प्रियदर्शिनी मट्टू

  1. राजनीतिक ठसक और बिगड़ैल स्वभाव का नतीजा था मॉडल जेसिका लाल का मर्डर
  2. वे तीन हत्याकांड जिनसे दहल उठी थी दिल्ली, अब इन हत्यारों की हो सकती है रिहाई
  3. प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड: जब 'डर' फिल्म हकीकत बनी और लोगों के रोंगटे खड़े कर दिए
  4. Delhi priyadarshini mattoo brutal rape and murder case full story


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दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड में दोषी पाए गए संतोष कुमार सिंह को मौत की सज़ा सुनाई है. खचाखच भरी अदालत में न्यायाधीश आरएस सोढ़ी और न्यायाधीश पीके भसीन ने फ़ैसला दिया कि अभियुक्त सिर्फ और सिर्फ मौत की सज़ा का हकदार है और उसे फाँसी पर लटका दिया जाए. प्रियदर्शिनी मट्टू की वर्ष 1996 में बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी. उस समय प्रियदर्शिनी की उम्र 23 साल थी और वह कानून की पढ़ाई कर रही थीं. हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त संतोष कुमार सिंह को 1999 में निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. मांग सत्र न्यायालय के जज जीपी थरेजा ने अपने निर्णय में कहा था कि वह जानते हैं कि हत्या संतोष ने की है, लेकिन सबूतों के अभाव में उन्हें छोड़ा जा रहा है. संतोष सिंह प्रियदर्शिनी के साथ वकालत की पढ़ाई करता था केन्द्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की थी और अभियुक्त को मृत्युदंड देने की माँग की थी. संतोष कुमार सिंह एक वकील है और भारतीय पुलिस सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी का पुत्र है. विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इस मामले में जल्द न्याय के लिए मीडिया के सहयोग से जोरदार अभियान चलाया था. इसके बाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई सप्ताह में तीन दिन करने का फ़ैसला किया था. एक पखवाड़ा पहले संतोष सिंह को दिल्ली हाइकोर्ट ने हत्या और बलात्कार का दोषी माना था और सोमवार को उन्हें दी जाने वाली सज़ा सुनाई गई है.

राजनीतिक ठसक और बिगड़ैल स्वभाव का नतीजा था मॉडल जेसिका लाल का मर्डर

नई दिल्ली, जेएनएन।तिहाड़ जेल में बंद मॉडल जेसिका लाल और छात्रा प्रियदर्शनी मट्टू हत्याकांड के दोषी सिद्धार्थ शर्मा उर्फ मनु शर्मा व संतोष सिंह की रिहाई के अनुरोध को दिल्ली सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) ने शुक्रवार को फिर से ठुकरा दिया है। बोर्ड की बैठक में 205 कैदियों की सजा की सजा पर चर्चा हुई। इसमें एक मामले को शामिल नहीं किया गया। 59 दोषियों की रिहाई के अनुरोध को मंजूरी दे दी गई। वहीं 145 कैदियों के अनुरोध को खारिज कर दिया गया। अब मनु शर्मा और संतोष शर्मा की रिहाई के लिए कोर्ट का रास्ता खुला है। तिहाड़ जेल अधिकारियों के मुताबिक, शुक्रवार दोपहर 2 बजे दिल्ली सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) की बैठक शुरू हुई, जो देर शाम तक चली। बैठक में दिल्ली के गृह मंत्री व बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन, जेल महानिदेशक संदीप गोयल समेत अन्य लोग मौजदू थे। बैठक के दौरान बोर्ड के सभी सदस्यों ने समीक्षा के लिए लाए गए सभी 204 कैदियों की फाइल पर गंभीरता से विचार किया। साथ ही जेल के अंदर उनके आचरण और व्यवहार पर चर्चा की गई। समीक्षा बैठक में मनु शर्मा और संतोष सिंह के खिलाफ एक बार फिर सदस्यों के विचार आपस में नहीं मिले और अनुरोध को खारिज कर दिया गया। इनके अलावा 143 अन्य कैदियों के नामों पर भी सहमति नहीं बनी। समीक्षा बोर्ड ने 59 दोषियों की रिहाई के अनुरोध को मंजूरी दी है। अब इस फाइल को उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास भेजा जाएगा। यहां से मंजूरी मिलने के बाद ही सभी 59 कैदियों को जेल से रिहा कर दिया जाएगा। बिगडै़ल बच्चे थे दोनों जेसिका लाल के शराब परोसने से मना करने पर मनु शर्मा ने महरौली स्थित रेस्तरां में 30 अप्रैल, 1999 को गोली मारकर हत्या कर दी थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा को दिसंबर...

