स्वपरागण के दो महत्व

  1. कर
  2. स्वपरागण के कोई दो महत्व लिखिए। Answer... MP Board Class
  3. swaparagan aur per paraagan mein antar//स्वपरागण और परपरागण में अंतर //swapragan aur parpragan kise kahte hai paribhasha udaharan
  4. परागण और निषेचन में अंतर
  5. वृक्षारोपण के महत्व पर निबंध
  6. Pollination
  7. परागण क्या है


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कर

किसी कर या टैक्स कहते हैं। राष्ट्र के अधीन आने वाली विविध संस्थाएँ भी तरह-तरह के कर लगातीं हैं। कर प्राय: आधुनिक सरकारों के लिए कराधान (taxation), आय का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। लोकतंत्र में कराधान ही सरकार की राजनीतिक गतिविधियों को स्वरूप प्रदान करता है। कर करदाता द्वारा किया जाने वाला ऐसा अनिवार्य अंशदान है जो कि सामाजिक उद्देश्य जैसे आय व संपत्ति की असमानता को कम करके उच्च रोजगार स्तर प्राप्त करने तथा आर्थिक स्थिरता व वृद्धि प्राप्त करने में सहायक होता है। कर एक ऐसा भुगतान है जो आवश्यक रुप से सरकार को उसके बनाए गए कानूनों के अनुसार दिया जाता है। इसके बदले में किसी सेवा प्राप्ति की आशा नहीं की जा सकती है। अनुक्रम • 1 करारोपण के उद्देश्य • 2 करों का वर्गीकरण • 2.1 स्वरूप के आधार पर • 2.2 तरीके के आधार पर • 2.3 मात्रा के अनुसार • 2.4 मूल्यांकन के आधार पर • 3 करों के सिद्धान्त • 4 करों के प्रभाव • 5 कराघात व करापात • 5.1 करापात के प्रकार • 5.2 कराघात • 6 अच्छी कर प्रणाली की विशेषताएं • 7 इन्हें भी देखें • 8 बाहरी कड़ियाँ करारोपण के उद्देश्य [ ] कर लोगों द्वारा किया जाने वाला अनिवार्य भुगतान है। यदि कोई व्यक्ति कर का भुगतान नहीं करता है, तो उसे कानून द्वारा दंडित किया जा सकता है। आय, संपत्ति तथा किसी वस्तु की खरीद के समय कर लगाया जाता है। कर सरकार की आय का मुख्य स्रोत है। करारोपण के मुख्य उद्देश्यों को निम्न प्रकार से रेखांकित किया जा सकता हैः 1. आय प्राप्त करना 2. नियमन तथा नियन्त्रण करना 3. साधनों का आबंटन 4. असमानता को कम करना 5. आर्थिक विकास 6. कीमत वृद्धि पर नियन्त्रण करों का वर्गीकरण [ ] सरकार द्वारा कई प्रकार के करों को लगाया जाता है। इनके वर्गीकरण को निम्न प्रकार से...

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नमस्कार मित्रों स्वागत है आपका हमारी वेब साइट www. Subhanshclasses.com में यदि आप गूगल पर सर्च कर रहे है स्वपरागण और परपरागण में अंतर देख रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आ गए हैं हम आपको आपके सभी टॉपिक पर पत्र लिखना शिखायेगे। यदि आप YouTube पर देखना चाहते हैं तो आप अपने यूट्यूब पर सर्च करे Subhansh classes वहा पर आपको हमारा चैनल मिल जायेगा, आप उसे जल्दी से subscribe कर लीजिए। हमारे यूट्यूब चैनल पर आपको पढाई से सम्बंधित सभी जानकारी दी जायेगी स्वपरागण (self pollination): 1. इस प्रक्रिया में किसी एक पुष्प के पराग कणों का स्थानांतरण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र (स्वयुग्मन)अथवा उसी पौधे पर उत्पन्न अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर (स्वजात युग्मन) होता है। 2. इस प्रक्रिया में भाग लेने वाले पुष्पों के पराग कोष और वर्तिकाग्रों के परिपक्व होने का समय एक ही होता है। 3. बंद पुष्पी अवस्था में स्वपरागण की प्रक्रिया ही संभव है। 4. स्वपरागण के लिए बाहरी साधनों अथवा माध्यम की जरूरत नहीं होती। 5. यह पौधे के लिए मितव्ययी विधि है। 6. इस प्रक्रिया के द्वारा लक्षणों की शुद्धता बनी रहती है। 7. स्वपरागण के द्वारा व्यर्थ अथवा हानिकारक गुणों की संतति पौधों से हटाना संभव नहीं है। स्वपरागण के लाभ (Advantages of self pollination): 1. इस प्रक्रिया के द्वारा लक्षणों की शुद्धता को आगामी पीढ़ियों में बनाए रखा जा सकता है क्योंकि इससे प्राप्त पौधे समयुग्मजी होते हैं। 2. पौधे के उपयोगी लक्षणों को असीमित काल के लिए संरक्षित किया जा सकता है। 3. इसमें परागण की सफलता निश्चित होती है। 4. परागकणों की अधिक बर्बादी नहीं होती, अतः यह मितव्ययी विधि है। स्वपरागण की हानियां (Disadvantages of self pollination): 1. इस प्रक्रिया के...

