्स इन हिंदी

कथा प्रारम्भ होत है। सुनहुँ वीर हनुमान।। राम लखन जानकी। करहुँ सदा कल्याण।। – श्लोक – शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् । रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।। नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।। जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए।। तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई।। जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी।। यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा।। सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर।। बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।। जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता।। जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना।। जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रमहारी।। दो0- हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम। राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम।।1।। जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा।। सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता।। आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा। सुनत बचन कह पवनकुमारा।। राम काजु करि फिरि मैं आवौं। सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं।। तब तव बदन पैठिहउँ आई। सत्य कहउँ मोहि जान दे माई।। कबनेहुँ जतन देइ नहिं जाना। ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना।। जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा। कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा।। सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ...

"प्रबिसी नगर कीजे सब काजा, हृदय राखीएं कौशलपुर राजा" चौपाई का रहस्य जानें

Pravasi Nagar kije sab kaja hriday rakhiya kaushalpur Raja- प्राचीन वैदिक धर्म शास्त्रों में दिए गए मंत्र, श्लोक और चौपाइयों में कई रहस्य समाए हुए हैं, जिनको जान लेने से हर क्षेत्र में लाभ की प्राप्ति होगी। Pravasi Nagar kije sab kaja hriday rakhiya kaushalpur Raja– रामायण, रामचरितमानस, श्रीमद्भागवत गीता एवं अन्य वैदिक धर्म ग्रंथों में ऋषि-मुनियों ने बड़ी ही चतुराई से कई ऐसे शब्दों का समावेश किया है, जिन्हें जान लो तो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलना आसान हो जाएगी। इतना ही नहीं इसके जान लेने से प्रत्येक क्षेत्र में लाभ ही लाभ की प्राप्ति होगी। ऐसी ही एक विषय पर इस लेख में चर्चा की जाएगी। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के सुंदरकांड में चौपाई दी गई है कि “प्रबसी नगर कीजे सब काजा, हृदय राखीए कौशलपुर राजा”। इस चौपाई का अर्थ जानकर इसके अनुसार यदि कार्य करेंगे तो निश्चित तौर पर लाभ की प्राप्ति होगी। यह भी पढ़िए…. इस चौपाई का सामान्य अर्थ है (Pravasi Nagar kije sab kaja hriday rakhiya kaushalpur Raja) रामचरितमानस के सुंदरकांड में इस चौपाई का वर्णन तब आता है जब हनुमान जी माता सीता की खोज करने के लिए लंका जाते हैं। वहां पर लंकिनी नामक राक्षसी हनुमान जी को रोक लेती है, उसी समय हनुमान जी लंकिनी राक्षसी को मुक्का मारते हैं। इस मुक्के की मार के पश्चात लंकिनी को ब्रह्मा जी द्वारा कहे गए वचनों का बौध होता है, और वह हनुमान जी से कहती है कि “प्रबिसि नगर कीजे सब काजा हृदय राखी कौशलपुर राजा।” (Pravasi Nagar kije sab kaja hriday rakhiya kaushalpur Raja) अर्थात हनुमान जी आप इस नगर में प्रवेश करें और हृदय में कौशलपुर राजा यानी भगवान श्रीराम को रखकर सब का आज यानी कि काम करें। यह ...