वे तीन हत्याकांड जिनसे दहल उठी थी दिल्ली, अब इन हत्यारों की हो सकती है रिहाई

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा प्रियदर्शिनी मट्टू के 1996 के रेप और मर्डर के दोषी संतोष सिंह का नाम उस लिस्ट में शामिल किया गया है। जिसमें अच्छे व्यवहार के चलते उसे समय से पहले रिहा किया जा सकता है। सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) गुरुवार को इस मामले पर बैठक करने वाला है। जिसमें कई कैदियों की समय से पहले रिहाई का फैसला लिया जाएगा। इस लिस्ट में संतोष सिंह के अलावा जेसिका लाल हत्या के आरोपी मुन शर्मा और नैना सहानी तंदूर केस के दोषी सुशील शर्मा के नाम भी शामिल हैं। तीनों दोषी उम्रकैद की सजा काट रहे हैं हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, 24 जून में एसआरबी की बैठक के दौरान भी संतोष सिंह और मनु शर्मा का नाम इस लिस्ट में शामिल किया गया था लेकिन बोर्ड ने इन नामों पर विचार करने के लिए सुनवाई को स्थगित कर दिया था। संतोष सिंह 2006 से जेल में बंद है। उसे दिल्ली हाईकोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद 2010 में हाईकोर्ट ने उसकी सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। 2006 में दोषी ठहराए गए मनु शर्म को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी वहीं मॉडल जेसिका लाल हत्याकांड में 2006 में दोषी ठहराए गए मनु शर्म को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। नैना साहनी तंदूर मर्डर केस में कोर्ट में सुनील शर्मा को 2006 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। ये सभी दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं। बता दें कि, 28 जुलाई को दिल्ली सरकार के सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) ने तिहाड़ जेल में बंद जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा की रिहाई पर फैसला टाल दिया था। इसमें तंदूर हत्याकांड के दोषी सुशील शर्मा की भी अर्जी शामिल थी। बोर्ड के एक सदस्य ने बताया था कि रिहाई की अर्जियों पर फैसला इसलिए टाल दिया गया क्योंकि इस...

प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड: जब 'डर' फिल्म हकीकत बनी और लोगों के रोंगटे खड़े कर दिए