परागण और निषेचन में अंतर

दोस्तों हम आज आपको जीव विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक परागण और निषेचन में अंतर बताएंगे। साथ ही साथ पौधे एवं उनकी क्रियाये के अन्तर्गत आपको परागण किसे कहते हैं,परागण के प्रकार,स्वपरागण किन पौधों में होता है,परपरागण किन पौधों में होता है,निषेचन किसे कहते है,द्विनिषेचन किसे कहते है, आदि सारी बातों की जानकारी उपलब्ध कराएंगे। जैसे– सूरजमुखी,गेंदा,साल्विया में कीट द्वारा,मक्का,गेहूँ,धान,घास में वायु द्वारा,आम,बबूल,सेमल में गिलहरी व चिड़ियों द्वारा होता है। निषेचन किसे कहते हैं || what is fertilisation बीजांड के भ्रूणकोष(embryo sac) में प्रवेश करने के बाद पराग नलिका का शीर्ष गल जाता है। इसमें उपस्थित नलिका केंद्रक भी लुप्त हो जाता है। दोनों नर युग्मक अब भ्रूणकोष के जीवद्रव्य में मुक्त हो जाते हैं। ये भी पढ़ें- सार्थक अंक निकालने के नियम या विधि | method to find significant figures in hindi यह क्रिया निषेचन(fertilisation) कहलाती है। इससे युग्मनज (zygote) का निर्माण होता है। यह युग्मनज आगे चलकर भ्रूण बनाता है। द्विनिषेचन क्रिया क्या है || double fertilisation आवृत्तबीजी पौधों में निषेचन की क्रिया दो बार होती है। अतः दोहरा निषेचन होने के कारण ही आवृत्तबीजियों में यह क्रिया द्विनिषेचन कहलाती है। Difference between pollination and fertilisation, परागण और निषेचन में अंतर || difference between pollination and fertilisation परागण(pollination) निषेचन(fertilisation) परागकोषों से बने परागकण उसी जाति के वर्तिकाग्र पर पहुँचते है। नर तथा मादा युग्मको का संयुग्मन होता है। परपरागण के लिए अनेक प्रकार के माध्यमों की आवश्यकता होती है जैसे-वायु,जल,कीट आदि यह क्रिया पराग नलिका के अंडाशय तथा अंत में ब...

वृक्षारोपण के महत्व पर निबंध

वृक्षारोपण के महत्व पर समय-समय पर जोर दिया गया है। पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण की वजह से वृक्षारोपण की आवश्यकता इन दिनों अधिक हो गई है। वृक्षारोपण से तात्पर्य वृक्षों के विकास के लिए पौधों को लगाना और हरियाली को फैलाना है। पर्यावरण के लिए वृक्षारोपण की प्रक्रिया महत्वपूर्ण क्यों है इसके कई कारण हैं। आपकी परीक्षा में इस विषय के साथ आपकी मदद करने के लिए विभिन्न लंबाई के वृक्षारोपण के महत्व पर निबंध यहाँ उपलब्ध कराए गए हैं। आप अपनी आवश्यकता के अनुसार किसी भी वृक्षारोपण के महत्व पर निबंध को चुन सकते हैं: वृक्षारोपण के महत्व पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Importance of Tree Plantation in Hindi, Vriksharopan ka Mahatva par Nibandh Hindi mein) निबंध 1 (300 शब्द) – पेड़ जीवनदायिनी ऑक्सीजन देते हैं प्रस्तावना वृक्षारोपण महत्वपूर्ण क्यों है इसके पीछे कई कारण हैं। मुख्य कारणों में से एक कारण यह है कि वृक्ष जीवन-प्रदान करने वाली ऑक्सीजन प्रदान करते हैं जिसके बिना मानव जाति का अस्तित्व असंभव है। पेड़ जीवनदायिनी ऑक्सीजन देते हैं एक प्रसिद्ध कहावत इस प्रकार है, “कल्पना कीजिए कि अगर पेड़ वाईफाई सिग्नल देते तो हम कितने सारे पेड़ लगाते, शायद हम ग्रह को बचाते। बहुत दुख की बात है कि वे केवल ऑक्सीजन का सृजन करते हैं”। कितना दुखद है कि हम प्रौद्योगिकी के इतने आदी हो गए हैं कि हम अपने पर्यावरण पर होने वाले हानिकारक प्रभावों की अनदेखी करते हैं। न केवल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल प्रकृति को नष्ट कर रहा है बल्कि यह हमें उससे अलग भी कर रहा है। अगर हम वास्तव में जीवित रहना चाहते हैं और अच्छे जीवनयापन करना चाहते हैं तो अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाने चाहिए। ऑक्सीजन लेने और कार्बन डाइऑक्साइड क...

Pollination

36 Artificial Pollination (कृत्रिम परागण) Pollination – पादपों के परागकोष से पराग कणों का वर्तिकाग्र तक पहुंचने की क्रिया को परागकण कहते है परागण के प्रकार (Types of Pollination) (i) स्वपरागण (Self pollination) (ii) परषरागण (Cross pollination ) स्वपरागण (Self Pollination) • स्वपरागण में एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प की वर्तिकाग्र पर पंहुचते है। • यह परागण उभयलिंगी (bisexual) पुष्पों या एक ही पादपों में उपस्थित दो एकलिंगी (unsexual ) पुष्पों के मध्य सम्पन्न होता है। स्वपरागण निम्न दो प्रकार का होता है – 1. Autogamy (स्वकयुग्मन)- • इस प्रकार के स्वपरागण में एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प की वर्तिकाग्र तक स्थानांनतरित होते हैं अर्थात एक पुष्प के परागकोष में निर्मित परागकण उसी पुष्प की वर्तिकाग्र को परागित (Pollinate) करते हैं। 2. Geitonogamy (सजातपुष्पीय परागण)- • एक पुष्प के परागकोष में उत्पन्न परागकण उसी पादप के किसी दूसरे पुष्प की वर्तिकाग्र को परागित करते हैं तो इसे Geitonogamy कहते है • यह परागण आनुवांशिकी व पारिस्थितिकी की दृष्टि से स्वपरागण में सम्मिलित किया गया है । Adaptation for Self Pollination (स्वपरागण हेतु अनुकूलन)- स्वपरागण हेतु पुष्पों में निम्नलिखित दो प्रकार के अनुकूलन रिपोर्ट किये गये है- 1. Homogamy (समकालपक्वता) • इस अवस्था में द्विलिंगी पुष्पों के परागकण व बीजांड का परिपक्वन काल समान होता है अतः इस समय परागकोष द्वारा परागण के स्फुटन के समय वर्तिकाग्र ग्राही होती है अतः उसी के परागकण उस पुष्प की वर्तिकाग्र को परागित करने में सक्षम होते हैं। • जैसे गर्डि्निया (Gardenia) सदाबहार- कैथेरेन्थस (Catharanthus) । 2 .Cleistogamy (अनुन्मीलय परागण) • इस प्रकार के परागण...

परागण क्या है

Table of Contents • • • What Is Pollination In Hindi परागण :- पुंकेसर में उपस्थित पराग कणों का वर्तिकाग्र तक पहुंचना परागण कहलाता है। • परागण के लिए किसी क्रमक या साधन की आवश्यकता होती है। • पराग कणों का वर्तिकाग्र पर अंकुरण होता है। • अंकुरण के पश्चात बनाने वाली पराग नली से युग्म को का स्थानांतरण होता है। एकलिंगता :- प्रकृति में पाए जाने वाले अनेक पौधों पर एक लिंग पुष्प लगते हैं। इन पुष्पों में पर परागण के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं होता है। उदा. पपीता, ताड़ इत्यादि। द्विलिंगता :- सामान्य पुष्पा द्विलिंगी होते हैं। जिनमें स्वपरागण होता है। Types Of Pollination In Hindi परागण के प्रकार :- परागण मुख्यतः दो प्रकार का होता है। • स्वपरागण • पर परागण स्वपरागण :- जब किसी एक पुष्प के पराकाम उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं तो उसे स्वपरागण करते हैं। सामान्यतः स्वपरागण द्विलिंगी पुष्प में होता है। स्वपरागण दो प्रकार का होता है। • स्वयुग्मक • सजात पुष्पी परागण स्वयुग्मक परागण :- द्विलिंगी पुष्पों में एक ही पुष्प के परागकण उसी के वर्तिका ग्रह पर गिरते हैं तो स्वयुग्मक कहलाता है। उदा. मटर, चना, सरसों इत्यादि। सजात पुष्पी परागण :- जब किसी एक ही प्रकार के पौधे पर एक ही प्रकार के पुष्प लगते हैं तो इनकी बीच होने वाले परागण को सजात पुष्पी परागण कहते हैं। उदा. मक्का, लौकी, खीरा, ककड़ी इत्यादि। स्वपरागण के लिए युक्तियां अनुकूलन :- अनुनमिल्ये पुष्प :- जब किसी पौधे के पुष्प स्वपरागण तक अथवा सदैव बंद रहते हैं। उन्हें अनुनमिल्ये पुष्प कहा जाता है। इन पुष्पों में केवल स्वपरागण संभव है। उदा. मेहंदी इत्यादि। समकाल पंबता :- जब किसी पुष्प के स्त्रीकेसर तथा पुंकेसर एक ही समय पर परिपक्व होते हैं।...