मुझे एक गाना बहुत अच्छा लगता था जब मैं छोटी थी तो. बोल थे, ‘जादू तेरी नज़र, खुशबू तेरा बदन, तू हां कर या ना कर, तू है मेरी किरन.’ इतना पसंद था कि मैंने सोचा मेरा नाम बदलवा कर किरन रखवा लूं. बड़ी हुई तो पता चला फिल्म कतई दिक्कत वाली थी. नफरत हो गई. गाना अब भी सुन लेती हूँ कभी कभी. क्योंकि ट्यून अच्छी थी. लेकिन घटिया वाली फीलिंग जाती नहीं. गाना भी अब बकवास लगता है. इस गाने को सुनकर अब अजीब सा लगता है. फोटो: Getty Images क्यों? क्योंकि इस फिल्म में शाहरुख़ खान जूही चावला के साथ जो कर रहे थे, वो उस समय लोगों को रोमांस लगा होगा. असल में एक नंबर का कमीनापन था. जिसमें आज जेल हो जाएगी. इसको मार्केट किया था ‘डर: अ वायलेंट लव स्टोरी’ के नाम से. मतलब खून-खराबे और मार-धाड़ वाली लव स्टोरी. लोगों को बहुत पसंद भी आई थी. इसमें शाहरुख़ का बोला गया डायलॉग ‘क..क....क.... किरन’ उनका सिग्नेचर आइटम बन गया. लोगों को लगा कितना प्यार करता है शाहरुख़ जूही से. कुछ भी कर सकता है उसके लिए. क्या शाहरुख़ जूही की जान भी ले सकता था? क्योंकि 1996 में संतोष कुमार सिंह नाम के एक बड़े बाप के लड़के ने यही किया. लड़की पर फ़िदा हुआ, उसको प्रपोज किया. लड़की ने मना कर दिया. पुलिस में शिकायत की. पुलिस ने उसे एक एस्कॉर्ट दिया. यानी सुरक्षा के लिए बॉडीगार्ड. लड़के ने तब भी पीछा नहीं छोड़ा. एक दिन वो लड़की अपने घर पर मरी हुई मिली. लड़की का नाम था प्रियदर्शिनी मट्टू. प्रियदर्शिनी की फ़ाइल फोटो. दिल्ली यूनिवर्सिटी की फैकल्टी ऑफ़ लॉ से एलएलबी कर रही थी. श्रीनगर से स्कूली पढ़ाई पूरी करके जम्मू चली गयी थी. फिर वहां से बीकॉम करके दिल्ली आई लॉ फैकल्टी में पढ़ने के लिए. यहाँ पे उसका सीनियर संतोष उसपे लट्टू हो गया था. बार बार पीछा करता. प्रिया को...

Delhi priyadarshini mattoo brutal rape and murder case full story

आज बात 26 साल पहले हुए एक खौफनाक मामला 26 साल पहले 1996 का है। श्री नगर से स्कूलिंग और जम्मू से बीकॉम की पढ़ाई करने के बाद प्रियदर्शिनी मट्टू उर्फ प्रिया दिल्ली यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई कर रही थी। यहीं एक संतोष नाम का लड़का भी पढ़ता था जो प्रिया का सीनियर होने के साथ उसका दीवाना भी था। यहां तक कि संतोष कई बार प्रिया को प्रपोज कर चुका लेकिन उसने हर बार संतोष को इंकार कर दिया था। प्रिया ने सोचा शायद वह पास हो जाए तो पीछा छोड़ देगा लेकिन संतोष नहीं माना। इसके चलते प्रिया ने पुलिस में शिकायत कर दी, जिसके बाद प्रिया को राजिंदर सिंह नाम का एक सुरक्षाकर्मी भी दिया गया था। पुलिस ने संतोष को चेतावनी दी थी कि वह लड़की से दूर रहे लेकिन वह नहीं माना। साल 1996 में 23 जनवरी के दिन राजिंदर सिंह को देर हो गई इसलिए प्रिया अपने माता-पिता का साथ कॉलेज चली गई। सुरक्षा की चिंता के बीच जब राजिंदर सिंह कॉलेज पहुंचे तो वहां उसे संतोष दिखा लेकिन प्रिया अपनी क्लास में थी। क्लास ख़त्म होने के बाद प्रिया, राजिंदर के साथ घर वापस आ गई और सुरक्षाकर्मी से शाम को आने को कहा। इस दौरान घर का रसोइया भी किसी काम से बाहर चला गया। इसी बीच संतोष घर के अंदर दाखिल हुआ, जिसे प्रिया के पड़ोसी कुप्पुस्वामी ने दाखिल होते देख लिया था। शाम को 5:30 बजे जब राजिंदर घर पहुंचा तो किसी ने दरवाजा नहीं खोला। ऐसे में जब वह घर के पीछे वाले दरवाजे से अंदर घुसे तो वहां का नजारा देख राजिंदर दंग रह गए। प्रिया का शव कमरे में खून से लथपथ पड़ा था। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी और जांच टीम ने मौके से सारे सबूत जुटा लिए। इसमें एक हीटर का तार भी था जिससे प्रिया का गला घोंटा गया था। घटना की सूचना माता-पिता को मिली तो संतोष का नाम सामने आया।...